इज़राइल दुनिया का एकमात्र यहूदी राष्ट्र है। यह धार्मिक रूप से काफी कट्टरवादी है, जिसकी जनसंख्या लगभग 85 लाख है। यह देश चारों ओर से दुश्मन देशों से घिरा रहता है लेकिन यह अपने दुश्मनों को उनके घर में घुसकर मारने का साहस रखता है।
इनकी नीति यह है कि दुनिया में जहां भी यहूदी हैं, इज़राइल उन्हें अपना नागरिक मानती है। इस देश में सभी नागरिकों को सेना में जाना अनिवार्य है। लड़कों की तीन साल की आर्मी ट्रेनिंग होती है और लड़कियों को दो साल की ट्रेनिंग दी जाती है। यही कारण है कि पूरी दुनिया इज़राइल की सैन्य शक्ति का लोहा मानती है।
इज़राइल अपने दुश्मनों को कभी नहीं छोड़ती है
सन् 1972 में जर्मनी के म्यूनिख शहर में हो रहे ओलंपिक खेलों में फिलीपींस के आतंकवादियों ने इज़राइल के 11 खिलाड़ियों को मार दिया था। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर ने हमारे देश के नेताओं की तरह कड़ी निंदा नहीं की थी, बल्कि इसका बदला लेने के लिए खुफिया एजेंसी ‘मोसाद’ को इसकी ज़िम्मेदारी सौंपी थी।
मोसाद ने उन आतंकवादियों को घर में घुसकर चुन-चुन कर मार दिया था। अब इस देश में कोई आतंकी संगठन भी हमला करने से बचते हैं। आज हमारे देश को भी ज़रूरत है कि इज़राइल से सीख लेते हुए इस दिशा में कोई सकारात्मक पहल करें।
इज़राइल को अन्य देश शक्तिशाली क्यों मानते हैं?
इज़राइल के पास खुद का सैटेलाइट सिस्टम है, जिसकी मदद से वह ड्रोन संचालित करता है। वह इस तरह के सैटेलाइट सिस्टम की जानकारी किसी भी देश के साथ साझा नहीं करता है।
इज़राइल दुनिया का इकलौता देश है जो एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम से लैस है। इज़राइल के पास अमेरिका, रूस और चीन के बाद दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना है। इसलिए इस देश से मुकाबला करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। इस देश से अमेरिका, चीन और रूस भी घबराते हैं।
हमारे देश में इस तरह की नीति क्यों नहीं?
हमारे देश के नेता कभी भी अमेरिका और इज़राइल जैसे देशों की बराबरी करने की चर्चा नहीं करते हैं। हमारे देश की नीति बनाने की ज़िम्मेदारी नीति आयोग की होती है, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। इज़राइल जैसी टेक्नोलॉजी हमारे प्रधानमंत्री क्यों नहीं लाते हैं?
प्रधानमंत्री मोदी 4 जुलाई 2017 को इज़राइल गए थे। यह भारत के किसी प्रधानमंत्री की पहली इज़राइल यात्रा थी। इस यात्रा को लेकर सुरक्षा संबंधित बड़ी-बड़ी चर्चाएं हुई थी मगर हमें यह सोचना होगा कि सुरक्षा व्यवस्था को लेकर हम और सजग नहीं हो सकते क्या?
दरअसल, हमारे देश में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। सभी पार्टियों का उद्देश्य सिर्फ किसी तरह सत्ता हासिल करके धन इकट्ठा करना है। हमारे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कठोर कानून नहीं है। एक सख्त लोकपाल बिल भी अभी तक नहीं लाया गया है।
सत्ता में काबिज़ नेता उन्हीं मुद्दों को उठाएंगे जिनसे सभी लोगों को भ्रष्टाचार करने का मौका मिले। सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर इतना खर्च करती है मगर अभी तक हम अमेरिका और जापान जैसा इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बना पाए हैं।