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भाजपा के संकट मोचन के रूप में जाने जाते थे अरुण जेटली

पूर्व वित्त मंत्री, भाजपा के वरिष्ठ नेता और  भोपाल गैस कांड के आरोपी एंडरसन के वकील अरुण जेटली अब हमारे बीच नहीं रहे हैंउन्होंने 66 वर्ष की उम्र में दिल्ली एम्स में आखिरी सांस ली है। कई दिनों पहले से ही उनकी सेहत को लेकर आशंका जताई जा रही थी कि उनकी स्थिति नाज़ुक है और कुछ भी कहा नहीं जा सकता है। वित्त और रक्षा मंत्रालय संभालने के कारण उन्हें संकट मोचन भी कहा जाता था। 

2014 में बीजेपी की जीत के बाद जेटली ने प्रधानमंत्री को खत लिखकर अपने स्वास्थ्य की सूचना देते हुए कहा था कि अब वह ज़िम्मेदारियां नहीं लेना चाहते हैं, क्योंकि उनकी सेहत अब ठीक नहीं रहती और अब वह अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहते हैं।

शुरुआती जीवन 

अरुण जेटली का जन्म 28  दिसम्बर 1952 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता का नाम किशन जेटली और माता का नाम रतन प्रभा जेटली था। उनके पिता वकील थे। जेटली की प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल दिल्ली से वर्ष 1957-69 से पूरी हुई और उसके बाद उन्होंने 1973 में श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से स्नातक की पढ़ाई की और दिल्ली विश्वविद्यालय से वर्ष 1977 में उन्होंने विधि संकाय की डिग्री हासिल की। 24 मई 1982 को उनका विवाह संगीता जेटली से हुआ था और उनके दो बच्चे भी हैं।

राजनीतिक सफर 

दैनिक जागरण में प्रकाशित उनके राजनीतिक सफर के अनुसार,

जेटली, लाल कृष्ण आडवानी द्वारा विपक्ष के नेता भी चुने गए थे लेकिन उन्होंने वन मैन वन पोस्ट सिद्धांत को मानते हुए महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में महिला आरक्षण विधेयक के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और जन लोकपाल विधेयक के लिए अन्ना हज़ारे का समर्थन भी किया था। वाजपयी सरकार में उनपर ज़िम्मेदारियां बढ़ती गई थी

राजनीतिक सफर में केवल एक ही लोकसभा का चुनाव लड़ा

जेटली ने अपने राजनीतिक सफर में केवल एक ही लोकसभा का चुनाव लड़ा, जो वर्ष 2014 में हुआ था लेकिन जेटली इस चुनाव में अमरिंदर सिंह द्वारा 1 लाख वोटों से हार गए। इन सबके बावजूद उन्हें मोदी सरकार में  मई 2014 को वित्त मंत्रालय की ज़िम्मेदारी सौंपी गई और इसके साथ उन्हें कॉर्पोरेट मंत्रालय और रक्षा मंत्री का भी अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। राज्यसभा में उनकी पहुंच की सीढ़ी उत्तर प्रदेश से गुज़रते हुए पहुंचती है और इसके पहले वह गुजरात से राज्यसभा के सांसद भी रह चुके थे। 

अरुण जेटली कभी जनता के बीच नहीं गए, जिस वजह से शायद जनता का उनसे जुड़ाव ना हो लेकिन वह हमेशा अपने फैसलों और राजनीतिक जीवन के कारण आम जनता के बीच याद किए जाएंगे।

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