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उत्तराखंड में नशा तस्करी का युवाओं पर हो रहा है व्यापक असर

नशा करते बच्चे

नशा करते बच्चे

आज के माहौल में ‘नशा’ युवाओं की सबसे बड़ी ज़रूरत बनती जा रही है। जिन युवाओं और बच्चों के कंधों पर देश की बागडोर है, जिनके भरोसे पूरा देश आगे बढ़ने के सपने देख रहा है, यदि उन्हें ही ऐसी आदत लग जाएगी फिर तो आने वाले वक्त में काफी मुश्किले हैं।

फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ में नशा संबंधित मुद्दों को बेहतरीन तरीके से उठाया गया है। फिल्म में दिखाया गया है कि किस प्रकार से बच्चे या युवा नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। नशे का व्यापक असर अब मैदानी क्षेत्रों से लेकर ग्रामीण जीवन को भी प्रभावित कर रहा है। आज नशे के कारण औसत माता-पिता अपने बच्चों के भविश्य को लेकर चिंतित रहते हैं।

हम सभी चाहते हैं कि हमारे बच्चों का भविष्य सुखद हो मगर घर-परिवार और समाज के सामाजिक कार्यों या उत्सवों में आपनी शान बढ़ाने के लिए शराब के प्रचलन का विरोध ना करके इसमें बच्चों को भी सहयोगी बनाते हैं।

ऐसा करने से बच्चों की मानसिक स्थिति पर बुरा असर पड़ रहा है। हमारे निर्णय लेने की क्षमता पर इसका व्यापक असर पड़ रहा है, जिसकी वजह से तमाम युवाओं और बच्चों का गंभीर अपराध की तरफ रुझान होने लगता है। जैसे- बलात्कार, लूट-पाट, डकैती और आत्महत्या आदि।

नशे का हब बन चुका है उत्तराखंड

उत्तराखंड बने अधिक समय भी नहीं हुआ है लेकिन तमाम सुख-सुविधाओं से लैस यहां की युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में है। नशे की तस्करी  करने वालों के लिए स्टूडेंट्स और और युवा वर्ग सबसे ज़्यादा सॉफ्ट टारगेट होते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी स्थान रखने वाले देहरादून में भी युवा वर्ग नशे की गिरफ्त में आ गए हैं।

इन नशा तस्करों द्वारा शिक्षण संस्थानों के आस-पास ही नेटवर्क तैयार किया गया है ताकि स्टूडेंट्स को आसानी से टारगेट किया जा सके। तमाम नशा तस्कर चंद पैसों के लिए देश के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

नशा तस्करों ने नेपाल से लेकर उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल और पंजाब तक अपना नेटवर्क फैला दिया है। इस वजह से युवा पीढ़ी इसके प्रति गंभीर नहीं है। आज के समय में इसके प्रति सचेत होने की ज़रूरत है, क्योंकि तस्करों द्वारा विभिन्न प्रकार से इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।

मैंने देखा है इन इलाकों में लोग इंजेक्शन, गोलियां और खांसी की दवा और दर्द व चोट की दवा से लेकर पेपर तक का इस्तेमाल हैं। तस्करों द्वारा इन चीज़ों को बड़े पैमाने पर अंजाम दिया जा रहा है।

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

नशे की लत में छात्र-छात्राओं से लेकर युवा और बुज़ुर्ग सभी समान रूप से लिप्त हैं। वहीं, नशे की तस्करी भी सिर्फ पुरुषों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि महिलाएं व लड़कियां भी इस धंधे का हिस्सा बन चुकी हैं। युवा पीढ़ी इस नशे का इस्तेमाल करने के बाद अपने उद्देष्य से भटक जाते हैं और स्वंय की ज़िन्दगी बर्बाद कर देते हैं। कहीं-कहीं तो महिलाएं भी नशे का सेवन करती हैं। हमें यह भी समझना होगा कि इसका असर हमारी मानसिकता पर भी पड़ रहा है।

बड़े पैमाने पर होती है भांग की खेती

उत्तराखंड प्रदेश, देश के हर क्षेत्रों में अग्रणी स्थान रखता है। यहां भांग सबसे ज़्यादा उगाई जाती है। इसके साथ-साथ कहीं-कहीं पर गैर-कानूनी तरीके से विभिन्न प्रकार के नशीले पदार्थों की खेती होती है, जिसकी वजह से यहां के युवा चंद पैसों की लालच में गलत चक्करों में उलझ जाते हैं। इसके लिए सरकार को गंभीर फैसले लेने होंगे ताकि हमारा युवा प्रदेश सुरक्षित रह सके।

देखा जाए तो उत्तराखंड को सबसे युवा प्रदेश का दर्ज़ा भी जाता है। इसी का फायदा उठाकर नशे के ठेकदार और स्मगलर दिन-प्रतिदिन प्रदेश को अपने हाथों मे लेने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि युवा प्रदेश होने की वजह से यहां पर अधिक मात्रा में नशे का कारोबार होता है।

इसी का फायदा उठकार स्मगलर्स दिन-प्रतिदिन देवभूमि को अपने आगोश में ले रहे हैं। साथ ही यहां पर शिक्षा का उच्च स्तर होने के कारण देश- विदेशों के बच्चे और युवा पढ़ाई करने आते हैं। उत्तराखंड की स्थिति यही रही तो युवा पीढ़ी जल्द ही देश को बर्बाद कर देगी। प्रदेश सरकार को इसके लिए कड़े नियम कानून बनाने के बाद सख्ती से लागू भी करना होगा।

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