विधानसभा चुनाव 2018 के बाद मध्यप्रदेश को जैसे ग्रहण लग गया है। मध्यप्रदेश में काँग्रेस सरकार के आते ही हत्या, लूट, फिरौती, डकैती, अपहरण और भ्रष्टाचार की ऐसी बाढ़ आई कि आम जनता अशांत, भययुक्त और असहाय महसूस करने लगी।
लोक लुभावन वादों की झूठी कहानी बनाकर काँग्रेस ने छलपूर्वक प्रदेश में गठबंधन की सरकार तो बना ली लेकिन आम जनमानस की भावनाओं पर ऐसा कुठाराघात किया कि अल्प समय में ही प्रदेश की जनता में सत्ता परिवर्तन का भाव उत्पन्न हो गया।
ऐसे ही कुछ मामले हैं जिन्होंने आज मध्यप्रदेश राज्य को दहला दिया है।
बच्चों की हो गई निर्मम हत्या
पिछले 15 वर्षों में पूर्व की सरकार ने मध्यप्रदेश को बीमारू राज्य से विकसित राज्य बनाया था। प्रदेश में शांति, सुरक्षा और उन्नति के साथ सभी वर्गों के उत्थान के कार्य हुए थे मगर अब काँग्रेस सरकार के आते ही मासूम बच्चों के अपहरण, हत्या के मामले और गैर कानूनी धंधे अचानक से बढ़ गए हैं। पूरा प्रदेश अशांत और अस्थिर हो गया है। ऐसा ही एक वाकया है सतना ज़िले के चित्रकूट का।
फरवरी 2019 में सतना ज़िले के चित्रकूट में स्कूल बस में दो बच्चों का खुले आम अपहरण कर फिरौती मांगी गई थी। फिरौती में बच्चों के पिता ने 20 लाख रूपए अपहरणकर्त्ताओं को दिए थे लेकिन उन्होंने दोनों बच्चों की निर्मम हत्या कर दी।
पुलिस कर रही अनदेखी
इस घटना के बाद भी अनेक ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनमें बच्चों के अपहरण, हत्या और रेप के प्रकरण समाने आए हैं। पूरे मध्यप्रदेश में सैकड़ों हत्याओं के प्रकरण हैं जिनमें पुलिस अपराधियों को निर्दोष सिद्ध करने में लगी है। नामज़द आरोप होने के बाद भी अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं।
प्रदेश में खनिजों के अवैध उत्खनन के हालात यह हैं कि खनन माफिया रेत का दिन-रात उत्खनन कर रहे हैं। नर्मदा सहित अन्य जीवनदायनी नदियों को खोखला किया जा रहा है और पुलिस अधिकारियों का खनन माफिया से रिश्वत लेते हुए वीडियो वायरल हो रहा है।
मिला फर्ज़ी प्रमाण पत्र और योजनाएं बंद
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किसानों के साथ भी बेईमानी की। अन्नदाता के कृषि ऋण माफी का झूठा आदेश प्रसारित किया गया और फर्ज़ी ऋण माफी प्रमाण पत्र बंटवाए। जिन किसानों को ऋणमाफी प्रमाण पत्र दिए गए उन्हें भी बैंक से वसूली के नोटिस मिल रहे हैं।
इस सरकार ने शिवराज सरकार की कई योजनाओं को बंद कर दिया जैसे-
- ‘कृषक भावांतर योजना’ बंद कर दी गई।
- फसल विक्रय में मिलने वाला बोनस बंद कर दिया गया।
- बिजली के रेट बढ़ा दिए गए।
- किसानों को ऋणमाफी का लोभ दिखा कर उनकी भावनाओं से खिलवाड़ हुआ और कर्ज़माफी की आशा में किसान और अधिक ब्याज के साथ ऋणी हो गया।
- गरीबों का सहारा तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा संचालित ‘संबल योजना’ बंद कर दी गई।
1 अप्रैल 2018 को शिवराज सरकार द्वारा संबल योजना आरंभ की गई जिसके तहत असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए अभूतपूर्व योजना थी। इस योजना के अंतर्गत शिवराज सरकार के कार्यकाल में प्रदेश के लाखों लोगों को पंजीकृत कर, उनके बिजली बिल माफ किए गए थे तथा प्रतिमाह मात्र 200 रू की दर से बिजली दिए जाने की कार्य योजना थी।
इसी तरह ‘दीनदयाल रसोई योजना’ भी मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बंद कर दी। 2017 से शिवराज सरकार द्वारा आरंभ की गई इस योजना में गरीबों को मात्र 5 रू में भरपेट भोजन दिया जाता था।
ऐसी बहुत सारी योजनाएं थी जो जन कल्याणकारी थीं। ये योजनाएं समाज के कमज़ोर लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कारगर सिद्ध हो रही थीं मगर उन्हें काँग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही बंद कर दिया।
हर वर्ग के साथ अन्याय
युवाओं को रोज़गार के नाम पर मवेशी चराने और बैंड बजाने का प्रशिक्षण देने की घोषणा कर अपमानित किया गया। युवा, किसान, छात्र, दलित, पिछड़ा और सवर्ण सभी के साथ अन्याय हुआ है।
प्रदेश में शासकीय कर्मचारियों और अधिकारियों के स्थानांतरण का उद्योग चलाया गया जो बदस्तूर जारी है। स्थानांतरण के नाम पर फिरौती के तहत करोड़ों रूपए वसूले गए। हर तरफ लूट मची है और सत्ता का दुरूपयोग कर विपक्ष नेताओं के खिलाफ षड्यंत्र हो रहे हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि यह लोकतंत्र के नेता नहीं लुटेरे हैं और ऐसे लुटेरे हैं, जिन्हें अतिशीघ्र सत्ता से मुक्त नहीं किया गया तो प्रदेश बर्बाद हो जाएगा। वर्तमान में प्रदेश की दयनीय दशा देखकर जनमानस के मन में क्रोध एवं पीड़ा है। मध्यप्रदेश की काँग्रेस सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है और प्रदेश की जनता तत्काल सत्ता परिवर्तन चाहती है।