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तहसलीदार ने रिश्वत मांगी तो किसान ने उसकी जीप में 50000 रुपए की भैंस बांध दी

देश की आज़ादी के 70 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन अंग्रेज़ी शासन द्वारा स्थापित कार्यपालिका जिसका मूल उद्देश्य समाज को डरा-धमकाकर, डांट कर रखना और शासन करना था, संभवतः उसका प्रभाव हमारे प्रशासनिक अधिकारियों में अभी भी है।

वायरल फोटो में दिखा रौब

मामला मध्यप्रदेश के कटनी ज़िले का है, जहां के प्रशासनिक अधिकारी कुछ इसी तरह की भूमिका में दिखाई देते हैं।जनसंपर्क विभाग कटनी द्वारा सोशल मीडिया में एक फोटो जारी किया गया है जिसमें आम नागरिक याचक की भूमिका में नज़र आ रहे हैं और प्रशासनिक अधिकारी रौब दिखा रहे हैं।

इस प्रकरण से स्पष्ट होता है कि अंग्रेज़ी हुकूमत के समाप्त होने के बाद कार्यपालिका में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है।बल्कि साथ में भ्रष्टाचार,अपने से कमज़ोर पर अत्याचार और सबक सिखाने की प्रवृत्ति हमारे प्रशासनिक अधिकारियों में कूट-कूट कर भर गई है।

टीकमगढ़ के रिश्वत का किस्सा

विगत दिनों मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ ज़िले के खडगपुर तहसील के तहसीलदार सुनील वर्मा ने किसान लक्ष्मण यादव से ज़मीन के नामांतरण के लिए बतौर रिश्वत 1 लाख रुपए मांगे।

किसान ने 50 हजार रुपए दिए लेकिन तहसीलदार ने पूरे रुपए मिलने पर ही काम करने की बात की। मजबूरन किसान लक्ष्मण यादव ने अपनी 50 हज़ार रुपए कीमत की भैंस ले जाकर तहसीलदार की जीप में बांध दी।

इस घटना का ज़िक्र स्थानीय अखबारों और न्यूज चैनलों में भी हुआ। तब जाकर किसान की ज़मीन का नामांतरण हुआ जिसके लिए वो पिछले 5 वर्षों से तहसील कार्यालय के चक्कर काट रहा था।

यह उदाहरण प्रशासन के केवल एक राजस्व विभाग का है। इसके अतिरिक्त पुलिस अधिकारियों तथा अन्य विभागों के ऐसे अनेक प्रकरण प्रतिदिन चर्चा में आते हैं।

तहसीलदार की जीप में रिश्वत के रूप में भैंस बांंधते हुए किसान लक्ष्मण यादव, फोटो – YouTube

हमें सजग रहना होगा

देश -प्रदेश के विकास के लिए दो अनिवार्य आवश्यकताएं होती हैं,

  1. ज़िम्मेदार नागरिक और
  2. जनसंवेदी प्रशासन।

वर्तमान मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार में डूबी बेलगाम शासन व्यवस्था और झूठ के सहारे चल रही सरकार के बीच प्रदेश की आम जनता पिस रही है ।

केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकारों के लिए कार्यपालिका को सुधारना कोई साधारण काम नहीं है। इसके लिए जनता और प्रशासन दोनो की मनोवृत्ति में बदलाव की आवश्यकता है।

जनता को निर्भीक और अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना चाहिए एवं प्रशासनिक अधिकारियों को जनता का सेवक बनने का प्रयास करना चाहिए वरना इसी तरह हमारा शोषण होता रहेगा। हम अव्यवस्था ,गरीबी, भ्रष्टाचार की चक्की में पिसते रहेंगे।

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