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गोरखपुर ऑक्सीजन कांड के विभागीय जांच में निर्दोष साबित हुए डॉ. कफील

डॉक्टर कफील

डॉक्टर कफील

बीआरडी मेडिकल कॉलेज से दो साल पहले निलंबित हुए डॉक्टर कफील खान को सारे आरोपों से मुक्त कर दिया गया है। उन पर भ्रष्टाचार, चिकित्सीय लापरवाही और हादसे के दिन अपना कार्य ठीक से नहीं निभाने के आरोप थे।

इन आरोपों के कारण डॉक्टर कफील ने 9 महीने जेल में बिताए थे। जमानत के बाद बाहर आने के बावजूद भी वह कई समय से लगातार निलंबित रहे। हालांकि अब फैसला आने के बाद उन्होंने सीबीआई जांच की मांग भी की है।

रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर कफील ने बच्चों की जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए थे और उन्होंने किसी प्रकार की असावधानी या लापरवाही नहीं की थी।

अप्रैल महीने में ही सौंप दी गई थी जांच की रिपोर्ट

यूपी के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मामले की जांच रिपोर्ट हिमांशु कुमार, प्रमुख सचिव (टिकट और पंजीकरण विभाग) को 18 अप्रैल को ही सौंप दी थी। इस रिपोर्ट में यह साफ लिखा गया है कि उस रात डॉक्टर कफील ने हालत को सुधारने के पूरे प्रयास किए थे और उन्होंने कोई लापरवाही नहीं की थी।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डॉक्टर कफील ने अपने सीनियर अधिकारियों को ऑक्सीजन की कमी की बात बता दी थी और इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि डॉक्टर कफील उस वक्त इंसेफेलाइटिस वॉर्ड के नोएल मेडिकल ऑफिसर इनचार्ज नहीं थे।

क्या था मामला?

अब आगे यह देखना होगा कि सीबीआई जांच में यह केस कहां तक आगे बढ़ता है? हालांकि यह फैसला डॉक्टर कफील के लिए राहत की खबर है मगर मौजूदा वक्त में यह भी सोचना ज़रूरी है कि हमारी सरकारी व्यवस्था इस तरीके से बगैर तथ्यों के किसी को जेल में कैसे डाल सकती है?

डॉक्टर कफील खान भले ही फर्ज़ी आरोपों में जेल गए और तमाम तरह की मानसिक यातनाएं उन्हें झेलनी पड़ी मगर एक अच्छी बात यह है कि वह टूटे नहीं। चाहे बारिश में भीगते हुए किसी कैंप में मरीज़ों की सेवा करने की बात हो या मुज़फ्फरपुर चमकी बुखार के दौरान लोगों को जागरुक करने की बात हो, डॉक्टर कफील प्रशंसा के पात्र तो हैं।

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