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“रवीश कुमार के आलोचक से फैन बनने की मेरी कहानी”

रवीश कुमार

रवीश कुमार

रवीश,

आज इस खुले खत के माध्यम से मुझे बताते हुए यह अफसोस नहीं है कि एक समय मैं आपका घोर आलोचक था। आपको लेकर कई सारी बातें मेरे ज़हन में बैठ गई थीं, जैसे कि सत्ता विरोधी खबरें चलाना और विपक्षी दल से एक भी सवाल ना करना आदि। कई दफा आपके बारे में बातें करते हुए दोस्तों से मेरी बहस हो जाती थी।

‘रवीश अच्छे पत्रकार हैं’ कहने वालों से मैं केवल इतना ही कहता था कि रवीश एक अच्छे सोशल जर्नलिस्ट हैं मगर उनकी औसत खबरों में नकारात्मकता ही क्यों रहती हैं? मैं मानता हूं कि सिस्टम में बहुत सारी कमियां हैं मगर एक भी अच्छाई तो होगी! अगर आप लगातार खबरों के ज़रिये सरकार के कामों की आलोचना करते रहेंगे तो लोग यही कहेंगे ना कि रवीश तो एजेंडा चलाते हैं।

मैं मानता हूं कि आप झुग्गियों में जाकर अच्छी रिपोर्टिंग करते हैं, आप मज़दूरों से लेकर स्टूडेंट्स के मुद्दों को उठाते हैं जिनके बारे में शायद ही कोई मीडिया फिक्रमंद हो लेकिन लगातार सत्ता की बुराई करना भी तो अच्छी बात नहीं है।

खैर, आपको बधाई देना भूल गया। रैमॉन मैगसेसे अवॉर्ड अपने नाम करने के लिए बहुत-बहुत बधाई। इस अवॉर्ड से एक बात याद आई, वो यह कि मेरे जैसे तमाम लोग जो आपके लिए ज़हन में नकारात्मक छवि रखे हुए थे, वे आपसे मोहब्बत करने लगे क्योंकि रैमॉन मैगसेसे आपको मिला।

रवीश कुमार। फोटो साभार: Getty Images

यह भी सत्य है कि मैं जितना ज़्यादा आपका आलोचक हूं, उतना ही अधिक फैन भी हूं। रैमॉन मैगसेसे अवॉर्ड प्राप्त करने के बाद जब आप सोशल मीडिया पर एकदम छाये हुए थे, तब कहीं ना कहीं हम आम लोग भी आपकी खुशी में खुद को हिस्सेदार मान रहे थे। हमें लगा कि चलो अब लोग रवीश के बारे में उल्टी-सीधी बातें नहीं करेंगे मगर कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने पर जो आपका प्राइम टाईम आया, वह वाकई में निराश कर देने वाला था।

हमने यह नहीं सोचा था कि आप कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटाये जाने के खिलाफ इस कदर एंकरिंग करेंगे। रवीश, पुलवामा आतंकी हमने के बाद आप कई दफा उन एंकर्स की आलोचना करते नज़र आए थे, जिन्होंने स्टूडियो को वॉर रूम बना दिया था। मैं पूछता हूं अनुच्छेद 370 वाले मामले पर आपने क्या किया? पत्रकार का काम किसी चीज़ पर अपनी राय थोपना नहीं,  बल्कि जनता और सराकर के बीच एक पुल की तरह काम करने का होता है लेकिन आपने तो ऐसा नहीं किया।

विश्लेषण करने का काम तो पार्टी प्रवक्ताओं का है। यह काम पत्रकारों को कब से सौंप दिया गया? रवीश जी, भले ही मैं आपकी तीखी आलोचना कर रहा हूं मगर जब भी सोशल मीडिया पर किसी दूसरे मुल्क का आदमी आपको घेरने की कोशिश करता है, तब मेरा खून खौल जाता है क्योंकि वही बात आ जाती है ना! आप चाहे जैसी भी पत्रकारिता करते हैं, काम तो देश के लिए ही करते हैं ना। हमारे और आपके बीच असहमतियां हो सकती हैं लेकिन दूसरे मुल्क में अगर कोई आपकी निंदा करेगा, तो भारतीय होने के नाते मैं आपके पक्ष में बोलूंगा।

यही चीज़ मैं आपको भी समझाने की कोशिश करता हूं रवीश जी। यह मुल्क हमारा है और इसकी हज़ार बुराईयां आप चाहे क्यों ना दिखा लीजिए लेकिन कोई एक अच्छाई तो दिखाइए ताकि रैमॉन मैगसेसे मिलने के बाद आपके प्रति लोगों का जो सकारात्मक नज़रिया बना है, वह बना रहे। अंत में एक बात ज़रूर कहना चाहूंगा और वो यह कि मैं भले ही आपकी आलोचना करता हूं लेकिन फैन तो हूं जबरा वाला।

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