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बेटी के प्रेम से ज़्यादा अपनी जाति क्यों बड़ी हो जाती है?

बरेली के विधायक राजेश मिश्रा की बेटी साक्षी मिश्रा टीवी चैनल आई, साथ में उनके पति अजितेश कुमार भी थे। साक्षी की बातें सुनकर बहुत अफसोस हुआ कि एक बेटी को घूमने-फिरने से रोका जाता है, अपने परिवार में ही उनकी बातों को अनसुना किया जाता है, उन्हें अपनी बातें रखने की इजाज़त नहीं है।

साक्षी मिश्रा और अजितेश कुमार

क्या इसलिए कि वह बेटी है? हमारे समाज में ऐसा क्यों होता है, बेटी से ज़्यादा बेटा को महत्त्व दिया जाता है। समाज में ऐसे परिवारों में से ही एक है साक्षी का परिवार है, जहां बेटी होने की वजह से उनके सपने को नज़रअंदाज किया गया, उनकी भावनाओं की कोई कद्र नहीं किया जाता है। यह किसी घरेलू हिंसा से कम नहीं है।

साक्षी ने आज तक के स्टूडियो में बताया कि वह मास कम्युनिकेशन की स्टूडेंट है और उनके बहुत सारे सपने हैं, वह एंकर है, रिपोर्टर बनना चाहती हैं। वह आगे पढ़ाई के लिए मास्टर डिग्री करना चाहती हैं। उन्होंने महत्वपूर्ण बातें बताईं कि अगर उन्हें आगे पढ़ने का मौका दिया जाता तो ऐसा कदम कदापि नहीं उठाती।

इन सभी बातों को देखकर यही समझा जा सकता है कि वह अपने घर में घुटकर जी रही थीं। आखिर घर से भागने व खुद फैसला करने की वजह साफ नज़र आ रही है।

जहां भारत अंतरिक्ष में कई सेटेलाइट भेज चुका है और वहीं जातिवाद से ऊपर नहीं उठ पाया है। जैसा कि जानते हैं कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है पर आज भी हमारे देश में धार्मिक, जातिगत, नस्लीय भेदभाव को देखा जाता है।

इस मामले में साक्षी बार-बार बता रही हैं कि उन्हें अपने पिता से खतरा है, वह उन्हें जान से मारना चाहते हैं। दूसरी ओर राजेश मिश्रा ने कहा कि वह उन्हें ढूंढ नहीं रहे हैं, वह पार्टी की सदस्यता अभियान में व्यस्त हैं।

राजेश मिश्र की बातों को क्या समझा जाये? मान लिया जाए कि वह हमला नहीं करवाएंगे, क्या वह हमला नहीं करवाने की गारंटी दे सकते हैं? अब 15 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई है, उन्हें कोर्ट की तरफ से सुरक्षा दी जाएगी और सभी लोगों की नज़र इलाहाबाद कोर्ट पर होगी।

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