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“हमारी एक पहल से बच्चों को मिलने लगी कंप्यूटर की ट्रेनिंग”

बात उन दिनों की है, जब मैं फेलोशिप के दौरान समुदाय में एक माह रहने के लिए गया हुआ था। मैंने राजकीय आर्दश उच्च माध्यमिक विद्यालय हांसलसर गाँव को अपने सीआई के लिए चुना था। चूंकि गाँव काफी बड़े क्षेत्रफल में फैला हुआ था, इसलिए मैंने अपने रुकने के लिए गाँव के बीच में ही स्थान देखा, तो मुझे स्कूल ही बेहतर जगह लगी।

इसके लिए मैंने स्कूल के प्रिंसिपल से विशेषतौर से अनुरोध करके स्कूल में रहना शुरू किया। स्कूल में रहते हुए मैंने अपने सीआई के लिए जो योजना तैयार की थी, उसके अनुसार स्कूल में काम करना शुरू कर दिया। लगभग छह-सात दिन हुए थे मुझे स्कूल में काम करते हुए, मेरी नज़र स्कूल के बंद कमरे की तरफ पड़ी। मैंने अगले दिन प्रिंसिपल महोदय से पूछा कि इस बंद कमरे का क्या उपयोग है?

प्रिंसिपल महोदय ने बताया,

इस कमरे में कंप्यूटर लैब है, क्योंकि हमारे स्कूल में कंप्यूटर टीचर नहीं हैं, इसलिए यह बंद पड़ा हुआ है। अगर आप अपना कुछ समय निकालकर बच्चों को कंप्यूटर सिखा सकें तो अच्छा होगा।

मैंने अगले ही दिन स्कूल के कुछ बड़े बच्चों को लेकर कंप्यूटर लैब की सफाई कराई और कंप्यूटर क्लास शरू किया। शुरुआत में कक्षा 10वीं और 12वीं के बच्चों को ही कंप्यूटर सिखाने के लिए चुना। उसके साथ स्कूल के एक और शिक्षक को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया ताकि मेरे स्कूल से जाने के बाद भी कंप्यूटर क्लास चलता रहे।

कंप्यूटर क्लास शुरू करने के प्रथम दिन ही मैंने बच्चों का मौखिक रूप से मूल्यांकन किया यह पता करने के लिए कि बच्चों को कंप्यूटर की कितनी मालूमात है, जिससे मैं उन्हें कंप्यूटर सिखाने का आधार तय कर सकूं। मैंने पाया कि बच्चों को कंप्यूटर के विषय में कोई ज़्यादा जानकारी नहीं थी। कंप्यूटर कोर्स शुरू करने से पूर्व मैंने उन्हें कंप्यूटर की प्रारंभिक चीज़ों को ही सिखाया।

जैसे- कंप्यूटर कैसे स्टार्ट करते हैं, स्क्रीन क्या होती है, सीपीयू क्या होता है, की-बोर्ड पर हाथ कैसे रखते हैं, माउस चलाना आदि।

उसके पश्चात मैंने कंप्यूटर लैब में उन्हें ले जाकर अभ्यास कराना प्रारंभ किया। शुरुआत के छह-सात दिनों तक बच्चों को सीखने में परेशानी हुई। इस परेशानी के बावजूद कंप्यूटर सीखने में उनकी दिलचस्पी साफ दिख रही थी।

उन्हें नई चीज़ों से जुड़ने का मज़ा भी आ रहा था, इसलिए उनके द्वारा लगातार अभ्यास चलता रहा। लगभग दो सप्ताह तक कंप्यूटर क्लास को बच्चों और एक शिक्षक के साथ अभ्यास कराता रहा। समय-समय पर प्रिंसिपल भी कंप्यूटर क्लास में बच्चों को देखने आते रहते थे। वर्तमान समय पर हांसलसर स्कूल में 20 बच्चों को कंप्यूटर में ही इंग्लिश टाइपिंग करना, पेंटिंग करना, ड्रॉइंग करना, नेट को अपनी पढ़ाई के लिए उपयोग में लेना आ गया है।

प्रिंसिपल ने पूरे स्कूल में कंप्यूटर क्लास के लिए कक्षा 6वीं से कक्षा 12वीं तक के लिए कंप्यूटर के लिए अलग से समय सारणी बनाई है। इस तरह से राजकीय आर्दश उच्च माध्यमिक स्कूल हांसलसर में एक कंप्यूटर लैब की स्थापना प्रिंसिपल, शिक्षक और फेलो के माध्यम से की गई।

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नोट- स्कूल में कुल शिक्षक- 14/ स्कूल दर्ज संख्या-120

लेखक नाजिर गॉंधी फेलो हैं।

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