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लाइक्स, कमेंट्स की दौड़ आपके डिप्रशेन की वजह तो नहीं बन रही है?

किसी भी बात को एक दूसरे तक पहुंचाने के लिए हम अब टेलीफोन या ईमेल का सहारा नहीं लेते हैं। यह काम अब चुटकियों में बस एक बटन दबाकर फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि पर बने हमारे अकाउंट्स के ज़रिए आसानी से हो जाता है। इन अकाउंट्स के ज़रिए हम दूर-दराज में बैठे अपने सगे संबंधियों के अलावा ग्लोबली लोगों से बातें कर सकते हैं।

आजकल की भागमभाग भरी ज़िन्दगी में इंसान के पास इतना समय नहीं है कि वह चंद मिनट अपने लिए निकाल ले, जिसके कारण वह सोशल मीडिया का सहारा लेता है। इस सहारे के ज़रिए वे अपने आसपास के लोगों से एक छत के अंदर 5 इंच और 21 इंच की स्क्रीन के ज़रिए संपर्क में रहते हैं व अपनी कामयाबी अपनी ज़िन्दगी के बारे में एक दूसरे को बताते रहते हैं।

सुनने में तो यह अच्छा लगता है कि एक ही छत के नीचे कम समय में आप सबसे रुबरु हो जाते हैं, वह भी एक क्लिक के ज़रिए पर कभी-कभी आप एक क्लिक के ज़रिए परेशानियों और अवसाद को न्यौता देना शुरू देते हैं।

फोटो सोर्स- pixabay.com

अक्सर यह न्यौता आप अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स के ज़रिए देते हैं। आपने महसूस किया होगा कि जब कभी आप सोशल मीडिया पर पर अपनी कोई पोस्ट डालते हैं तो आप अपनी फ्रेंड लिस्ट के सभी दोस्तों से उम्मीद करते हैं कि वह आपकी उस पोस्ट को लाइक करे। यदि लाइक्स आपकी उम्मीदों से कम होते हैं तो आप इस सोच में पड़ जाते हैं कि आखिर क्या कमी हो गई मेरी इस पोस्ट में? क्या मैंने कुछ गलत किया? वगैरह-वगैरह।

यही गहन सोच आपको एक अनचाहे अवसाद की ओर धीरे-धीरे ढकेलने लगती है, जिसे आप समझ ही नहीं पाते और वह कब आपको पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले लेती है आपको पता ही नहीं चलता है।

एक शोध में पाया गया है कि सोशल मीडिया पर सकारात्मक अनुभव में हर 10 फीसदी की बढ़ोतरी अवसाद के लक्षणों में चार फीसदी की कमी करती है, लेकिन ये परिणाम सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण नहीं हैं। इसका अर्थ है कि यह निष्कर्ष बेतरतीब अवसर की वजह से हो सकते हैं और यह शोध 18 से 30 के उम्र के बच्चों के बीच रही।

इस शोध से यह तो साफ ज़ाहिर हो गाया कि हमारी ज़िन्दगी में कहीं-ना-कहीं सोशल मीडिया का दखल हमारे परिवार वालों से ज़्यादा बढ़ गया है, क्योंकि हम अपनी ज़िन्दगी के निजी पलों को सोशल साइट्स पर उन लोगों से भी शेयर करने से नहीं हिचकिचाते हैं, जिनसे हम सोशल मीडिया के ज़रिए पहली बार मिले हैं।

तो जनाब अगर आप भी सोशल मीडिया प्रेमी हैं और अपनी लाइफ के हर पल को सोशल मीडिया पर शेयर कर जीते हैं तो कीजिए पर उसे अपनी ज़िन्दगी के हसीन पलों में शामिल कीजिए ना कि अवसाद के पलों में। ये साइट्स अपना व्यापार तो बढ़ा रही है पर आपकी लाइफ के हर कीमती पल को छीन भी रही है।

तो खबरदार हो जाइए एक क्लिक से आप जिस तरह नए दोस्तों को अपनी लाइफ का हिस्सा बना सकते हैं, उसी तरह आप अपनी ज़िन्दगी में अवसाद को भी अपना दोस्त बना रहे हैं।

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