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कविता: “बहुत कठिन है भगत सिंह होना”

हर कोई चाहता है
भगत सिंह होना
कारण,
गोडसे पूजन के इस दौर में
एक भगत सिंह ही हैं
खरा सोना।

भगत सिंह
आज भी शीर्ष पर खड़े हैं
औरों की क्या पूछिये
सत्ता लोलुपता में
प्रायः सूअरों की तरह
कीचड़ में पड़े हैं।

बहुरूपिये की तरह
भगत सिंह ने
नहीं किये थे नाटक
बम से अधिक विचारों से
ढाह दिये थे
साम्राज्यवादी किले का फाटक।

बहुत कठिन है
भगत सिंह होना
उनको पाने की खातिर
मस्तिष्क के भीतर
बहुत ज़रूरी है पहले
परिवर्तन का उनका
वैचारिक ताना-बाना बोना।

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