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क्या सरकारी स्कूलों में 30 बच्चों पर एक शिक्षक के नियम का पालन हो रहा है?

स्टूडेंट्स

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भारत के सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक निःशुल्क शिक्षा का अधिकार है। यही नहीं, सरकारी स्कूलों में 30 बच्चों पर एक शिक्षक की उपलब्धता अनिवार्य है।

इसके अलावा भी कई चीज़ें हैं। जैसे-

दिक्कत यह है कि नियम होने के बावजूद भी कई सरकारी स्कूलों में ये सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती हैं। कुछ इलाकों में विद्यालय की स्थिति बहुत ही खराब है। सरकारी स्कूलों में अधिकतर गरीब लोगों के बच्चे पढ़ते हैं लेकिन दुःख की बात यह है कि यह भगवान भरोसे चलता है।

मैंने देखा है सरकारी स्कूलों में योग्य शिक्षक होते हुए भी बच्चे पढ़ाई में कमज़ोर होते हैं। इसलिए ज़्यादातर माता-पिता लड़कों को किसी तरह से प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा लेते हैं लेकिन लड़कियों को नहीं पढ़ाते हैं।

सरकारी स्कूलों की हालत सुधारने की ज़रूरत

सरकारी व्यवस्था का सही तरीके से उपयोग नहीं हो रहा है। इसका कारण है नागरिकों का ध्यान ना देना। लोगों को सोचना चाहिए कि प्राइवेट से ज़्यादा सरकारी स्कूलों में सुविधाएं होती हैं। तो क्यों ना उस व्यवस्था को ठीक से चलाया जाए और सारे बच्चों का भविष्य बनाकर देश को आगे बढ़ाया जाए।

जिस प्रकार से मोटरसाइकिल चलाने के लिए दो पहियों की ज़रूरत होती है, ठीक उसी तरह देश के विकास के लिए लड़का और लड़की दोनों का पढ़ना ज़रूरी है।

बच्चे गरीब हो या अमीर, सभी कल के भविष्य हैं। कई लोग गरीबी और आर्थिक तंगी के कारण अपने बच्चों को ज़्यादा पढ़ा नहीं पाते हैं। आज दुनिया बहुत आगे निकल चुकी है। हमारे वैज्ञानिकों ने इतनी तेज़ी से दुनिया को बदल दिया है कि अब हर काम मशीनों द्वारा किया जाने लगा है। अब हर काम ऑनलाइन होने लगा है। बिना पढ़े-लिखे लोगों के लिए आज के समय में कोई भी काम करना बहुत ही कठिन हो गया है।

फोटो साभार- Getty Images

चाहे वह भारत हो या कोई और देश, आज के दौर में ज़िंदगी जीने के लिए शिक्षा बहुत ही ज़रूरी है। गरीबी और घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण ना जाने कितने बच्चों को पढ़ाई नसीब नहीं होती है। सरकार का शिक्षा पर कोई खास ध्यान ही नहीं है। सरकार को शिक्षा पर खास ध्यान देते हुए अच्छी शिक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए।

मैं तो यह नहीं समझ पाता हूं कि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों से पढ़ाने के साथ-साथ जनगणना जैसे कार्य क्यों कराए जाते हैं। उनका काम बच्चों को पढ़ाना है, ना कि घर-घर जाकर यह पूछना कि आपके घर में कितने बच्चे हैं। शिक्षकों को इन कामों में उलझाकर हम देश के भविष्य के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ कर रहे हैं।

देश के औसत प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की स्थिति यह है कि उन्हें अच्छी सैलरी भी नहीं मिलती है। हमें वक्त रहते इन चीज़ों में सुधार लाना पड़ेगा ताकि बदलते भारत की शानदार नींव शिक्षा के ज़रिये रखी जा सके।

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