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सुषमा मेरी पत्नी से कहीं ज़्यादा एक ‘उम्दा दोस्त’ रहीं

स्वच्छ बेदाग राजनीतिक छवि, गरिमामयी मुखमंडल, प्रभावशाली व्यक्तित्व, भारतीय संस्कृति की प्रतिमूर्ति, हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत की विदुषी, प्रखर वक्ता और सबसे बढ़कर मानवीय मूल्यों से परिपूर्ण एक संवेदनशील नेत्री सुषमा स्वराज अब हमारे बीच नहीं रहीं। गत 6 अगस्त को रात 10:50 मिनट पर दिल्ली के एम्स में उन्होंने अपनी अंतिम सांसे लीं।

वर्तमान आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से विलग सुषमा स्वराज उन गिने-चुने नेताओं में से एक थीं जिन्होंने राष्ट्रहित को सदैव स्वहित से ऊपर महत्व दिया। उनके विरोधी भी उनकी ओजपूर्ण भाषण कला और सरल-सौम्य व्यवहार के कायल थे।

वर्ष 2009 में भोपाल के दशहरा मैदान में आयोजित एक सभा के दौरान लाल कृष्ण आडवाणी ने सुषमा स्वराज की मौजूदगी में इस बात का खुलासा करते हुए कहा था,

मुझे सुषमा जी से कॉम्प्लेक्स है, क्योंकि वह बहुत अच्छी वक्ता हैं और मैं अच्छा बोल नहीं सकता।

लाल कृष्ण आडवाणी के साथ सुषमा स्वराज. फोटो क्रेडिट- getty images

भारतीय संस्कृति की जीवंत प्रतिमूर्ति

माथे पर गोल बड़ी बिंदी, मांग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र या मोतियों की माला, हाथों में घड़ी, स्लीव्स वाले ब्लाऊज के साथ कॉटन और सिल्क की साड़ी और उससे मैच करते विदाउट स्लीव्स वाले जैकेट सुषमा स्वराज का सिग्नेचर स्टाइल था।

खास मौकों या तीज-त्योहार के मौकों पर वह भी एक आम भारतीय स्त्री की तरह खूब सजना-संवरना पसंद करती थीं। अंतिम सफर पर निकलते समय भी बड़ी-सी लाल गोल बिंदी सुषमा के माथे पर दमक रही थी और शरीर पर उनके सुहाग की निशानी लाल चुनरी थी, जिसे वह अक्सर करवाचौथ पर पहना करती थीं।

करवाचौथ के मौके पर पति स्वराज कौशल के साथ सुषमा स्वराज, फोटो क्रेडिट- सुषमा स्वराज का ट्विटर अकाउंट

संसद में उनके दमदार स्पीच के साथ-साथ उनके साड़ी पहनने के स्टाइल की भी हर कोई सराहना करता था। विदेश यात्राओं के दौरान भी सुषमा स्वराज इसी लुक में नजर आती थीं।

सुषमा एक अच्छी राजनेता के साथ-साथ सुपर मॉम के रूप में भी फेमस थीं। वह अपनी इकलौती बेटी बांसुरी के साथ-साथ आम भारतीयों के दिलों के भी बेहद करीब थीं। उनका यह लुक इतना फेमस था कि कई बार स्कूली बच्चे फैंसी ड्रेस कॉम्पिटिशन में इसी लुक में नज़र आते थे। ऐसी एक बच्ची के फोटो को ट्वीट करते हुए सुषमा ने कहा था,

लोग आपको रियल और मुझे डुप्लिकेट कहने लगेंगे

स्त्री शक्ति की प्रतिनधि

बहुत कम लोग यह जानते हैं कि सुषमा स्वराज का असली नाम ‘सुषमा शर्मा’ था। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का जन्म वैलेंटाइन डे के दिन हुआ था और उन्होंने अपने मां-बाप के खिलाफ जाकर प्रेम विवाह किया था।

