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अनुच्छेद 370 हटने से कश्मीर में क्या-क्या बदल जाएगा

कश्मीर

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कहते हैं तूफान अपने आने की आहट किसी ना किसी रूप में दे ही देता है। ऐसा ही एक राजनीतिक तूफान आज जम्मू-कश्मीर में भी आ गया, जो अनुच्छेद- 370 को अपने साथ बहा ले गया। इस तूफान की संभावना तीन दिनों पहले से ही नज़र आ रही थी।

सबसे पहले अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमले की खबर फिर इसके मद्देनजर राज्य में सुरक्षाबलों की भारी तैनाती के बाद तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को तुरंत कश्मीर छोड़ने के निर्देश, रविवार की सुबह तीन प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्रियों की नज़रबंदी, श्रीनगर ज़िले में धारा-144 लागू करना और अंतत: संसद में जम्मू-कश्मीर में वर्षों से लागू अनुच्छेद-370 का निरस्तीकरण।

गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में ‘जम्मू एवं कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019’ का एक ऐतिहासिक संकल्प पेश किया, जिसमें उन्होंने अनुच्छेद 370 के खंड 1 के अलावा इस अनुच्छेद के सारे खंडों को रद्द करने की सिफारिश की। गृहमंत्री के इस प्रस्ताव पर विपक्षी पार्टियों ने जम कर हंगामा किया। बावजूद इसके कुछ ही देर बाद पुनर्गठन विधेयक को बहुमत से पारित कर दिया गया।

अमित शाह। फोटो  साभार: Getty Images

गृहमंत्री के अनुसार, राष्ट्रपति अनुच्छेद 370 को खत्म करने वाले राजपत्र पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। बता दें कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष स्वायत्तता प्रदान की गई थी। वहीं, भारतीय संविधान का 35 ‘ए’ अनुच्छेद का उल्लेख अनुच्छेद-370 के खण्ड (1) में शामिल है।

इसे जम्मू और कश्मीर सरकार की सहमति से राष्ट्रपति के आदेश पर भारतीय संविधान में जोड़ा गया था। तत्कालीन भारत के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसे 14 मई 1954 को जारी किया गया था। यह अनुच्छेद जम्मू और कश्मीर राज्य विधानमंडल को ‘स्थाई निवासी’ परिभाषित करने तथा उन नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करने का अधिकार देता था।

जानें क्या हैं अनुच्छेद 370 (1)

संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का कहना है कि अनुच्छेद 370 तीन भागों में बंटा हुआ है। जम्मू-कश्मीर के बारे में अस्थाई  प्रावधान है जिसे या तो बदला जा सकता है या हटाया जा सकता है। प्रस्ताव में अनुच्छेद 370 को पूरी तरह से नहीं हटाया गया है। 370 (1), वहां के नागिरकों को कुछ खास अधिकार देता है, जिसे राष्ट्रपति के अनुमोदन से ही समाप्त किया जा सकता है।

अमित शाह के बयान के मुताबिक 370(1) बाकायदा कायम है, सिर्फ 370 (2) और (3) को हटाया गया है। 370 (1) में प्रावधान के मुताबिक जम्मू और कश्मीर की सरकार से सलाह करके राष्ट्रपति आदेश द्वारा संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों को जम्मू और कश्मीर पर लागू कर सकते हैं।

370 (3) में प्रावधान था कि 370 को बदलने के लिए जम्मू और कश्मीर संविधान सभा की सहमति चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 35 A के बारे में यह तय नहीं है कि वह खुद खत्म हो जाएगा या फिर उसके लिए संशोधन करना पड़ेगा।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी इस संवैधानिक प्रावधान के पूरी तरह खिलाफ थे। उन्होंने कहा था कि इस अनुच्छेद की वजह से भारत छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट रहा है। उनके अनुसार इसे निरस्त कर देना चाहिए।

क्या थे अनुच्छेद-370 के प्रावधान

अनुच्छेद- 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में क्या बदल जाएगा

बॉलीवुड से लेकर टेलीविज़न वर्ल्ड की ओर से प्रतिक्रियाएं

केंद्र सरकार का यह फैसला आते ही बॉलीवुड से लेकर टेलीविजन एक्टर्स तक ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की हैं। कंगना रानौत ने अपने एक वक्तव्य में कहा, ”एक लंबे समय से आर्टिकल 370 को हटाया जाना ज़रूरी था। आतंकवाद को पूरी तरह खत्म करने की ओर यह एक ऐतिहासिक कदम है। मैं लंबे समय से इसकी मांग करती रही हूं। मैं इस ऐतिहासिक दिन पर जम्मू-कश्मीर सहित पूरे देश को बधाई देती हूं, साथ में हमारा भविष्य बहुत उज्जवल होगा।”

वहीं, फिल्म अभिनेता अनुपम खेर ने भी ट्वीट कर इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी। बता दें कि अनुपम खेर का घाटी से गहरा और पुराना नाता है। वह कश्मीरी पंडित हैं।

दूसरी ओर, टेलीविज़न पर राम का किरदार निभाने वाले एक्टर गुरमीत चौधरी ने ट्वीट करते हुए कहा कि जम्मू और कश्मीर में मकान खरीदने और बिजनेस करने का उनका ख्वाब अब हकीकत हो सकेगा। गुरमीत चौधरी ने लिखा, ‘मेरा बचपन कश्मीर के आर्मी कैंपों में निकला है। मुझे हमेशा लगता रहा है कि मैं यहां का रहने वाला हूं। अब अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में घर खरीदने और बिज़नेस शुरू करने का मेरा ख्वाब जल्द ही पूरा हो सकेगा। ऐतिहासिक फैसला। बहुत ही रोमांचित महसूस कर राह हूं। जय हिंद।”

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