वैसे बरसात का मौसम हर किसी को बेहद सुहाना लगता है मगर जब बरसात बहुत ज़्यादा हो जाए, तो मुश्किलें थमने का नाम नहीं लेती हैं। जी हां, यही मुश्किलें भावी विश्वगुरू आर्यव्रत पर वर्तमान में टूटी हुई हैं।
मौजूदा समय में हमारा देश घुटने तक पानी में डूबा हुआ है। चाहे वह बिहार राज्य हो या फिर महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा। लगभग हर राज्य बारिश से प्रभावित हैं, जबकि लाखों की संख्या में लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं, वर्तमान में भावी विश्वगुरु आर्यव्रत का क्या हाल है?
हर साल हमारा देश प्राकृतिक आपदाओं से जूझता है। यहां कभी भूकंप तो कभी बाढ़ का कहर देखने को मिलता है। जहां एक तरफ हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी भारत को विश्वगुरु बनाने की बात कहते हैं, तो वहीं आज भी हमारा देश प्राकृतिक आपदाओं से जन-धन का नुकसान सहता है। हम विश्वगुरु बनने की बात तो करते हैं मगर क्या यह संभव होता दिखाई देता है या नहीं?
वर्तमान में देश की आधी से ज़्यादा आबादी घुटने तक पानी में संघर्ष करने को मजबूर है जबकि हज़ारों हेक्टेयर की फसल सहित जनता को लाखों-करोड़ों का नुकसान हो चुका है, जिनमें घर ढहने से लेकर, गाड़ी बहने तक की घटनाएं शामिल हैं। इसके अलावा देश को जानहानि से भी गुज़रना पड़ रहा है।
अगर हम सिर्फ बिहार की बात करें, तो 1979 से लेकर अब तक बिहार में बाढ़ के कारण हज़ारों लोगों ने अपनी जान गंवाई हैं।
- 2016 में बिहार के 12 ज़िले बाढ़ की चपेट में रहें और 23 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए।
- वहीं 2008 में करीब 50 लाख लोग प्रभावित हुए और 258 लोगों की जान गई।
यही हाल 2019 में भी जारी है और कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। ऐसे में सवाल खड़े उठते हैं, क्या हमारी सरकारें और हमारी व्यवस्था इतनी मज़बूत नहीं हैं कि इन प्राकृतिक आपदाओं से आसानी से निपटा जा सके। अगर संभव है, तो फिर क्यों करोड़ों की संख्या में जनमानस आज परेशान और पीड़ित हैं।
केंद्र सरकार के अनुसार हमारा देश विशाल विकासशील देशों में से एक है, जो तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। मुझे समझ नहीं आता, आखिर हम विकासशील देशों में तो शामिल हैं मगर देश की हालात आज भी किसी गरीब देश से कम नहीं है। हम बड़ी-बड़ी बातें तो कर लेते हैं, जबकि हमें मालूम होता है कि प्राकृतिक आपदाएं आने वाली हैं, उसके बाद भी हमारी तैयारियां क्यों अधूरी रहती हैं?
हर साल देश प्राकृतिक आपदाओं से लड़ता है मगर अभी तक हम लड़ने के लिए सशक्त नहीं बन पाए हैं, जैसे अमेरिका, जापान, चीन लड़ते हैं। हम आज भी बचाव का कार्य समय पर नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण हमारे देश को आज भी लाखों का नुकसान उठाना पड़ता है।