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कश्मीर मे अब एकजुटता का समय है

कश्मीर एक ऐसा विषय है, जो सबको बकैती करने का मौका देता है। उनको भी जिन्होंने कभी कश्मीर में कदम न रखा हो और उनकों भी जो कभी उसके भौगोलिक, राजनीतिक इतिहास को पढ़ा भी न हो।

विरोध के नाम पर कुछ भी विरोध करिये यह अच्छी बात नहीं है। आज जो राजनीतिक पार्टियां सरकार के साथ कश्मीर मुद्दे में अलग है वो अपने आप से पूंछे की उन्होंने 2014 के बाद से आमजनमानस के लिए कितनी बार सड़क पर आई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर ऐतिहासिक कदम उठाया है। जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत मिलने वाले कुछ खास विशेषाधिकार और लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग राज्य बनाने की जानकारी गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में दी। सरकार के इस कदम से देशभर में खुशी की जो लहर है, उसे विपक्षी पार्टियां अभी भी भांप नहीं पा रही है। यह समय है कि वो सरकार के साथ खड़े हो और जो गलतियां सरकार ने की हो उसे बताऐ न कि सीधे इसे हटाने की मांग करे।

मुझे लगता हैं कि अगर सरकार कश्मीर से 35ए और 370 हटाना चाहती है, तो साथ देना चाहिए।
कश्मीर भारत का अंग है, और हर कश्मीरी भी भारत का है।

किसका पक्ष लेंगे आप वो अलगाववादी नेताओं का जिनके बच्चे विदेश में रहते हैं और इनके कारण हर महीने कश्मीर में कर्फ्यू लगा रहता है। या फिर महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला का जो कश्मीर को स्वर्ग से कांच का महल बना दिए है कि कहीं एक जगह भी पत्थर मारिए और चारों तरफ टुकड़े टुकड़े।

हमने इस कश्मीर को कभी एक जमीन का टुकड़ा नहीं समझा, जो हर व्यक्ति और कुछ सत्तासीन लोग यह बताते हुए फिर रहे है कि अब वहाँ भी हम जमीन ले सकते है।
साहेब हमने वहाँ अपने लाखों सैनिक और नागरिक खोए है, वो अब जमीन का टुकड़ा नहीं है वो लाखों वीरों के रक्त से सिंचित स्वर्ग है।

हम न पहले कश्मीर को बहुत जानते थे न अभी इसीलिए उतनी बकैती करता हूँ जितना किताबों और वहाँ के लोगों से जाना हूँ।
क्योकि ,यहाँ से बकैती करना आसान है, और वहां तैनात सुरक्षाकर्मी, और नागरिकों का जीवन जीना कठिन है।

हम सरकार से यह उम्मीद करेंगे कि वो उन कश्मीरियों को यह आश्वस्त करेगी कि यह फैसला आपको भागने के लिए नहीं बल्कि आपको और नजदीक लाने की है।

साथ ही सत्तासीन लोगों को भी अपने जुबान पर थोड़ा सब्र रखना होगा, जिससे किसी असामाजिक तत्व को यह मौका न मिले कि वो खाई बनाने लगे और देश को सम्प्रदायिक रंग में रंगने लगे।

इन्हें वाजपेयी जी के उन शब्दों को याद करना होगा———

जो उन्होंने 18 अप्रैल, 2003 को श्रीनगर में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए कहा था, ————-
“हम लोग यहां आपके दुख और दर्द को बांटने आए हैं । आपकी जो भी शिकायतें हैं, हम मिलकर उसका हल निकालेंगे। आप दिल्ली के दरवाजे खटखटाएं । दिल्ली की केंद्र सरकार के दरवाजे आपके लिए कभी बंद नहीं होंगे. हमारे दिलों के दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले रहेंगे”

सरकार से यह भी प्रार्थना है कि वो कश्मीर की कश्मीरियत को बरकरार रहने दे उसको औधोगीकरण का शिकार न होने दे। वहाँ कि वो अनेक नदी नालों और सरोवरों के अतिरिक्त जो कई झीलें हैं, वो ही इसको स्वर्ग बनाता है। वुलर और डल झील कश्मीर के मुख्य आकर्षणों में से एक है, जिसे वहाँ के बाशिंदों ने बड़ी सहजता से उसे सम्भाल के रखा है, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम भी इसे संजोने में उनका सहयोग करे

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