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लघु एवं मध्‍यम उद्यमों को सशक्त करने की पहल है उद्योग आधार

औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि हेतु कारोबार सुगमता (Ease of doing Business) आवश्‍यक है। केन्‍द्र सरकार ने उन उपायों को बढ़ाया है जिसमें कारोबार सुगमता में वृद्धि होकर औद्योगिक गतिविधियों सहित रोज़गार व उत्‍पादन में वृद्धि हो सके।

आर्थिक सुधारों के पश्‍चात इस बात पर ज़ोर दिया गया कि भारत के छोटे व मझले उद्यम को प्रोत्‍साहित किया जाए। इसी क्रम में उद्योग आधार एक अनूठी पहल है। उद्योग आधार सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यमों का पंजीकरण है, जो पूर्णत: निशुल्‍क व सरल है।

क्या है उद्योग आधार?

जिस प्रकार प्रत्‍येक व्‍यक्ति का आधार नम्‍बर उसकी पहचान है उसी प्रकार उद्योग आधार एमएसएमई क्षेत्र की सम्‍पूर्ण पहचान है। उद्योग आधार ने उन सभी परेशानियों को दूर कर दिया है, जो इससे पूर्व उद्यमियों को उठानी पड़ती थी।

औद्योगिकीकरण की राह को उद्योग आधार ने ना केवल प्रशस्‍त किया है बल्कि छोटे उद्यमियों को प्रतिस्‍पर्धा में बढ़ने का मौका भी दिया है। उद्योग आधार के पंजीकरण से उद्यमशीलता का माहौल आशावादी हुआ है।

एमएसएमई सेक्‍टर को मज़बूत करने की कोशिश

विगत पांच दशकों में एमएसएमई सेक्‍टर भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था का बेहद गतिमान सेक्‍टर रहा है जिसने कम पूंजी लागत पर विशाल मात्रा में रोज़गार का सृजन किया है। क्षेत्रीय विषमताओं को दूर करते हुए ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों में औद्योगिकीकरण को बढ़ाया है। राष्‍ट्रीय आय के समान वितरण करने में भी सफल भूमिका निभाई है।

एमएसएमई के क्षेत्र के वित्‍तपोषण के संबंध में के.वी. कामथ पैनल ने यह सिफारिश की थी कि पंजीकरण को सर्वव्‍यापी बनाया जाना चाहिए।

इस प्रकार उद्योग आधार और पंजीकरण में आसानी की अवधारणा की शुरूआत हुई, जो केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों की विभिन्‍न योजनाओं के तहत एमएसएमई द्वारा लाभ प्राप्‍त किया जाना सुनिश्चित करता है।

उद्योग आधार ज्ञापन की विशेषताएं

उद्योग आधार ज्ञापन की बहुत  सारी विशेषताएं हैं। जैसे,

उद्योग आधार के लाभ

अगर कोई एमएसएमई यूनिट उद्योग आधार में पंजीकृत है तो उसे कई लाभ मिल सकते हैं। जैसे,

भारत सरकार की विविध योजनाओं का लाभ: उद्योग आधार में पंजीकृत एमएसएमई यूनिट ही भारत सरकार की विविध योजनाओं का लाभ ले सकती हैं तथा विभिन्‍न मंत्रालयों व विभागों की सेवाओं आदि के लिये ऑनलाइन आवेदन भी कर सकती है।

सरल व निशुल्‍क: उद्योग आधार पूर्णत: नि:शुल्‍क है तथा इसमें बहुत कम समय में ही पंजीकरण किया जा सकता है। इस ज्ञापन को स्‍व-घोषणा के आधार पर फाइल किया जाता है तथा इसकी फाइलिंग करते समय किसी अतिरिक्‍त दस्‍जावेज़ की आवश्‍यकता नहीं होती है।

एकल व्‍यवस्‍था: उद्योग आधार की नई प्रणाली पंजीकरण की एकल व्‍यवस्‍था है। यह प्रणाली कारोबार करने में आसानी सुनिश्चित करती है क्‍योंकि देश की 93% वयस्‍क जनसंख्‍या पहले से ही आधार के तहत पंजीकृत है।

लोक खरीद नीति का लाभ: उद्योग आधार में पंजीकृत एमएसएमई युनिट्स लोक खरीद नीति (Public Procurement Policy) का लाभ ले सकती हैं। इस नीति के तहत प्रत्‍येक केन्‍द्रीय मंत्रालयों, विभागों व सार्वजनिक उपक्रमों को अपनी सालाना खरीद का 20 प्रतिशत एमएसएमई से लेना अनिवार्य है।

उद्योग आधार में पंजीकृत एमएसएमई यूनिट्स को कई बार टेण्‍डर की ईएमडी (EMD) आरक्षित मूल्‍य देने की भी ज」ज़रूरत नहीं पड़ती है। उद्योग आधार के द्वारा एमएसएमई मंत्रालय द्वारा आंकड़ों के रख-रखाव में दीर्घावधि में लागत कम होने की उम्‍मीद है।

