सरकार द्वारा लगातार दावे किए जाते हैं कि स्टूडेंट्स के बेहतर भविष्य के लिए उन्हें लोन की सुविधा दी जाती है मगर इन्हीं दावों की पोल तब खुलने लगती है, जब धरातल पर लोन लेने के लिए स्टूडेंट्स को संघर्ष करना पड़ता है।
बिहार के मुज़फ्फरपुर ज़िले के मुसहरी प्रखंड स्थित आथर बंसमन गाँव के विकास कुमार दास के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, जब उन्हें बैंकों के चक्कर लगाने के बाद भी लोन नहीं मिली।
विकास, एनएलयू जबलपुर में बीए एल.एल.बी. द्वितीय वर्ष के स्टूडेंट हैं। उनके पिता किसान हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। जब विकास ने ‘CLAT ‘ क्वालीफाई किया, तब उनके पिता ने 2,50,000 रुपये प्रथम वर्ष की फीस इकट्ठा करके उनका नामांकन एनएलयू जबलपुर में कराया।
आगे के खर्च के लिए पिता ने आस लगाई कि बैंक या स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड से मेरा बेटा पढ़ाई कर लेगा लेकिन इस पूंजीवादी व्यवस्था में गरीब स्टूडेंट विकास कुमार दास को बैंकों ने लोन देने से मना कर दिया। विकास जब बिहार स्टूडेंट कार्ड योजना से लोन लेने गए, तब वहां कहा गया कि अधिकतम चार लाख तक का लोन दिया जा सकता है, इसलिए बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड से भी विकास का लोन नहीं हो पाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्टूडेंट्स को सुगम शिक्षा लोन उपलब्ध कराने के लिए विद्या लक्ष्मी पोर्टल की शुरुआत हुई। उसके माध्यम से भी विकास ने तीन बैंकों को क्रमशः एसबीआई, एक्सिस बैंक और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स सरफुद्दीनपुर ब्रांच में आवेदन दिया लेकिन किसी भी बैंक ने लोन नहीं दिया।
कृषि योग्य भूमि नहीं होने के कारण लोन रिजेक्ट
बैंकों ने यह कहकर विकास का आवेदन रिजेक्ट कर दिया कि आपके पिता की जो कृषि योग्य भूमि थी, वह कॉलेटरल के लिए मान्य नहीं है। अर्थात 10 लाख लोन के लिए 10 लाख की गारंटी देनी होगी। अब गरीब परिवार कहां से 10 लाख की गारंटी लाए?
इन सब वजहों से विकास की पढ़ाई रूक गई। आज विकास पैसे के अभाव में पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर है। आपको बता दें कि नैशनल लॉ यूनिवर्सिटी में नामांकन के लिए ‘CLAT’ क्वालीफाई करना पड़ता है। यह आईएएस और आईआईटी के बराबर की परीक्षा होती है।
विकास और विकास के पिता ने अपना सब कुछ दांव पर लगाकर विकास का एडमिशन एनएलयू जबलपुर में कराया था। आज विकास की लाइफ बर्बाद हो रही है। आपसे निवेदन है कि यदि आपसे संभव है तो विकास की मदद कीजिए और एक दलित गरीब स्टूडेंट का जीवन बर्बाद होने से बचाइए।