सर ये तीन लड़कियां अपनी दिहाड़ी में सिर्फ तीन रुपए बढ़ाने को बोल रही थीं। जो मिनरल वॉटर आप पी रहे हैं, उसके दो या तीन घूंट के बराबर। उनकी इस गलती के कारण उनका रेप हो गया। उन्हें मारकर पेड़ पर लटका दिया गया ताकि पूरी जात को उनकी औकात याद रहे।
-अयान रंजन, आईपीएस ऑफिसर, लालगंज, उत्तर प्रदेश (फिल्म का पात्र)
आर्टिकल 15-
भारतीय संविधान का आर्टिकल 15 कहता है कि राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा। इसी विषय पर एक फिल्म आई है, “आर्टिकल 15″। 30 मई को जब “आर्टिकल 15” का ट्रेलर आया था, तभी तय हो गया था कि यह फिल्म इस साल की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक होगी। अनुभव सिन्हा द्वारा निर्देशित यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर खूब धमाल मचा रही है।
बदायूं रेप केस पर आधारित है फिल्म-
फिल्म की कहानी 2014 में उत्तर प्रदेश के बदायूं ज़िले में हुए रेप केस पर आधारित है। फिल्म का नायक अयान रंजन एक आईपीएस ऑफिसर है, जिसकी पहली पोस्टिंग उत्तर प्रदेश के लालगंज में होती है। अयान पढ़ा-लिखा लूटियन्स दिल्ली के माहौल से निकला लड़का है। विदेशों में कई साल रहकर लौटा है और अपने पिता जी के कहने पर आईपीएस बना है। जात-पात में कोई दिलचस्पी नहीं रखता है। जात से इसका पहला सामना लालगंज में ही होता है, जब उसका ड्राइवर एक दुकान से उसे पानी खरीदने से मना करता है, वजह वह गाँव नीची जाति वालों का है। लालगंज के एक गाँव में दो दलित लड़कियों की पेड़ पर टंगी लाश मिलती है और यही से असली कहानी शुरू होती है।
उना केस का भी फिल्म में है ज़िक्र-
फिल्म में कई सारी सामयिक घटनाओं का एक साथ ज़िक्र है। फिल्म में एक जगह 2016 में घटित उना केस का भी ज़िक्र है। गौरतलब है कि 2016 में उना (गुजरात) में 7 दलितों को गौरक्षा के नाम पर अधनग्न करके पीटा गया था, जिसका वीडियो खूब वायरल हुआ था। फिल्म में भीम आर्मी का भी मुद्दा उठाया गया है। फिल्म में उत्तर प्रदेश में ‘प्रचलित’ एनकाउंटर प्रथा पर भी कटाक्ष किया गया है।
अभिनय-
आयुष्मान खुराना आईपीएस के रोल में खूब जंचे हैं। एक नए प्रशासक को अपने क्षेत्र में किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है, इसका बखूबी चित्रण इस फिल्म में किया गया है। सयानी गुप्ता ने भी बेहतरीन काम किया है। कुमुद मिश्रा ने एक दलित पुलिस अधिकारी का रोल बखूबी निभाया है। मोहम्मद ज़ीशान अय्यूब अपनी बुलंद आवाज़ के दम पर फिर बाज़ी मार गएं।
भीम आर्मी का भी ज़िक्र-
मोहम्मद ज़ीशान अय्यूब का कैरेक्टर भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर रावण पर आधारित है। फिल्म के एक सीन में जब उसकी मौत हो जाती है तो सब दुखी हो जाते हैं। ईशा तलवार ने अदिति के किरदार में जान डाल दी है। फिल्म में डायलॉग्स भी ज़बरदस्त हैं। फिल्म के एक सीन में अदिति अयान को कहती हैं, “हमें हीरो नहीं चाहिए बल्कि ऐसे लोग चाहिए जो किसी हीरो का वेट ना करें”।
सायानी गुप्ता और कुमुद मिश्रा जिस तरह फफककर रोए हैं, ऐसा लगता है जैसे सच में दलित समाज ने अपना नेता खो दिया हो। फिल्म की खासियत यह है कि इसके सारे सीन्स जीवंत लगते हैं। इस एक फिल्म में इतने मुद्दों को उठाया गया है कि सब पर अलग-अलग मूवी बन सकती है।
बैन नहीं टैक्स फ्री कीजिए फिल्म को
फिल्म की पटकथा अनुभव सिन्हा और गौरव सोलंकी ने लिखी है। गौरव सोलंकी युवा लेखक हैं। इनकी किताब ‘ग्यारहवीं ए के लड़के’ काफी लोकप्रिय हुई थी। फिल्म देखने से पता चलता है कि पटकथा पर जमकर मेहनत की गई है। दलितों के मुद्दों को बेहतरीन ढंग से उठाया गया है। अंततः फिल्म को देखकर एक आशा बंधती है कि क्रांति आएगी, जब लूटियन्स के लड़के लालगंज जाएंगे और लालगंज के लड़के लूटियन्स आएंगे। यह फिल्म विवादों में भी है और पटना समेत कई जगहों पर बैन है पर यकीन मानिए फिल्म देखने के बाद लगता है कि इसे बैन नहीं टैक्स फ्री कर देना चाहिए।