सिंगल यूज़ प्लास्टिक को भारत में बैन करने की बात जब से चली है, तब से बहस का मुद्दा यह है कि विकल्प के तौर पर क्या हमारे पास पर्याप्त संसाधन हैं? या ज़िम्मेदार नागरिक होने की बात करने वाले भारतीयों के पास सिंगल यूज़ प्लास्टिक के विकल्पों पर चर्चा करने या प्रयोग में लाने की मानसिकता है?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि इससे पहले भी राज्य सरकारों द्वारा या ज़िला स्तर पर प्लास्टिक बैग्स बैन किए गए थे मगर कुछ वक्त बाद ही वे फिर से प्रयोग में आने लगे। सबसे पहले तो हमें बाज़ार की ज़रूरत को समझने की आवश्यकता है।
आप इस तरह से समझिए कि सिंग्ल यूज़ प्लास्टिक बैन का मतलब यह नहीं है कि आप सिर्फ इन प्रोडक्ट्स को बैन कर रहे हैं, बल्कि इस पूरे व्यवसाय से जुड़े तमाम मज़दूरों और बड़े स्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों को वैकल्पिक नौकरी के तौर पर आप क्या दे रहे हैं?
आम भाषा में कहूं तो पॉलिथीन के विकल्प के तौर पर हमारे ज़हन के कागज़ के डोंगे ही आते हैं। कागज़ की बड़ी थैली में आप ढंग से 5 KG प्याज़ भी नहीं ला सकते हैं, क्योंकि उसमें अधिक वजन उठाने की क्षमता नहीं है। आइए एक बार विस्तार से बात करते हैं सिंगल यूज़ प्लास्टिक्स के छह विकल्पों के बारे में-
- प्लास्टिक बैग्स- सिंग्ल यूज़ प्लास्टिक में सबसे ज़्यादा योगदान प्लास्टिक बैग्स का है। मध्यप्रदेश में भले ही इसका निर्माण बंद है लेकिन देश के अलग-अलग राज्यों में धड़ल्ले से यह प्रयोग में है। जूट, कपड़े और मोटे कागज़ के कैरी बैग्स बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं।
- प्लास्टिक की छोटी बोतलें- लोगों द्वारा काफी मात्रा में इसका इस्तेमाल किया जाता है। यहां तक कि लोग फ्रिज में भी महीनों और सालों तक इन बोतलों को रखते हैं, जो स्वास्थ के लिए भी काफी हानिकारक है। इनके विकल्प के तौर पर कांच की बोतलें या तांबे-स्टील जैसी धातुओं का भी प्रयोग कर सकते हैं।
- प्लास्टिक प्लेट या दोने- चाहे शादी-विवाह हो या स्ट्रीट फूड की दुकानें, हर जगह धड़ल्ले से प्लास्टिक प्लेट या दोने का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें दुकानदारों को जो सबसे बड़ा फायदा होता है, वो यह कि उन्हें प्लेटों की सफाई के लिए किसी मज़दूर को काम पर नहीं रखना पड़ता है। गंदगी फैलने का एक बड़ा कारण यह भी है। इसके विकल्प के तौर पर हम केले या कमल के पत्तों के ज़रिये दोना या पत्तल बना सकते हैं।
- स्ट्रॉ पाइप- बाज़ारों में जूस पीने के लिए स्ट्रॉ पाइप का चलन काफी बढ़ गया है, जिसे लोग एक बार यूज़ करके फेंक देते हैं। इससे ना सिर्फ गंदगी फैलती है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी यह हानिकारक है। इसके विकल्प के तौर पर कागज़ की स्ट्रॉ पाइप हो सकती है, जो कई जगहों पर आसानी से मिल जाते हैं।
- प्लास्टिक के ग्लास या कप- चाय की दुकानों या किसी फंक्शन में हम अकसर देखते हैं कि लोग प्लास्टिक के कप का प्रयोग करते हैं। लोग इसे इसलिए भी पसंद करते हैं, क्योंकि इसमें सफाई की कोई समस्या नहीं है, एक बार यूज़ करिए और फेंक दीजिए। इसके विकल्प के तौर पर हम कुल्हड़ या कांच व मेटल के गिलास की बोतल का प्रयोग कर सकते हैं।
- पाउच में मिलने वाले सामान- शैंपू, हेयर ऑयल और अचार बनाने वाली कंपनियां ज़्यादातर ‘पाउच’ का इस्तेमाल करती हैं। इसके विकल्प के तौर पर अभी तक व्यापक स्तर पर कोई चर्चा नहीं हुई है, जिस कारण इसके प्रतिबंध पर भी बात नहीं होती है।
लेख के ज़रिये सिंगल यूज़ प्लास्टिक के जिन विकल्पों पर हमने बात की है, आज हमें इस पर व्यापक स्तर पर चर्चा करने की आवश्यकता है। सिर्फ यह कह देने के नहीं होगा कि प्लास्टिक को हम बैन कर देंगे, बल्कि वैकल्पिक संसाधनों पर बात करनी होगी और यह भी देखना होगा कि इनसे स्थानीय इलाकों में किस हद तक हम रोज़गार का सृजन कर पाते हैं।
इसके साथ ही उन कंपनियों को वैकल्पिक व्यवस्था के साथ जोड़ने पर विचार करने की ज़रूरत है, जो अभी तक सिंगल यूज़ प्लास्टिक्स का निर्माण कर रही है। वर्षों से बनी बाज़ार व्यवस्था की इस इमारत को आप अचानक धवस्त करने की बात नहीं कर सकते हैं, इस पर सरकार को मंथन करना होगा।