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कश्मीरी भी हिन्दोस्तानी हैं

तथाकथित दो स्वतंत्र देश एक ही मुल्क में कैसे हो सकते हैं? एक आज़ाद कश्मीर और दूसरा पाकिस्तान। किसकी संप्रभुता किसके पास है समझ पाना मुश्किल है। यह एक ही देश हो सकता है। चाहे आजद कश्मीर में पाकिस्तान का विलय हो या फिर पाकिस्तान में आजाद कश्मीर का।

तकनीकी रूप से पाकिस्तान एक संप्रभु देश है और आजाद कश्मीर हिंदुस्तान से लूटा हुआ एक हिस्सा, जो आज नही तो कल हिंदुस्तान को वापस मिलेगा।

इसी प्रकार बलोचिस्तान भी एक मुल्क ही है। ठीक तिब्बत की तरह, जिसको पाकिस्तान ने जबरन कब्जा कर रक्खा है। वहां की संस्कृति और विचार इस्लामाबादी सोंच और शोषण के निरंतर शिकार बने हैं।

कश्मीर मामले पर आत्महत्या के लिए तैयार पाकिस्तान, बलूचिस्तान में किस तरह मानव अधिकारों का उल्लंघन करता रहा है यह सबको पता है। दुखद है कि उसने इस मुल्क की आवाज को दबाने के लिए चीन के साथ सौदेबाजी भी कर ली है और बलोचिस्तान में छिपे व्यापारिक हितों के कारण चीन पाकिस्तान का साथ देता आया है।

हमारे देश के कुछ नेता कह रहे है कि देश केवल जमीन के टुकड़े नही होता। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या कोई देश बिना जमीन के भी होता है? इस दर्शन को मानने वाले नेताओं और बुद्धिजीवियों को सबसे पहले पाकिस्तान को यह नसीहत देकर ब्लूचिस्तान और आजाद कश्मीर को, वास्तव में आजाद करने की सलाह देनी चाहिए। उन्हें पता चल जाएगा कि अपने देश की नीतियों और निर्णयों पर, वह जिस आधार पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं, वही आधार न तो पाकिस्तान में चलेगा और न ही चीन में।

अगर देश जमीन के टुकडो से नही बनता है तो बांग्लादेश और भारत के मध्य तीन बीघा गलियारे के लिए एक संविधान संशोधन न होता? बांग्लादेश को पाकिस्तान ने बिना युद्ध किये आजाद क्यों नही कर दिया? जो भी लोग बोल रहे है सबको पता है कि इस्लामाबादी आतंकवाद के पीछे केवल पाकिस्तान की 1971 की हार और बांग्लादेश का उदय मुख्य कारण हैं।

कुछ बुद्धिजीवी जो अभी तक डरा रहे रहे थे, अब कश्मीरियों को भड़काने के काम मे लग गये हैं। उन्हें पता है कि कश्मीर में मोदी सरकार सुनियोजित ढंग से विकास की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है और अगर कश्मीरी शांत रहे तो विकास होने के बाद वह सदा के लिए शांत हो जाएंगे। आम आदमी की जिंदगी में बदलाव आते ही बगावत और नफरत की दुकानों के शटर गिरने लगेंगे और ऐसा होने जा रहा है, इसलिए उन्हें उनकी आन बान शान, अलग पहचान, संस्कृति और महिलाओं की इज्जत का वास्ता देकर बहकाने की एक आखिरी कोशिश हो रही है।

कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक सभी नागरिक जब हिदुस्तानी हैं तो अब सबकी शान एक है। इज्जत एक है। अधिकार एक है और कानून एक है। किसी भी कश्मीरी के साथ किया गया कोई जुल्म आम हिंदुस्तानी के साथ किया गया जुल्म है और उसकी सजा भी वही है। यह बात समझाने के बजाय उन्हें अलगाववादी सोच की तरफ धकेलने की कोशिश नही की जानी चाहिए।

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