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बोझ

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मौत के दौर पर
चलते चलते कुछ दूर जाकर
तमाम चीखें
कागज़ औऱ दिल के
परतों पर छाप ले ली गई है,
औऱ चेहरे तक
मिट्टी बोझ दी गई है,
लोग अपने लहू की
जिंदा तस्वीरें
मुर्दा हाथों में थामें
घूरते रहते है,
मानो ऐसे जैसे
कई लाशों की आँखे
एक साथ खुली हों
मनमस्तमग्न अपनी रूह में
वर्षों तक चलते रहते है
लाशें
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