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“सुशासन के लिए ज़रूरी है मॉब लिंचिंग, रोज़गार जैसे मुद्दों पर सरकार का ध्यान जाना”

12 अगस्त को विश्वभर में ‘यूथ डे’ यानि विश्व के युवाओं को समर्पित दिन मनाया जाता है। अगर भारत की बात करे तो भारत में युवा दिवस के लिए स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस को चुना गया। ‘उठो, जागो और अपने लक्ष्य को प्राप्त करो’ का संदेश देने वाले युवाओं के प्रेरणास्त्रोत, स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएं आज के समय में भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं, जितनी उनके समय में थीं। विवेकानंद की समस्त आशाएं युवा वर्ग पर टिकी हुई थीं।

युवाओं के प्रेरणास्रोत डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने एक बार स्टूडेंट को संबोधित करते हुए कहा था,

छात्रों को चाहिए कि वे अपनी तरक्की के साथ-साथ इस समाज के लिए भी कुछ करें। हर छात्र में ‘टू पे बैक दा सोसाइटी’ की भावना होनी चाहिए।

कलाम साहब ने अपनी बुक ‘विज़न 2020’ में देश के लिए जो नए मसौदे तैयार किये थे, उनपर अमल करने की उम्मीद मैं अपनी मौजूदा सरकार से करूंगी।

गुड गर्वनेस या सुशासन का अर्थ होता है, पारदर्शी, जवाबदेह और ज़िम्‍मेदारी निभाने वाली सरकार। ऐसा शासन जहां सब व्‍यस्थित हो, सरल हो और सरकार आपके द्वार पर आकर सेवा दे, ना कि हमें किसी सुविधा को पाने के लिए सरकार के पास जाना पड़े और हर बात के लिए लंबी कतारों में लगना पड़े। एक सच्चे लोकतंत्र का मतलब भी यही है, “प्रजा द्वारा, प्रजा के लिए, प्रजा की सरकार”।

मैं स्वयं युवा पीढ़ी से होने के नाते आने वाले समय में अपने देश में कुछ अच्छे बदलाव देखना चाहती हूं

देश की एकता और अखंडता बनाए रखे सरकार- देश की वर्तमान सरकार से अपेक्षा रखूंगी कि वे धार्मिक आडंबरों को ज़्यादा महत्व ना देकर देश की अखंडता और एकता को बनाए रखने के लिए अधिक काम करे।

 महिला सशक्तिकरण पर काम- हमारे देश में अभी तक लड़कियों की स्थिति में सामाजिक और आर्थिक तौर पर बहुत ज़्यादा सुधार नहीं आया है। एक लड़की के कंधों पर कई पीढ़ियों का भविष्य टिका होता है। यदि वही सक्षम नहीं होगी तो आने वाली पीढ़ियां कैसे सक्षम बनेंगी? मैं चाहूंगी कि हमारी सरकार इस मुद्दे पर असरदार काम करे।

रोज़गार उन्मुख शिक्षा- मिशन मून के बाद एलीट स्पेस क्लब की रेस में शामिल होने पर भी विडंबना यह है कि युवाओं के लिए देश में बेरोज़गारी बढ़ती ही जा रही है। एशिया की तीसरी बड़ी इकॉनमी होने के बावजूद भी देश में शिक्षित बेरोज़गार बढ़ रहे हैं। कहने को तो सामान्य पाठ्यक्रमों के साथ व्यवसायिक पाठयक्रम भी खूब शुरू हो गए हैं लेकिन ये भी सिर्फ कागज़ की डिग्री हासिल करने का ज़रिया मात्र हैं।

व्यवसायिक संस्थानों में स्टूडेंट्स की स्किल को बढ़ाने पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता, जिसे सीखकर वे अपना रोज़गार शुरू कर सकें। मैं ऐसा पाठ्यक्रम तैयार करने की उम्मीद अपनी मौजूदा सरकार से करना चाहूंगी, जो ना सिर्फ ज्ञानवर्धक हो, अपितु कौशल विकास में भी सहायक हो। मैं ऐसे शिक्षकों को तैयार करने की भी गुज़ारिश करूंगी, जो देश की भावी पीढ़ी को ना केवल ज्ञान बल्कि स्किल में भी तैयार करने में सक्षम हो।

मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर लगाम- पिछले कुछ सालों में देश में तेज़ी से माॅब लीचिंग की घटनाएं बढ़ी हैं। उस पर सख्त लगाम लगाने की बेहद आवश्कता है। मैं सरकार से उम्मीद करूंगी कि वह कानून और व्यवस्था को दुरुस्त रखे और देश में ऐसा माहौल तैयार करे, जिसमें हर जाति, मज़हब, वर्ग के लोगों में सुरक्षा और आत्मविश्वास की भावना बढ़े और वह बेफिक्र होकर देश की तरक्की में अपना योगदान दे सके।

नई और सकारात्मक सोच का विस्तार- मैं अपने पीढ़ी के युवाओं से गुज़ारिश और उम्मीद दोनों ही करूंगी कि वे ‘टू पे बैक दा सोसाइटी’ की भावना के तहत ना केवल अपनी बल्कि भविष्य की पीढ़ी के लिए भी उर्वर ज़मीन तैयार करें, प्रदूषण मुक्त वातावरण उन्हें उपहार में दें। नई सोच के साथ एक ऐसा समाज तैयार करें, जिसमें धार्मिक आडंबर, बलात्कार, घरेलू हिंसा, दहेज-प्रथा, माॅब लीचिंग जैसी कुरीतियों के लिए कोई जगह ना हों।

दुनिया के इतिहास को हमेशा युवाओं ने ही बदला है। आज पश्चिम का युवा जहां नई-नई खोजों में व्यस्त है, वहीं पूरब का युवा गृहयुद्ध, भुखमरी,अशिक्षा, बेरोज़गारी और समाज की सड़ी-गली परंपराओं में उलझकर अपना जीवन व्यर्थ कर रहा है। मैं सरकार से उम्मीद करूंगी कि वह युवाओं की सोच को एक नई और सकारात्मक दिशा देने के लिए एक अच्छी पहल करेगी।

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