Site icon Youth Ki Awaaz

जानें आपका 1 ऑनलाइन सर्च पृथ्वी को कैसे नुकसान पहुंचाता है

क्या आप जानते हैं कि आपके हर गूगल सर्च और इंटरनेट सर्फिंग से कार्बन एमिशन या कार्बन उत्सर्जन हो रहा है। यदि आप गूगल पर दो बार सर्च करते हैं तो अनुमानत: 14 ग्राम कार्बन का उत्सर्जन होता है, जो केतली में एक कप चाय उबालने में होता है।

इंटरनेट एक क्लाउड है लेकिन यह वास्तव में डेटा सेंटर के लाखों सर्वर पर निर्भर रहता है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एलेक्स विसनर-ग्रॉस के मुताबिक,

दुनियाभर में गूगल बहुत बड़ा डेटा सेंटर ऑपरेट करता है, जिसके लिए बहुत ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ये सभी सर्वर राउटर, स्विचेस और समुद्र के भीतर केबिल या अंडरसी केबिल से जुड़े होते हैं और इन सभी को चालू रखने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की ज़रूरत पड़ती है।

गूगल का प्राइमरी कंसर्न यही है कि उसके सर्च इंजन पर रिज़ल्ट्स बहुत तेज़ी से शो हो, जिसका मतलब है कि काफी ज़्यादा ऊर्जा का दोहन। दुनियाभर में आज भी इलेक्ट्रसिटी उन सोर्सेज़ से आ रही है जो काफी मात्रा में कार्बन का उत्सर्जन कर रहे हैं। जब ऊर्जा की अधिक मांग होती है, तो कोयला तेल से संचालित ये पॉवर प्लांट्स और अधिक कार्बन एमिशन करते हैं।

फोटो सोर्स- YKA

इंटरनेट पॉल्यूशन पर काम करने वाली बर्सिलोना-बर्लिन बेस्ड रिसर्चर जोआना मोल के मुताबिक,

डेटा बहुत अधिक प्रदूषण फैला रहा है और हम लोगों के सामने इतनी स्पष्ट बात धुंधली कैसे हो सकती है। मोल ने गूगल सर्चेस के वातावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताने के लिए डेटा विज़ुलाइजेशन CO2GLE बनाया जो आपके गूगल सर्च के बाद उससे हो रहा कार्बन पॉल्यूशन दिखाता है।

10,000 व्यूज़ वाली वेबसाइट्स पर 2130 किलोग्राम CO2 का होता है उत्सर्जन

आंकड़ों की बात करें तो 2010 से 2016 के बीच वेबसाइट्स की संख्या में 300% से ज़्यादा की बढ़ोतरी हुई है, जिसके चलते इन्हें चालू रखने के लिए पॉवर की डिमांड काफी अधिक बढ़ रही है। अगर एक एवरेज वेबसाइट की बात करें जिसपर हर महीने 10,000 व्यूज़ आते हो, उसके चलते तकरीबन 2130 किलोग्राम CO2 का उत्सर्जन होता है।

फोर्ब्स मैगज़ीन के मुताबिक, इस समय इंटरनेट पर 1 अरब से ज़्यादा वेबसाइट्स मौजूद हैं, जिनमें से 33 करोड़ एक्टिव हैं। वेबसाइट को होस्ट करने वाले 75 लाख सर्वर में से 90% कोयला, तेल गैस से चलने वाले ऊर्जा सयंत्रों से संचालित हैं।

Internet livestats.com वेबसाइट के मुताबिक, गूगल पर रोज़ाना 3.5 अरब सर्च रिक्वेस्ट आती हैं। गूगल के प्रवक्ता ने क्वार्ट्ज़ वेबसाइट को बताया कि एक यूज़र को एक महीने में गूगल सर्विस देने में उतना ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन या एमीशन होता है, जितना कार 1.6 किलोमीटर या 1 माइल चलने में करती है।

हालांकि, वैज्ञानिक इस बात पर अब तक एकमत नहीं हैं कि एक गूगल सर्च पर कितना कार्बन उत्सर्जन होता है लेकिन इस बात पर सहमत हैं कि गूगल सर्च से कार्बन उत्सर्जन होता है। ब्रिटिश एन्वायरमेन्टल कंसल्टेंसी के मुताबिक,

एक गूगल सर्च पर 1 ग्राम से 10 ग्राम के बीच कार्बन रिलीज़ होता है।

हालांकि, इस मसले पर गूगल ने 2009 में माना था कि उसके हर सर्च पर 0.2 ग्राम कार्बन एमिशन होता है। साथ ही, गूगल ने अपनी एक रिपोर्ट mindful of its carbon footprint 2017 में खुद माना है कि 2016 में उसके द्वारा 29 लाख मीट्रिक टन ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन हुआ।

हालांकि, गूगल इन गैसों के प्रभाव को कम करने के लिए एनर्जी एफिसिएंस डेटा सेंटर बना रहा है। गूगल यह दावा करता आ रहा है कि कंपनी 2007 से ही कार्बन न्यूट्रल बनी हुई है लेकिन इससे इस तथ्य को नहीं नकारा जा सकता कि गूगल का इंफ्रास्ट्रक्टर भारी मात्रा में CO2 का उत्सर्जन कर रहा है।

2018 में आईएएम की कॉन्फ्रेंस के दौरान रिसर्चर मोल ने कहा था,

गूगल पर हर सेकेंड सर्च रिज़ल्ट्स लोगों तक पहुंचाने के लिए, 23 पेड़ों को अपनी कार्बन सोखने की क्षमता का इस्तेमाल करना पड़ता है और दुनियाभर में पेड़ों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। हालांकि, गूगल यह कहता आ रहा है कि हम सभी इंटरनेट सर्च इंजन में सबसे कुशल हैं।

सर्च रिज़ल्ट्स से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कैसे कम किया जाए

सोचिए, इन सर्च रिज़ल्ट्स से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम कैसे किया जा सकता है, इसका सीधा और साधारण तरीका है, पावर सोर्सेज़ के लिए फॉसिल एनर्जी सोर्सेज़ पर कंपनियों की निर्भरता घटना। हमारी सरकारों को इन कंपनियों के लिए नियम बनाने चाहिए कि इनके सभी डेटा सेंटर अक्षय ऊर्जा या रिन्यूएबल एनर्जी से चलें। अगर सभी डेटा सेंटर इससे चलेंगे तो सोचिए कितने पेड़ों को अधिक कार्बन डायऑक्साइड सोखनी नहीं पड़ेगी और वातावरण और स्वच्छ होता जाएगा।

_____________________________________________________________________________________

(सोर्स- QUARTZ, Search Engine Land, CBC, Climate care)

Exit mobile version