भले ही क्लाइमेट चेंज लोगों को महज़ एक शब्द लगता हो लेकिन इस शब्द के पीछे छिपी है मानव जीवन की तबाही। आज क्लाइमेट चेंज के कारण लोगों के जीवन में अनेक प्रभाव हो रहे हैं, जैसे- वातावरण में बढ़ता प्रदूषण, विलुप्त होती विभिन्न प्रजाति और खेती में बढ़ते दुष्प्रभाव आदि।
भारत कृषि प्रधान देश है और अगर कृषि प्रधान देश में ही क्लाइमेट चेंज के कारण फसलों को नुकसान होने लगे, तो यह बेहद चिंता का विषय है क्योंकि आज भी भारत की अधिकांश आबादी कृषि पर ही निर्भर है।
विलुप्ति के कगार पर है केला
एक रिपोर्ट के मुताबिक क्लाइमेट चेंज के कारण भारत में केला उत्पादन बहुत घट रहा है, जबकि भारत ना सिर्फ केले का उत्पादन करने वाला सबसे बड़ा देश है, बल्कि यह केले का सेवन करने वाला भी सबसे बड़ा देश है।
केला एक ऐसा फल है, जो भारत के सभी प्रांतों में खाया और उगाया जाता है। इस फल में पोषण तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। केला उत्पादन ना केवल ग्रामीण, बल्कि शहरों में भी लोगों के लिए शानदार आय का स्रोत है। केला हर मौसम में उगने वाला बेहद उपजाऊ फसल है और यह लोगों द्वारा भी काफी पसंद किया जाता है।
आखिर क्या है कारण?
क्लाइमेट चेंज के कारण वर्षा और तापमान अनियमित हो जाते हैं, जिसका सीधा प्रभाव फसलों पर दिखता है, जिसमें केला प्रमुख है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 27 देशों में 86% केले का उत्पादन 1961 से देखा गया है और उस समय यह सब बदलती जलवायु अर्थात क्लाइमेट चेंज का ही परिणाम है।
जर्नल ‘नेचर क्लाइमेट चेंज’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक 2050 तक क्लाइमेट चेंज के कारण केला फल विलुप्ति की कगार पर भी पहुंच सकता है। इस रिपोर्ट में यह बात भी कही गई है कि ना केवल भारत, जो केला उत्पादन में शीर्ष स्थान पर है, उसके साथ ही केला उत्पादन में चौथा स्थान प्राप्त ब्राज़ील में भी क्लाइमेट चेंज के कारण उत्पादन में कमी देखी जा सकती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर के शोधार्थी जॉन बेब्बर के मुताबिक,
क्लाइमेट चेंज के कारण केले की फसल में “फुसरियम विल्ट” नामक बीमारी लग रही है, जिससे केले के उत्पादन में कमी आ रही है।
आंकड़ों में केले की स्थिति
- फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाईजेशन (FAO) के अनुसार 2010 से 2017 तक भारत में 29 मिलियन टन केले का उत्पादन करके ही भारत को विश्व में केला उत्पादन के लिए प्रथम स्थान प्राप्त है।
- लगभग 29 फीसदी केले का उत्पादन केवल भारत में ही होता है। FAO के अनुसार भारत में एक हेक्टेयर की भूमि में 60 टन केला उत्पादन किया जाता है।
- इसी वर्ष यानि कि 2010 से 2017 के बीच केला उत्पादन में चाइना 11 मिलियन टन केला उत्पादन करके दूसरे स्थान पर रहा है।
केले को चाहिए अनुकूल वातावरण
केले की फसल के लिए निम्नलिखित वातावरण की ज़रूरत होती है-
- तापमान- 15 से 35 डिग्री सेल्सियस
- बारिश- 650 से 750 मिली मीटर
- क्षेत्रीय भिन्नता- हल्का सुखा और हल्का नमी का वातावरण
- मिट्टी- चिकनी बलुई मिट्टी की आवश्यकता होती है, जो क्लाइमेट चेंज के कारण उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
हर पर्व-त्यौहारों में इस्तेमाल किया जाने वाला भारत का यह चहेता फसल आज क्लाइमेट चेंज की जब्त में आ गया है। क्या हम मनुष्यों ने अपने लिए ही खाई तैयार कर ली है या अब भी समय है संभलने का क्योंकि अगर ऐसे ही सारे फल समाप्त हो गए तो फिर पृथ्वी पर कुछ नहीं बचेगा।