शादी के बाद उन्होंने अपने पति स्वराज कौशल के नाम के साथ अपना नाम जोड़ लिया और तबसे वह सुषमा स्वराज के नाम से जानी जाने लगीं। सुषमा जी ने अपने कार्यों, विचारों एवं व्यवहारों से राजनीतिक एवं व्यक्तिगत जीवन में सफलता के इतने उच्च मानदंड स्थापित किए कि आज उनके पति को भी लोग उनके ही नाम से जानते हैं।

सुषमा स्वराज, फोटो क्रेडिट- getty images

भारतीय सामाजिक परंपरा में यह अपने आपमें स्त्री शक्ति का एक नायाब उदाहरण है, जहां एक पति को उसकी पत्नी की शख्सियत से पहचाना जाता है। उनके पति स्वराज कौशल कहते हैं,

सुषमा ताउम्र मेरी पत्नी से कहीं ज्यादा एक ‘उम्दा दोस्त’ रहीं।

हर कोई कर पाता था खुद को कनेक्ट

सुषमा स्वराज की शख्सियत ही कुछ ऐसी थी कि हर कोई, खुद को उनसे जुड़ा हुआ पाता था। राजनीतिक गलियारों में जहां छुट-भैये नेताओं तक भी आम लोगों का पहुंचना नामुमकिन होता है, वहीं देश की केंद्रीय सत्ता के उच्च शिखर पर आसीन सुषमा स्वराज हर किसी के लिए 24*7 एवलेबल रहने वाली नेता थीं।

वह एक ऐसी राजनेता थीं, जो सूचना क्रांति की वास्तविक संवाहक बन कर उभरीं। उन्होंने ट्विटर के माध्यम से विदेशों में फंसे हज़ारों लोगों की मदद की। रात के दो बजे भी अगर किसी ने सुषमा से मदद मांगी, तो उन्होंने बिना एक पल गंवाये तत्परता से उसकी गुहार सुन कर मदद की।

शायद इसी वजह से उनकी मृत्यु की खबर जान कर हर किसी को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसने अपनी मां, बहन, बेटी या बहू को खो दिया हो। इस खबर को जानने के बाद ना केवल राजनीतिक गलियारे के दिग्गज, बल्कि बॉलीवुड, टीवी वर्ल्ड सहित आम आदमी तक भी अपने आंसुओं को बहने से ना रोक सका। दिल्ली एम्स में उनका ईलाज करनेवाले दो डॉक्टर भी उन्हें ना बचा पाने की अपनी नाकामी पर फूट-फूट कर रो पड़े।

राजनीति के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी दिलचस्पी

सुषमा स्वराज की राजनीति से अलग भी कई क्षेत्रों में दिलचस्पी थी। शास्त्रीय संगीत, कविता, ललित कला और नाटक आदि में उनकी काफी रुचि रही। संगीत और कविता की उनकी समझ की स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी भी कायल थी। तभी तो सुषमा स्वराज की मौत पर लता मंगेशकर जी ने ट्वीट किया,

सुषमा स्वराज जी के अचानक चले जाने से स्तब्ध हूं। वह एक प्रभावशाली और ईमानदार नेता थीं। वे संवेदनशील थीं। उन्हें संगीत और कविता की समझ थीं। वे मेरी दोस्त थीं। हमारी विदेशमंत्री हमेशा याद आयेंगी।

संगीत के अलावा कविता और साहित्य को पढ़ना सुषमा जी को बहुत भाता था। वह कई भाषाएं बोल लेती थीं। संयुक्त राष्ट्र में उनके भाषण की काफी तारीफ हुई थी, जब उन्होंने पाकिस्तान को जमकर खरी-खरी सुनायी थी।

अब भारतीय राजनीति में दूसरी सुषमा स्वराज जैसी किसी हस्ती का पैदा होना लगभग नामुमकिन है। अपने सरल-सौम्य व्यवहार और अपनी ममतामयी छवि से हर दिल में अपनी अमिट छाप छोड़नेवाली भारतीय राजनीति की महान नेत्री को सादर श्रद्धांजलि।

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