मेरे विचार से यह इस साल की सबसे सुंदर तस्वीर है, जिसमें हमें एक पुरुष की संवेदनशीलता और उसमें मौजूद मातृत्व की झलक मिलती है। यह तस्वीर है न्यूज़ीलैंड के स्पीकर ट्रेवर मैलार्ड की, जो एक बच्चे को बोतल से दूध पिलाते नज़र आ रहे हैं। इस तस्वीर की खास बात यह है कि ऐसा करते हुए वह अपने घर के सोफे या आराम कुर्सी पर नहीं बैठे हैं, बल्कि न्यूज़ीलैंड की संसद के स्पीकर की कुर्सी पर बैठे हैं।
दरअसल, न्यूज़ीलैंड के सांसद तमाटी कॉफी पितृत्व अवकाश के बाद पहली बार अपने एक महीने के बेटे के साथ संसद में पहुंचे थे। संसद की कार्यवाही के दौरान तमाटी कॉफी सदन को संबोधित कर रहे थे। उसी बीच उनका बेटा रोने लगा। ऐसे में स्पीकर ट्रेवर मैलार्ड बच्चे की देखभाल करने के लिए आगे आए और उसे बोतल से दूध पिलाते नज़र आए।
यह तस्वीर ट्रेवर मैलार्ड ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर की। उनकी इस तस्वीर ने करोड़ों लोगों का दिल जीत लिया है। साथ ही यह तस्वीर एक मिसाल भी पेश कर रही है कि महिलाओं की तरह पुरुष भी बच्चे की ज़िम्मेदारी बखूबी निभा सकते हैं।
दूसरी ओर, अगर भारतीय संसद की बात करें तो हमारे ज़हन में जो तस्वीर उभरती है, उसमें हमारे सांसद एक-दूसरे पर शब्दों के तीखे बाण चलाते नज़र आते हैं या फिर शोर-शराबा और नारेबाज़ी करते ही नज़र आते हैं। इसके विपरीत ट्रेवर मौलार्ड की यह तस्वीर बताती है कि पुरुषों में भी संवेदनशीलता का गुण मौजूद होता है और शासन-प्रशासन के सर्वोच्च पद पर बैठकर भी किस तरह अपनी ज़िम्मेदारियां निभाई जा सकती हैं।
भारतीय समाज में जो पुरुष यह कहते हैं कि ऑफिस की व्यस्तताओं की वजह से वह अपने परिवार और बच्चों के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं, उन्हें इस तस्वीर को देख कर सीख लेनी चाहिए। साथ ही भारतीय लोकतंत्र के प्रतिनिधियों को भी इस विषय की ओर ध्यान देना चाहिए कि किस तरह से वे भारत के सरकारी कार्यालयों को वर्कर फ्रेंडली और मैनेजमेंट को मानवतावादी बना सकते हैं।
कार्यालयों को फैमिली फ्रेंडली बनाने की है ज़रूरत
जब से ट्रेवर मैलार्ड ने स्पीकर का पद संभाला है, उन्होंने संसद को अधिक फैमिली फ्रेंडली बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। ये बदलाव न्यूज़ीलैंड की महिला सांसदों के लिए वरदान साबित हुए हैं। महिला सांसदों को अब सदन में बच्चों को स्तनपान करवाने की भी छूट है।
इसके विपरीत इस महीने 7 अगस्त को केन्या की संसद नैशनल असेंबली में जब एक महिला सांसद ‘जुलेखा हसन’ अपने पांच माह के बच्चे के साथ संसद की कार्यवाही में हिस्सा लेने पहुंची, तो निचले सदन के अस्थाई अध्यक्ष क्रिस्टोफर ओमुलेले ने यह कहकर उन्हें ज़बरदस्ती बाहर निकालने का आदेश दिया कि संसद में बच्चों के लिए कोई जगह नहीं है।
हमारे देश में भी ऑफिस तो दूर की बात है, बस, ट्रेन या पार्क में भी अगर कोई महिला अपने बच्चे को दूध पिलाती हुई नज़र आ जाती है तो लोग उसे ऐसे घूरते हुए नज़र आते हैं, मानो उसने कोई बड़ा पाप कर दिया हो। मेडिकल साइंस के अनुसार अपने नवजात को स्तनपान करवाते समय जो माँएं आरामदायक तथा सुकून की स्थिति में होती हैं, उन बच्चों का मानसिक व शारीरिक विकास तुलनात्मक रूप से बेहतर होता है।
मदर फ्रेंडली असेम्बली के कुछ अन्य उदाहरण
- जून 2018 में कनाडा की डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूशन मिनिस्टर ‘कैरिना गोल्ड’ हाउस ऑफ कॉमन्स की कार्यवाही के दौरान अपने नवजात बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करवाती दिखी थी।
- दो वर्ष पहले 2017 में ऑस्ट्रेलिया की सीनेटर लराइसा वाटर्स की एक तस्वीर खूब वायरल हुई थी, जिसमें वह ऑस्ट्रेलियाई संसद में अपने नवजात को स्तनपान करवाती हुई नज़र आईं थी।
- वर्ष 2016 में ब्राज़ील के नैशनल असेम्बली में बहस के दौरान एक महिला सांसद ‘मैन्युअल डाविला’ की अपने बच्चे को दूध पिलाती हुई तस्वीर वायरल हुई थी।
- वर्ष 2015 में अर्जेंटीना की सबसे कम उम्र की महिला सांसद ‘विक्टोरिया डोंडा पेरेज’ भी संसद की कार्यवाही के दौरान अपनी 8 महीने की बच्ची को दूध पिलाती हुई दिखी थी। एक स्थानीय समाचार पत्रिका ‘इंफोबे’ ने डोंडा की यह तस्वीर ‘कार्य-मातृत्व संतुलन’ के शीर्षक के साथ ट्विटर पर शेयर की थी, जो जल्द ही वायरल हो गई थी।