एडिटर्स नोट: [Youth Ki Awaaz ने मामले की आधिकारिक पुष्टि के लिए सारंगपुर विधायक कुंवर कोठार से रविवार सुबह बात की। उन्होंने बताया कि ज़िले के डीएम को इस बारे में कहा गया है कि वह जल्द से जल्द घीसू लाल के परिवार के रहने के लिए किसी जगह का बंदोबस्त करें।]
मध्यप्रदेश के राजगढ़ ज़िला अंतर्गत सारंगपुर प्रखंड में अतिक्रमण के नाम पर एक गरीब दलित परिवार के घर तोड़ने का मामला प्रकाश में आया है। प्रखंड के वार्ड नंबर 7 में नगरपालिका के पीछे घीसू लाल अपने कच्चे मकान में रहते थे, जिसे नगरपालिका द्वारा 7 अगस्त 2019 को तोड़ दिया गया है।
नगरपालिका द्वारा अतिक्रमण के बाद एक पैर से विकलांग बुज़ुर्ग घीसू लाल की मुश्किलें तेज़ हो चुकी हैं। एक तो शारीरिक तौर पर परेशानियां और उपर से सरकारी बाबुओं द्वारा अतिक्रमण की मार। गौरतलब है कि एक कच्ची झोपड़ी के एक भाग में घीसू लाल अपनी पत्नी और नत्नी के साथ रहते थे और दूसरे हिस्से में उनकी दो भैंस और बछड़े बंधे रहते थे।
घर की स्थिति बहुत ही दयनीय है। भैसों का दूध बेचकर वह किसी तरह अपना जीवन यापन करते हैं। उनके 7 बच्चों में से 6 की मौत हो चुकी है, एक लड़की अभी ज़िंदा है जो ससुराल में रहती है।
घीसू लाल के परिवार बीपीएल कार्ड धारक हैं लेकिन उन्हें आज तक ना तो मुख्यमंत्री आवास मिला और ना ही प्रधानमंत्री आवास मिला है। नगरपालिका द्वारा जो शौचालय बनवाया गया था, उसे भी अतिक्रमण के दौरान तोड़ दिया गया।
आज आलम यह है कि परिवार के सोने और खाने के लिए भी कोई जगह नहीं है। बारिश के दौरान टपकने वाले पानी के बीच उन्हें खुले आसमान में ही रहना पड़ता है। उनकी दो भैंसे भी हैं जिन्हें अंधेरे में खुले आसमान के नीचे बांधना पड़ रहा है।
घीसू लाल के पास खेती की एक क्यारी तक नहीं है, जिससे वह अपना जीवन यापन कर सके। उनका परिवार केवल भैंस के दूध पर ही आश्रित है।
बता दें कि घीसू लाल के परिवार को नगरपालिका ने पूर्व में कोई सूचना नहीं दी थी कि उनका मकान तोड़ा जाएगा। उस इलाके में अतिक्रमण के ज़रिये कई पक्के मकान बने हुए हैं, जिनपर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है लेकिन असहाय और गरीब घीसू लाल के आशियाने को तोड़ दिया गया। घीसू लाल 20-25 साल से वहीं पर रह रहे थे और उनके पास इससे संबंधित तमाम कागज़ात भी हैं।
नगरपालिका अध्यक्ष का कहना है कि अतिक्रमण के विषय में हमने उन्हें लिखित रूप में जानकारी दी थी और अब कानूनी कार्रवाई हो रही है। राजगढ़ की डीएम निधि निवेदिता ने इस बारे में सीएओ से बात करने का आश्वासन दिया।
वहीं, घीसू लाल और उनकी पत्नी ललता बाई का कहना है कि कहीं और पर्याप्त जगह और मकान बनाने का मुआवज़ा मिलने पर वे मकान छोड़ने के लिए तैयार हैं। ललता बाई ने कहा कि मेरे परिवार के रहने के लिए इतनी सी जगह पर्याप्त नहीं है। हमारे जानवर भी ऐसे खुले में नहीं रख सकते। मुझे न्याय नहीं मिलने पर यह लड़ाई राजगढ़ से लेकर भोपाल तक लड़ूंगी।