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‘हाउडी मोदी’ इवेंट के शहर ह्यूस्टन और कश्मीर में क्या है समानता

ह्यूस्टन शहर के एनआरजी स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कार्यक्रम हाउडी मोदी हुआ और यह स्टेडियम एक तरह से मिनी इंडिया लग रहा था, जहां भारत मॉं की जय और मोदी-मोदी के नारे लग रहे थे।

इस मेगा इवेंट को 1000 से अधिक वॉलेंटियर की मदद से टेक्सास इंडिया फोरम ने आयोजित किया था, जिसमें 50,000 से ज़्यादा भारतीय-अमेरिकियों ने हिस्सा लिया। अगर टेक्सास प्रांत के ह्यूस्टन शहर की बात की जाए तो यहां भारतीय समुदाय के तकरीबन एक लाख लोग हैं जबकि टेक्सास की कुल आबादी 25.1 लाख है। वहीं, इसी राज्य के डलास शहर में भारतीय समुदाय की आबादी 1 लाख से ज़्यादा है।

अब बात करते हैं कि टेक्सास राज्य और जम्मू-कश्मीर के इतिहास में क्या समानता है?

हाल ही में भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाया है, जिसे लेकर पूरी दुनिया में बातें हो रही हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी का टेक्सास राज्य के ह्यूस्टन शहर जाना एक अलग महत्त्व दर्शाता है।

अगर टेक्सास और जम्मू-कश्मीर के इतिहास की बात करें तो दोनों राज्यों के विलय में काफी समानताएं हैं। दोनों ही राज्यों का विलय उस समय हुआ जब दोनों ही जगह युद्ध की स्थिति थी। जिस तरह 1947 से पहले तक जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं था, ठीक उसी तरह टेक्सास भी शुरुआत में अमेरिका का हिस्सा नहीं था।

टेक्सास के इतिहास में कई उपनिवेशवादी ताकतों का कब्ज़ा रहा लेकिन यहां पहले से ही नेटिव अमेरिकन रह रहे थे। 1520 में यहां स्पेनिश खोजकर्ता आए लेकिन उन्होंने इस इलाके पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। इसके बाद, 1684 में इस इलाके पर फ्रांसीसी शासन का कब्ज़ा हो गया और यह 1689 तक उनका हिस्सा रहा। इसके बाद, 1690 में यहां स्पैनिश ताकतों का कब्ज़ा हो गया जो 1821 तक रहा।

इसके बाद, मेक्सिकन साम्राज्य ने यहां हमला कर यह इलाका अपने अधीन कर लिया। मेक्सिको का टेक्सास पर नियंत्रण 1821 से 1836 तक रहा। इसके बाद, टेक्सास में अंदर-अंदर मेक्सिको से अलग होने की जंग छिड़ गई।

यहां के लोगों ने मेक्सिको के खिलाफ विद्रोह कर दिया और 1836 में टेक्सास ‘रिपब्लिक ऑफ टेक्सास’ बन गया। इन आंदोलन का नेतृत्व सैमुअल ह्यूस्टन के नेतृत्व में हुआ, जो अमेरिका में पैदा हुए थे लेकिन 1830 के शुरुआती दिनों में मेक्सिकन टेक्सास में बस गए थे।

टेक्सास 1836 से 1845 तक रिपब्लिक ऑफ टेक्सास रहा। हालांकि, मेक्सिको ने रिपब्लिक ऑफ टेक्सास को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं दी और इधर टेक्सास को भी मेक्सिको से युद्ध का डर सता रहा था।

इस बीच ह्यूस्टन के नेतृत्व में टेक्सास ने अमेरिका के साथ विलय के लिए प्रस्ताव पारित किया लेकिन कुछ आशंकाओं के चलते अमेरिका के प्रमुख राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया। राजनीतिक दलों को डर था कि टेक्सास को यूएस में मिला लेने से मेक्सिको से संबंध खराब होंगे।

इसके बाद, मेक्सिको से एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए टेक्सास के नेताओं ने मेक्सिको से बातचीत करनी शुरू की और ब्रिटेन ने इसकी मध्यस्थता की। हालांकि, यह बातचीत असफल रही। वहीं, यह दौर अमेरिका के 15वें राष्ट्रपति चुनाव का भी था और टेक्सास एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बन गया था। जैसा कि जम्मू-कश्मीर बीजेपी नीत सरकार के लिए मुद्दा है।

इस चुनाव में एक तरफ थे डेमोक्रेटिक पार्टी के जेम्स पोलोक और दूसरी तरफ थे हेनरी क्ले और उस समय राष्ट्रपति थे जॉन टायलर। जेम्स पोलोक ने इस चुनाव में टेक्सास का अमेरिका में विलय करने की बात कही थी। तभी अचानक, अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन टायलर ने 1845 में टेक्सास के अमेरिका में विलय को समर्थन दे दिया और संसद की मंज़ूरी के बाद 29 दिसंबर 1845 को यह अमेरिका का 28वां राज्य बन गया।

हालांकि, सबकुछ इतना आसान नहीं था। 1846 में अमेरिका और मेक्सिको के बीच युद्ध छिड़ गया और मेक्सिको ने अमेरिका से सभी तरह के रिश्ते खत्म कर लिए। 2 फरवरी 1848 तक चले इस युद्ध में दोनों देशों की सेनाओं की तरफ से गोलीबारी और लड़ाई हुई, जिसमें कई सैनिक मारे गए।

मेक्सिको का कहना था कि रिपब्लिक ऑफ टेक्सास की सीमाएं तय नहीं थीं। तकरीबन 2 साल तक चले इस युद्ध में मेक्सिको की हार हुई और उसने टेक्सास पर अपने कब्ज़े को पूरी तरह से छोड़ दिया। इस तरह से टेक्सास पूरी तरह से एक अमेरिकी राज्य बन गया।

कश्मीर

अगर युद्ध के घटनाक्रम और रणनीतिक स्थिति की बात करें तो टेक्सास और जम्मू-कश्मीर में यहीं सबसे बड़ी समानता दिखती है। टेक्सास की तरह जम्मू-कश्मीर भी 1947 से पहले एक स्वतंत्र रियासत थी। मेक्सिको ने युद्ध से पहले टेक्सास को कभी भी एक स्वतंत्र राष्ट्र नहीं माना ठीक उसी तरह पाकिस्तान ने भी जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग नहीं माना और उसपर कई बार हमला भी किया।

हालांकि, भारत-पाकिस्तान और अमेरिका-मेक्सिको के युद्ध परिणाम अलग थे। अमेरिका ने मेक्सिको को पूरी तरह से टेक्सास से पीछे धकेल दिया जबकि भारत ने सीमित आक्रामकता का सहारा लिया।

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सोर्स साभार- Studies Weekly , wikipedia, wikipedia, history.com

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