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“सोनीपत में रूट केनाल ट्रीटमेंट के दौरान डॉक्टर ने दातों के अंदर 2 Pin तोड़ दिए”

शारदा दहिया

शारदा दहिया

कहा जाता है कि डॉक्टर भगवान होते हैं मगर कई दफा अल्प ज्ञान वाले डॉक्टर्स मरीज़ों के लिए हैवान बन जाते हैं। जी हां, अभी हाल ही में जब दातों में दर्द की समस्या लेकर डॉक्टर के पास गई तो इसके प्रमाण भी दिख गए।

सोनीपत में मेरे घर के पास ही एक सरकारी अस्पताल है, जहां मुझे इलाज कराने के लिए जाना पड़ा। सरकारी अस्पताल में दिखाने की बात ज़हन में इसलिए आई, क्योंकि सुना था यहां योग्य डॉक्टर्स मौजूद रहते हैं।

मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन।

20 अप्रैल को पहली दफा मैं दांतों की समस्या लेकर घर के नज़दीक वाले सरकारी अस्पताल में गई। उस रोज़ कुछ दवाईयां देकर मुझे घर जाने के लिए कहा गया। मुझे लगा कि दवाईयां लेने के बाद शायद तकलीफ कम हो जाएगी मगर ऐसा हुआ नहीं। जब मैं 20 अप्रैल को अस्पताल गई थी, तब मुझे 22 अप्रैल को एक बार फिर अस्पताल आने के लिए कहा गया था।

मैं 22 अप्रैल को जब तय समय पर अस्पताल पहुंची तब डॉक्टर ने एक बार फिर कुछ दवाईयां दी और कहा कि 6 अगस्त को मुझे आरसीटी (रूट केनाल ट्रीटमेंट) कराने के लिए फिर से अस्पताल आना होगा। 6 अगस्त तक इंतज़ार करना मेरे लिए काफी मुश्किल था, क्योंकि दातों में असहनीय दर्द थे। मैं 5 जुलाई को एक बार फिर अस्पताल गई और उसी रोज़ आरसीटी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई।

असहनीय दर्द का सामना

आरसीटी की प्रक्रिया खत्म होने के बाद मैं घर तो आ गई मगर मुझे राहत नहीं मिली, दर्द की गोलियां लेते-लेते परेशान हो गई। एक बार फिर जब 11 जुलाई को मैं उसी अस्पताल में गई, तब मुझे कहा गया कि अंदर इंफेक्शन है जिसकी सफाई करनी होगी तभी हम कुछ कर सकते हैं।

इसके बाद 30 जुलाई को जब मैं एक बार फिर अस्पताल गई, तब अंदर दवाई डालने के बाद मुझे 22 अगस्त को बुलाया गया। 22 अगस्त को वह डॉक्टर वहां मौजूदा नहीं थीं, जिनसे मैं अब तक इलाज करा रही थी।

एक्स-रे की तस्वीर।

एक अन्य सीनियर डॉक्टर से मेरी ड्रेसिंग चेंज कराई गई मगर एक्स-रे के दौरान उन्होंने दो Pin अंदर ही तोड़ दिए। मैं घर तो आ गई लेकिन मेरी तकलीफ खत्म नहीं हुई।

इस बात की जानकारी मुझे तब मिली जब जनमाष्टमी की छुट्टी की वजह से प्राइवेट डॉक्टर को दिखाना पड़ा। उन्होंने जब एक्स-रे किया तो पता चला कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टर ने दांत के रुट में दो Pin तोड़ दिए हैं। इसी बीच प्राइवेट डॉक्टर द्वारा मुझे एक और एक्स-रे कराने की सलाह दी गई, जिसके बाद पता चलता है कि सरकारी डॉक्टर ने दांत को पल्प तक खोद दिया है जिस कारण दोनों रुट अलग-अलग हो गई हैं और दांतों का जर्म्स दिख रहा है।

सरकारी डॉक्टरों के पास कोई जवाब नहीं

दर्द इतना अधिक था कि ना तो मैं खाना खा पा रही थी और ना ही पानी ले पा रही थी। अब जब मैं 26 अगस्त को उनके पास गई, तब उन्होंने कहा कि देखिए 1000 केस में एक-दो केस ऐसे आते हैं जब Pin अंदर टूट जाता है। आपको घबाराने की बात नहीं है, आरसीटी स्पेशलिस्ट सब कुछ ठीक कर देंगे।

अब आलम यह है कि ना तो उस अस्पताल के पास Pin निकालने के लिए कोई तकनीक है और ना ही मेरे मामले को किसी और बड़े अस्पताल में रेफर करने की क्षमता।

प्राइवेट डॉक्टर का कहना है कि जिस तरीके से सरकारी अस्पताल के डॉक्टर ने दातों की समस्या को जटिल बना दिया है, अब बगैर दांत निकाले कोई रास्ता नहीं है। मसला यह भी है कि मेरे शहर के अस्पताल के पास कोई जवाब नहीं है कि अगर उन्होंने केस खराब किया है, तो उनके पास विकल्प के तौर पर कुछ है भी या नहीं!

जिन सरकारी डॉक्टरों को हम भगवान मानते हैं, अगर वे अपने काम के प्रति इस कदर लापरवाही दिखाने लग जाएंगे फिर तो इनके प्रति कोई उम्मीद ही नहीं बचेगी। सुना है कई स्तर पर अपनी योग्यता साबित करने के बाद ही डॉक्टरों को सरकारी अस्पताल में भेजा जाता है, ऐसे में सवाल तो सरकारी मापदंडों पर भी उठते हैं। ऐसे डॉक्टरों के लिए अगर किसी की ज़िन्दगी की कोई कीमत नहीं है, फिर तो इनका लाइसेंस ही रद्द कर देना चाहिए।

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