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“कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने पर मेरी खुशी को लोग झूठी हंसी समझते हैं”

प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रतीकात्मक तस्वीर

सावन का महीना चल रहा है और हर तरफ शिव भक्तों की गंगा बह रही है। चाहे वह सड़कें हों या आभासी दुनिया, पूरे सावन यह धूम मची रहेगी। इस पावन महीने में सोमवार का खास महत्व होता है। शिवभक्त हर सोमवार पूजा-पाठ करने के बाद ही कुछ अन्न ग्रहण करते हैं। इस सप्ताह सावन का तीसरा सोमवार था। अपने स्कूल में बैठा अपना मोबाइल चला रहा था, तभी एक संदेश आया-

पहला सोमवार- चन्द्रयान- 2

दूसरा सोमवार- तीन तलाक बिल

तीसरा सोमवार- कश्मीर निपटारा

अभी एक सोमवार बाकी है

हर हर महादेव

उसके बाद कई अपडेट्स आने लगे। खबर मिलते ही अपने एक दोस्त को मैसेज आगे भेजने लगा। साथ बैठे सहकर्मियों से किस लहज़े में यह बात कहूं, समझ नहीं आ रहा था। हमारे देश में एक अजीब माहौल बना हुआ है, जहां लोग अल्पसंख्यकों को शक की नज़रों से देखते हैं।

अगर मैं कहता, ‘वाह मज़ा आ गया, अनुच्छेद 370 हटा दिया गया’, तो लोग सोचते कि झूठी हंसी हंस रहा हूं। अब अगर चुप रहूं तो अंदर ही अंदर दुखी कहा जाऊंगा। घर पहुंचकर आराम ही कर रहा था कि मेरे एक अजीज़ मित्र का कॉल आता है। बिल्कुल भोजपुरिया अंदाज़ में कहता है, “का हो, का हाल बा?” मैं उसकी मंशा समझ गया। मित्र ने मुझे फिर कहा कि मैं फेसबुक पर कुछ लिखूं। उसके कहने पर सहमति जताते हुए अपनी इच्छा भी बताई और रात तक इंतज़ार करने को कहा।

अब देखिए ना बस कुछ ही दिनों पहले की बात है। हमारी एक सबसे अजीज़ महिला मित्र का कॉल आया। संयोग से वह भी एक शिक्षिका है। तिवारी जी ने कहा, “जानते हैं मुस्तफा, आज मेरे स्कूल में एक अजीब घटना घटी।” मैंने कहा, “क्या हो गया भाई?”

वैसे बता दूं कि तिवारी जी मुझे प्रेम से मुस्तफा कहती हैं। तिवारी जी ने कहानी के बारे में बतान शुरू किया, “विद्यालय में कुश्ती के लिए इंडिया और पाकिस्तान के नाम से दो टीमें बनाई गईं। बस यूं ही कुछ और दिमाग में नहीं आया। कुछ मुस्लिम बच्चों ने खुद से ही पाकिस्तान टीम जॉइन कर लिया।”

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार: Getty Images

तिवारी जी की बातों से मेरे ज़हन में ख्याल आया कि अब भारत में माहौल कुछ ऐसा बन चुका है कि हिंदू-मुस्लिम की बात होते ही मुझे चिढ़ होने लगती है। मुझे लगता है कि मुझे शक के नज़रिए से देखा जा रहा है।” मैंने तिवारी जी से पूछ ही लिया, “मुझे तो कुछ नहीं कह रही हैं ना?” क्या बताऊं, उनके जवाब ने मुझे बहुत निराश कर दिया। उन्होंने कहा,”आप भी वैसे ही रिएक्ट कर रहे हैं।”

खैर, तिवारी जी और मेरे बहुसंख्यक भाईयों से मैं कहना चाहूंगा कि टीवी पर जो दिन-रात हिंदू-मुसलमान और भारत-पाकिस्तान की बातें होती हैं, यह सब उसी का असर है। हर बात पर जो पाकिस्तान भेजने की बात कही जाती है, यह उसका भी असर है। कुछ धार्मिक कारण भी हैं मगर हम यह नहीं कह सकते कि यही सिर्फ एक कारण है।

ऐसी बात नहीं है कि इस तरह की चीज़ें सिर्फ यहां के मुसलमान ही करते हैं। पाकिस्तान के हिंदू भी ऐसा करते होंगे। हमें यह बात सोचने की ज़रूरत है कि ऐसा माहौल ना बने जहां इस तरह की बातें हो सके। हर इंसान के अंदर वतनपरस्ती के साथ-साथ इंसानियत भी होनी चाहिए।

आज अनुच्छेद 370 ने मुझे फिर से उसी मोड़ पर खड़ा कर दिया है, जहां ना खुलकर हंसा जा रहा है और ना ही चुप रहा जा रहा है। बंदोबस्त कराओ लाल किले की प्राचीर पर, वहां से कह दूं कि मैं धारा 370 के खात्मे का स्वागत करता हूं।

मैंने हमेशा सहमति को सर्वोपरेे रखा है और रखता रहूंगा लेकिन हमारा देश अगर अलगाव के लिए  सहमति की राह पर चलेगा, तो कई राज्य ऐसे हैं जो स्वायत्त होना चाहते हैं, फिर भारत का वज़ूद ही मिट जाएगा। वर्तमान समय में राष्ट्र के रूप में एक पहचान ज़रूरी है।

नरेन्द्र मोदी। फोटो साभार: Getty Images

भारत सरकार के इस फैसले के खिलाफ जा पाना अब अलगाववादियों के बूते की बात नहीं है। जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग केंद्रशासित प्रदेश बना देना सरकार का बहुत ही रणनीतिक कदम है। लद्दाख एक बौद्ध बहुल इलाका है, जहां मुझे उम्मीद है कि कोई अशांति नहीं फैलेगी। कश्मीर भी धीरे-धीरे शांत हो ही जाएगा।

मेरा यह ज़रूर मानना है कि वहां दूसरे राज्यों के लोगों को संपत्ति खरीदने की इजाज़त नहीं देनी चाहिए। ऐसा उसकी सुंदरता को लेकर मेरा अपना नज़रिया है, नहीं तो आने वाले समय में कश्मीर घाटी को पटना और दिल्ली बनने में समय नहीं लगेगा।

जाते-जाते एक बात और बता दूं, वक्त के हिसाब से पंडित नेहरू ने भी बहुत ही बढ़िया कदम उठाया था और आज की सरकार ने भी शानदार कदम उठाया है फिर भी दोनों की कोई तुलना नहीं!

बाकी, चौथा सोमवार- राम मंदिर

जय श्री राम!!

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