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सुषमा स्वराज बता गईं कि बड़े पद पर रहते हुए रिश्ते कैसे निभाए जाते हैं

एक तरफ जहां पूरा देश जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और पुर्नगठन की खुशियां मना रहा था वहींं अचानक एक खबर आई, जिसने पूरे देश को भावुक कर दिया। यह खबर थी कि पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हमारे बीच नहीं रहीं।

भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार रात एम्स अस्पताल में निधन हो गया।

बताया जा रहा है कि उन्हें 10 बजकर 15 मिनट पर अस्पताल ले जाया गया था, जहां से उन्हें सीधे आपातकालीन वार्ड में शिफ्ट किया गया लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी। एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि उनका निधन हृदय गति रुकने से हुआ।

पक्ष हो या विपक्ष सबके साथ था आत्मीय रिश्ता

सुषमा स्वराज के निधन के बाद तमाम लोगों ने उन्हें अपने-अपने तरीके से याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। पक्ष हो या विपक्ष, सुषमा स्वराज का सबके साथ एक आत्मीय रिश्ता था।

सुषमा स्‍वराज को याद करते हुए सब भावुक हुए और उनके व्यक्तित्व एवं व्यवहार को याद करते हुए सब ने कुछ ना कुछ कहा। इसी तरह उनके साथी और वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा,

सुषमा जी ओजस्‍वी वक्‍ता थीं। 25 साल की उम्र में पहली बार मंत्री बनीं। 42 साल तक पार्टी के लिए काम किया। 1982 से मेरा उनके साथ संपर्क रहा। चार दिन पहले ही बात हुई थी। वह बिलकुल ठीक थीं। कल्‍पना भी नहीं कर पा रहा हूं कि वह चली जाएंगी।

वहीं अमित शाह ने कहा,

आज उनके जाने से बड़ी विपदा भारत के राजनीतिक क्षेत्र में आ खड़ी हुई है, जो लंबे समय तक भर नहीं पाएगी। हम सभी अत्यंत दुख के साथ सुषमा जी को विदाई देने के लिए अपना मन तैयार कर रहे हैं। भगवान उनके परिवार को इस अघात को सहने की शक्ति दे। सुषमा जी की आत्मा को भगवान चिर शांति दें। देश उनकी सेवाओं को हमेशा याद रखेगा।

मोदी सरकार की ईमानदार और जुझारू नेता

सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को हुआ था। सुषमा एक भारतीय महिला राजनीतिज्ञ और भारत की पूर्विव देश मंत्री थी। वह वर्ष 2009 में भारत की भारतीय जनता पार्टी द्वारा संसद में विपक्ष की नेता चुनी गईं थीं। इस नाते वह भारत की पन्द्रहवीं लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता रहीं हैं।

इसके पहले भी वह केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में रह चुकी हैं तथा दिल्ली की मुख्यमन्त्री भी रहीं हैं। वह सन 2001 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के 19 सदस्यीय चुनाव-प्रचार-समिति की अध्यक्ष भी रहीं थीं।

सुषमा स्वराज और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, फोटो क्रेडिट- सुषमा स्वराज का ट्विटर अकाउंट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुषमा स्वराज का संगठन से लेकर सरकार तक का एक लंबा साथ रहा। मोदी के पहले कार्यकाल में सुषमा स्वराज विदेशी मंत्री बनी थी। एक ईमानदार और जुझारू नेता के रूप में सुषमा स्वराज, मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी ताकत थी। अपनी इसी कर्तव्यनिष्ठ नेता को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,

भारतीय राजनीति के एक गौरवपूर्ण अध्याय का अंत हो गया। गरीबों और समाज के लिए जीवन देने वाली अद्वितीय नेता के निधन पर पूरा भारत दुखी है। सुषमा स्वराज जी अपनी तरह की अकेली इंसान थीं। वे करोड़ों लोगों की प्रेरणा का स्रोत थीं।

वहीं सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने सुषमा स्‍वराज के आकस्मिक निधन पर कहा,

मुझे विश्‍वास नहीं हो पा रहा है कि वो हमें इतनी जल्‍दी छोड़कर चली जाएंगी। यह पूरे देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है। उन्‍होंने हमेशा लोगों की मदद की है। फिर चाहे वो हामिद अंसारी हो, सरबजीत हो या फिर गीता और जाधव। उन्‍होंने सबकी मदद की। भगवान उनकी आत्‍मा को शांति दे।

इसके अलावा काँग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा,

सुषमा स्वराज जी के निधन के बारे में सुनकर स्तब्ध हूं। वह एक अद्भुत नेता थीं जिनकी पार्टी लाइन से इतर मित्रता थी।

उन्होंने कहा,

दुख की इस घड़ी में उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदना है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। ऊॅं शांति।

श्रद्धांजलि देते हुए भर आईं हर एक की आंखें

सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि देने के लिए 96 साल के MDH मसालों के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी बीजेपी मुख्यालय पहुंचे थे। वहां सुषमा स्वराज का शव देखते ही वह फूट-फूटकर रो पड़े।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला और गृह मंत्री अमित शाह ने सुषमा स्वराज को उनके जंतर-मंतर स्थित आवास पर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। इनके अलावा कांग्रेस नेता राहुल गाँधी, सोनिया गाँधी, बाबा रामदेव, भाजपा सांसद हेमा मालिनी, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी, दिल्ली के ले.गवर्नर अनिल बैजल, बसपा प्रमुख मायावती, कैलाश सत्यार्थी समेत कई हस्तियों ने उनके आवास पर पहुंचकर सुषमा स्वराज  को नम आंखों से श्रद्धांजलि दी।

राजनीति के साथ- साथ वकालत से भी था रिश्ता

सुषमा स्वराज का रिश्ता राजनीति के साथ- साथ वकालत से भी था। उनके कई वकील दोस्त थे। कुछ लोग तो उन्हें अपनी बड़ी बहन मानते थे जैसे वरिष्‍ठ वकील हरीश साल्‍वे का रिश्ता सुषमा स्वराज के साथ बड़ी बहन का रहा। हरीश साल्‍वे ने सुषमा स्‍वराज के निधन पर शोक व्‍यक्‍त करते हुए कहा,

मेरे लिए सुषमा जी एक बड़ी बहन थीं। उनके निधन की खबर सुनकर मैं स्‍तब्‍ध रह गया। रात के पौने नौ बजे मेरी उनसे बात हुई थी। उन्‍होंने कहा था कि आपको मेरे घर आना पड़ेगा और जाधव केस के लिए अपनी एक रुपये की फीस लेनी होगी। इसके 10 मिनट बाद ही उन्‍हें दिल का दौरा पड़ गया।

राज्यसभा में भी सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि दी गई। सुषमा स्वराज सभापति नायडू को राखी बांधती थीं। सभापति नायडू ने सुषमा स्वराज को याद करते हुए कहा,

वे मुझे रक्षाबंधन पर बहुत याद आएंगी।

आज पूरा देश भावुक है। किसी ने नहीं सोचा था कि सुषमा स्वराज हमें ऐसे छोड़ कर चली जाएंगी। सुषमा स्वराज एक नाम ही नहीं बल्कि हमारे लिए एक मिसाल है जो हमें यह सिखाता है कि एक बड़े पद पर रहकर भी, रिश्ते कैसे निभाए जाते हैं। हमें सुषमा स्वराज सिखा के गईं हैं कि दूसरों की मदद कैसे करते हैं। आज पूरे देश की आंखें नम हैं क्योंकि उसने एक हीरा खोया है।

 

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