अभी कुछ साल पहले लंदन के वैज्ञानिकों ने नेचर नाम की मैगज़ीन में एक लेख लिखा था। इस लेख में उन्होंने लिखा कि उन्होंने पृथ्वी से 111 प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक ग्रह की खोज की है जहां जीवन की पर्याप्त सभांवनाएं मौजूद हैं। लंदन के वैज्ञानिकों की माने तो यह ग्रह पृथ्वी से दोगुने आकार का है और यहां का तापमान शून्य से 40 डिग्री है। इन वैज्ञानिकों ने इस ग्रह का नाम K2-18B रखा है।
इस ग्रह पर पृथ्वी की तरह जीवन पनपा हुआ है या नहीं, इसको लेकर लंदन के वैज्ञानिकों ने कोई आश्वासन नहीं दिया है। K2-18B को लेकर अभी काफी रिसर्च की जानी बाकी है। पृथ्वी से दूर किसी दूसरे सौरमंडल में होने के कारण निकट भविष्य में दुनियाभर के वैज्ञानिक इस ग्रह को लेकर कोई बड़ी रिसर्च कर पाएंगे, इसको लेकर भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है।
क्या सच में एलियंस होते हैं?
एंलियंस के होने या ना होने को लेकर तमाम तरह की धारणाएं और कहानियां हैं। इन धारणाओं और कहानियों में एंलियंस की मनुष्यों से मुलाकात करने के किस्से भी लिखे गए हैं। दुनिया भर के तमाम लोग ये दावे कर चुके हैं कि उन्होंने आसमान से आए अजीब तरह के जीवों से मुलाकात की है।
ऐसे भी तमाम किस्से मौजूद हैं जिनमें लोगों ने आसमान से किसी खास जगह पर यूएफओ को उतरते हुए देखा है। दूसरी दुनिया से आए इन यूएफओ के किस्सों पर यकीन किया जाए तो हमारे ग्रह से बाहर भी कई ऐसे ग्रह हैं जहां एंलियंस रहते हैं और हमारी तरह वे भी हमसे सम्पर्क करने की कोशिश में हैं।
इन बातों पर यकीन करने से पहले अंतरिक्ष में एलियंस की तलाश करने में जुटी सस्ंथा SETI (सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इटेंलिजेंस) के बारे में जान लीजिए। यह संस्था कई सालों से अंतरिक्ष में एलियंस को तलाश रही है। एसईटीआई से जुड़े हुए वैज्ञानिक सेथ शोस्टाक एलियंस को लेकर कहते हैं,
हम इन्सानों ने एलियंस की अपने दिमागों में एक खास छवि बना ली है। यह भी हो सकता है कि टीवी और फिल्मों के माध्यम से हमें जिस रूप में एलियन दिखाए जा रहे हैं वे वैसे ना हो। यह भी संभव है कि वे बिल्कुल हम जैसे हों।
अब तक क्यों संपर्क नहीं कर पाए एलियंस हमसे
दुनियाभर के तमाम मुल्क पिछले कई सालों से आकाश में रेडियों तरंगे भेजकर एलियंस से सम्पर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अभी किसी मुल्क का आधिकारिक तौर पर दूसरी दुनिया के लोगों से सम्पर्क नहीं हो पाया है।
दुनिया की सबसे पहली बड़ी घटना जिसका बड़े पैमानें पर टीवी पर प्रसारण हुआ था वह 1936 में बर्लिन में हुए ओलपिंक खेल थे। इन खेलों के दौरान पैदा हुई रेडियों तंरगें अब तक करोडों किलोमीटर का सफर तय कर चुकी होंगी।
इसके अलावा मशहूर सीरियल गेम ऑफ थ्रोन की रेडियों तंरगें भी अब तक हमारे सबसे करीबी सौर मंडल से भी आगे पहुंच चुकी होंगी लेकिन अब तक कहीं से भी दूसरे ग्रह के लोगों ने पृथ्वी से निकलने वाली किसी भी रेडियों तरंगों का जवाब नहीं दिया है।
अमेरिका की मशहूर वैज्ञानिक संस्था नासा ने 2009 में केपलर स्पेस टेलिस्कोप के जरिये ये पता लगाने की कोशिश की कि क्या पृथ्वी के अलावा किसी अन्य ग्रह पर भी जीवन है कि नहीं। नासा को अपने इस मिशन में अब तक कोई खास सफलता नहीं मिली है।
इस सब बातों के बाद क्या यह मान लिया जाए कि दूसरे ग्रहों पर एलियंस होने की बात और कुछ नहीं सिर्फ इन्सान की कल्पना है। फिलहाल, यह मानना भी एलियंस को लेकर अधूरी जानकारी होना दर्शाता है क्योंकि एलियंस के ना होने को लेकर भी अभी तक कोई खास प्रमाण नहीं मिले हैं।
एलियंस के अस्तित्व को लेकर इस सदी के सबसे बड़े वैज्ञानिक सटीफन हाकिंस ने कहा था,
अंतरिक्ष में एलियंस होने की सभानाओं को नकारा नही जा सकता है। अगर ऐलियंस हैं तो वे हम इन्सानों से बहुत आगे हैं और इन्सानों से उनका सम्पर्क करना इन्सानियत के लिए काफी खतरनाक हो सकता है।