Site icon Youth Ki Awaaz

“मैंने बेरोज़गारी पर सरकार को ना कोसकर अपनी कंप्यूटर स्किल बढ़ाई”

नंद कुमार बैध

नंद कुमार बैध

एक वक्त ऐसा हुआ करता था, जब मैं सिस्टम को बहुत ज़्यादा कोसता था। हर चीज़ पर सरकार को घेरता था कि हमारे शहर में तमाम तरह की समस्याओं की वजह सरकारी योजनाओं में कमी ही है मगर एक दिन हमने सोचना शुरू किया कि एक नागरिक होने के नाते क्या हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं बनती?

यह तो वही बात हो गई कि केले का छिलका सड़क पर फेंकना भी है और स्वच्छ भारत मिशन की कमियां निकालकर सरकार को कोसना भी है। मतलब हद है! चलिए अब मुद्दे पर आता हूं। हमलोग हमेशा तमाम मुद्दों के साथ-साथ बेरोज़गारी के लिए जमकर किसी भी सरकार को कोस देते हैं। सरकार को कोसने के क्रम में हमारी सारी कमियां नज़रअंदाज़ हो जाती हैं।

जैसे- हमारी गणित अच्छी है या नहीं, जेनरल नॉलेज में हम कैसे हैं या अन्य विषयों पर हमारी कैसी पकड़ है, इस बारे में कोई कुछ नहीं पूछने वाले हैं यदि आपने सरकार को बेरोज़गारी के नाम पर घेरना शुरू कर दिया है तो!

हमें इस बात का अंदाज़ा नहीं है कि हम हर बात पर सरकार को घेककर अपने साथ कितना बड़ा धोखा कर रहे हैं। ठीक है सरकार जॉब क्रिएट करने में फेल हो रही है, यह अलग बात है मगर हम अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं? कभी सोचा है इसपर क्या?

नंद कुमार बैध।

हमारे पास खुद को निखारने के बहुत सारे स्कोप होते हैं, बस ज़रूरत यह है कि हम उनका सही इस्तेमाल करें। ग्रैजुएशन के बाद मेरे पास भी सरकार को कोसने के लिए कई सारे स्कोप मौजूद थे मगर मैंने खुद को कंप्यूटर ऑपरेटर के क्षेत्र में काबिल बनाया और अपने ही शहर में अच्छी सैलरी पर कार्यरत हूं।

मेरे लिए भी बहुत आसान था कि मैं ग्रैजुएशन के बाद बैठकर सरकार को कोसता रहता। हमें यह समझना पड़ेगा कि सरकारें तो आएंगी और जाएंगी मगर हम आम लोगों के लिए स्किल्स को निखारना बेहद ज़रूरी है।

मुझे याद है एक वक्त हुआ करता था जब सरकारी दफ्तरों में केवल बुज़ुर्ग लोग ही काम किया करते थे, जिन्हें लगता था कि यह काम तो हमलोगों के लिए है ही नहीं लेकिन कंप्यूटर के युग ने सब कुछ बदल कर रख दिया। कंप्यूटर के युग ने हम जैसे युवाओं के लिए सरकारी दफ्तरों में बतौर कंप्यूटर ऑपरेटर काम करने के रास्ते खोल दिए।

आज मैं एक सफल कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर झारखंड के दुमका ज़िले के DC ऑफिस में कार्यरत हूं। लोगों को लगता था कि सरकारी चिट्ठियां पढ़ना या उनके आधार पर एप्लिकेशन तैयार करना तो सिर्फ बुज़ुर्गों का ही काम है मगर हम जैसे युवाओं ने उन पूर्वाग्रहों को तोड़ा है। आज ज़रूरत है सरकारी योजनाओं के ज़रिये देश के अलग-अलग दफ्तरों में मुझे जैसे तमाम युवाओं की भूमिका को बल देने की ताकि ना सिर्फ हमारा फ्यूचर सिक्योर हो, बल्कि डिजिटल इंडिया के बैनर तले जो सपना मोदी जी ने देखा है, वह भी सार्थक हो।

Exit mobile version