पंजीकरण करने की प्रक्रिया

आवेदक को उद्योग आधार (UA) पोर्टल http://udyogaadhaar.gov.in पर जाकर पंजीकरण करना होगा, जिसके तहत वि‍भिन्‍न जानकारियां भरनी होंगी। जैसे,

आधार नम्‍बर – आवेदक को 12 संख्‍या का आधार नम्‍बर निर्धारित स्‍थान पर भरना होगा।
स्‍वामी का नाम – आवेदक को अपना नाम भरना होगा जैसा कि उसके आधार कार्ड पर अंकित है।
आधार को वेलिडेट करना -आधार को सत्‍यापित करने के लिए आवेदक को वेलिडेट आधार बटन पर क्लिक करना होगा तभी आगे का फॉर्म खुलेगा।
रिसेट – रिसेट पर क्लिक करके ऊपर अंकित आधार नम्‍बर मिट जाएगा जिससे आप फिर से अन्‍य आधार नम्‍बर अंकित कर सकते हैं।
सामाजिक वर्ग – इसके तहत आवेदक अपने सामाजिक वर्ग को चुन सकता है जैसे-सामान्‍य,अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति व अन्‍य पिछड़ा वर्ग आदि।
जेण्‍डर – उद्यमी को अपना जेण्‍डर चुनना होता है।
उद्यम का नाम – आवेदक अपने उद्यम का नाम भर सकता है। जिस नाम से वह उपभोक्‍ताओं व जनता में जाना जाता है।
संगठन का प्रकार – निर्धारित सूची में से आवेदक अपने संगठन का उचित प्रकार भर सकता है।
पैन नम्‍बर – आवेदक को पैन नम्‍बर भरना होता है।
प्‍लांट की स्थिति – आवेदक एक पंजीकरण में अपने कारखाने या प्‍लाण्‍ट की कई स्थितियों को दर्शा सकता है।
पत्राचार का पता – आवेदक को अपने उद्यम का पूर्ण पता देना होता है जिसमें पिन कोड, मोबाइल नम्‍बर व ई-मेल आदि शामिल हैं।
प्रारंभ की स्थिति – विगत में जिस तिथि से यूनिट ने कार्य आरंभ किया उसे अंकित करना होता है ।
प्रारंभिक पंजीकरण सूचना (यदि कोई हो) – यदि पूर्व में कोई पंजीकरण जैसे ईएम-।/ईएम-।। हो तो उसे अंकित करना चाहिए।
बैक जानकारी – निर्धारित तिथि में उस बैंक एकाउंट की जानकारी देनी होती है जिसका प्रयोग क्रियाशील उद्यम के लिए किया जा रहा है।
मुख्‍य कार्य – मुख्‍य गतिविधि के तहत या तो विनिर्माण क्षेत्र या ‘सेवा’ क्षेत्र‍ को चुना जाना चाहिए।
राष्‍ट्रीय उद्योग वर्गीकरण (एन.आई.सी. कोड) – ‘आवेदक इस स्‍थान के लिए उपयुक्‍त राष्‍ट्रीय औद्योगिक वर्गीकरण – 2008 (NIC) कोड को अपनी मुख्‍य गतिविधियों के लिए चुन सकता है। एनआईसी कोड केन्‍द्रीय सांख्यिकीय संगठन (CSO) द्वारा बनाए गए हैं ।

सुगम हुआ उद्यम पंजीकरण का रास्ता

उद्योग आधार पंजीकरण ने सभी उद्देश्‍यों के लिये उद्यमिता ज्ञापन-।। (EM-II) तथा लघु उद्योग पंजीकरण (SSI Registration) को प्रतिस्‍थापित कर दिया है।

केन्‍द्र अथवा राज्‍य सरकार के विनियामक निकाय, कर प्राधिकरण, जल, बिजली आदि उपयोगी सेवाएं उपलब्‍ध कराने वाली एजेन्सियों, बैंक और अन्‍य वित्‍तीय संस्‍थाओं को सभी प्रयोजनार्थ ईएम-।। के स्‍थान पर उद्योग आधार (यू.ए.एम.) स्‍वीकार करना चाहिए।

पहले उद्यम स्‍थापित करने से पूर्व उद्यम ज्ञापन-। (ई.एम.-।) पंजीकरण प्राप्‍त करने का प्रावधान था। आवेदक उपयोगी सेवाएं प्राप्‍त करने, स्‍थानीय निकायों में भवन नक्‍शा अनुमोदन, राज्‍य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में स्‍थापना हेतु सहमति अथवा उद्यम स्‍थापित करने के लिए बैंक अथवा वित्‍तीय संस्‍था से सावधि ऋण के लिए आवेदन फाइल करते समय ईएम-। की प्रति साथ लगाते थे।

उद्यम द्वारा वाणिज्यिक संचालन शुरू करने के बाद यू.एम. पंजीकरण दिया जाता है। अब उद्यम स्‍थापित करने से पहले कोई पंजीकरण नहीं होता है। ई.एम.-। पंजीकरण की पद्धति बंद कर दी गई है।

 

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