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क्या राज्य सरकारों के पास जल संग्रहण की कोई पुख्ता योजना नहीं है?

मुंबई में बारिश से बेहाल लोगों की खबर खूब सुर्खियां बटोर रही हैं। खैर, आइए हम मुद्दों की बात करते हैं। बीते महीने पानी के संकट पर खूब हाय-तौबा मची और कई सुझावों को अमल किए जाने की बात कही गई।

रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में जून माह में अनुमानित से कम बारिश हुई है। ऐसे में खरीफ फसल की बुआई में देरी और लागत बढ़ने की समस्या आ रही है। एक प्रचलित कहावत है, “सावन के अंधे को सब हरा-हरा दिखता है”। हालांकि यह कहावत नकारात्मक पक्ष को दर्शाती है मगर अब ज़रूरत है, बारिश के पानी को संग्रहित करने के लिए एक ठोस रणनीति के तहत काम करने की।

फोटो प्रतीकात्मक है। सोर्स- Getty

पानी का अधिकार पर मध्य प्रदेश सरकार एक कानून लाने पर विचार कर रही है, जिसमें सभी परिवार को 55 लीटर पीने का पानी मुहैया कराने के लिए रणनीति तैयार हो रही है। हालांकि लोगों ने 55 लीटर पानी को नाकाफी बताया है, वहीं बिहार सरकार सात निश्चय योजना के तहत “हर घर नल का जल” योजना चला रही है। अब दोनों योजनाओं में पानी की उपलब्धता पर समस्या है।

बिहार सरकार इस योजना के तहत बोरिंग के पानी को सप्लाई कर लोगों को पानी मुहैया करा रही है, जिससे भूमिगत जल स्तर के नीचे जाने का पक्ष उभरकर सामने आ रहा है। यह दुर्भाग्य की बात है कि राज्य सरकारें जल संग्रहण नीति के बिना ही उपरोक्त योजनाएं बनाई जा रही हैं। हालांकि मौनसून ने दस्तक थोड़ी देर से दी है और अभी भी कई संभावनाएं बनी हुई हैं। ऐसे में सभी राज्य सरकारों को चाहिए कि वे पानी संग्रहण पर ध्यान दें। जलाशयों की सफाई, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और तालाबों की खुदाई आदि को प्राथमिकता देकर इस पर काम करें।

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