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निजी स्कूलों वाली सुविधाएं सरकारी स्कूलों में क्यों नहीं मिलती हैं?

विद्यालय

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शिक्षा का समाज की उन्नति और देश के विकास में अहम योगदान है। शिक्षित समाज ही किसी राष्ट्र की सफलता का मुख्य पैमाना है। जिस राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक शिक्षित होगा, वही राष्ट्र विश्व के मानचित्र में अपनी पहचान बनाने में सफल होगा।

वर्तमान समय में हमारी शिक्षा प्रणाली में कुछ परिवर्तन हुआ है लेकिन आज भी देश के युवा और बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। इसका मुख्य कारण है देश की शिक्षा व्यवस्था में तालमेल की कमी और योजनाओं के लागू होने में भ्र्ष्टाचार।  भारतीय शिक्षा व्यवस्था में बदलाव तो हुए हैं लेकिन और अधिक परिवर्तन की ज़रूरत है।

शिक्षा के 7 दशक का सफर

देश के सरकारी और निजी स्कूलों के बीच बहुत अधिक अंतर है। एक ओर जहां देश के निजी स्कूल और कॉलेज अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त हैं, वहीं दूसरी ओर देश के सरकारी स्कूलों और कॉलेजों की स्थिति बेहद चिंतनीय है। कई सरकारी स्कूलों की हालत तो इतनी खराब है कि वहां बच्चो के बैठने तक की सुविधा नहीं है।

कुछ स्कूलों की हालत तो इतनी दयनीय है कि बच्चे फर्श पर बैठने को मजबूर हैं। देश के कई इलाकों में तो बच्चों को पानी पार करके जान जोखिम में डालकर स्कूल जाना पड़ता है। स्कूल ही नहीं, देश के तमाम सरकारी कॉलेज भी इस दुर्दशा के शिकार हैं। जर्जर इमारत, खस्ताहाल लाइब्रेरी और शिक्षकों की कमी स्टूडेंट्स को बेहतर शिक्षा देने के लिए नाकाम हैं।

देश की शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए कुछ मुख्य सुझाव हैं-

शिक्षा व्यवस्था में बेहतर परिवर्तन कर उसे नई पीढ़ी तक पहुंचाकर समाज व राष्ट्र के लिए एक कुशल, संस्कारवान मानव संसाधन बनाना हम सभी का परम कर्तव्य है।

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