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जादवपुर यूनिवर्सिटी में लाल झंडा लेकर हंगामा करने वाले स्टूडेंट्स कौन थे?

बाबुल सुप्रियो

बाबुल सुप्रियो

बृहस्पतिवार 19 सितंबर के रोज़ जादवपुर यूनिवर्सिटी स्थित के.पी.बासु मेमोरियल हॉल में मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो, भाजपा की स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘फ्रेशर्स स्वागत’ में शामिल होने पहुंचे।

इस दौरान लाल झंडा लिए स्टूडेंट्स का हुजूम केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो की तरफ बढ़ा। हुजूम की मंशा बाबुल समझ पाते, इससे पहले ही उनके साथ धक्का-मुक्की शरू हो गई और उनके कपड़े फाड़ दिए गए। यही नहीं, घटना स्थल की एक तस्वीर के अनुसार एक स्टूडेंट को गायक से नेता और अब मंत्री बने बाबुल सुप्रियो के बाल खींचते हुए देखा जा सकता है।

बाबुल सुप्रियो का जमकर किया गया विरोध

ज़ाहिर सी बात है कि ये सभी वामपंथी विचारधारा से प्रभावित स्टूडेंट ही रहे होंगे लेकिन बंगाल में कम्युनिस्ट विचारधारा के अनेकों सक्रिय विंग्स हैं। तो अब सवाल यह उठता है कि लाल झंडा पकड़े स्टूडेंट्स आखिर किस वामपंथी विचारधारा से वास्ता रखते हैं?

इस सवाल के जवाब की खोज करने पर मैंने पाया कि खबरों के चैनल से लेकर डिजिटल प्लेटफॉर्म तक दो ही नामों का ज़िक्र है। एक ए.एफ.एस.यू. यानि ‘आर्ट फैकल्टी स्टूडेंट्स यूनियन’ और दूसरा एस.एई.आई. यानि ‘स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया’।

फोटो साभार- Twitter

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जादवपुर विश्वविद्यालय में स्टूडेंट्स के एक समूह ने पहले तो ABVP द्वारा आयोजित इस सेमिनार को संबोधित करने आये केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो का घेराव कर उन्हें काले झंडे दिखाए। उसके बाद वामपंथी झुकाव वाले दो संगठन ‘आर्ट फैकल्टी स्टूडेंट्स यूनियन’ (ए.एफ.एस.यू.) और ‘स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (ए.एस.एफ.आई.) के सदस्यों ने ‘बाबुल सुप्रियो वापस जाओ’ के नारे लगाते हुए करीब डेढ़ घंटे तक उनको कैंपस में प्रवेश करने से रोका।

वहीं, शाम पांच बजे परिसर से बाहर निकलते समय भी इस भाजपा नेता को विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा। प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स ने उनकी कार का रास्ता रोक दिया।

वैसे तो बंगाल में वामपंथ विचारधारा से प्रभावित अनेकों दल हैं लेकिन राजनीतिक रूप से सक्रिय सीपीआई, सीपीआई (म), एवं सीपीआई माले हैं, जबकि सीपीआई मॉस्ट और ‘मज़दूर क्रांति परिषद्’ गैर-राजनितिक विचारधारा हैं, जिनके सिद्धांत बिलकुल अलग हैं।

बहरहाल, इन सभी की अपनी-अपनी स्टूडेंट विंग हैं। जैसे-सी.पी.आई. की ए.आई.एस.एफ, सी.पी.आई. (M) की एस.एफ.आई, सी.पी.आई. माले की ए.आई.एस.ए। वहीं, सी.पी.आई. मॉस्ट की यू.एस.डी.एफ. और ‘मज़दूर क्रांति परिषद’ की पी.डी.एस.एफ. है। इनमें से पहला नाम आया एस.एफ.आई. का तो दूसरा ए.एफ.एस.यू. का लेकिन ए.एफ.एस.यू. अपने आप में अलग विचारधारा है।

फोटो साभार- Twitter

ए.एफ.एस.यू. की मौजूदगी समझ में आती है मगर अन्य वामपंथी विचारधारा की स्टूडेंट विंग जैसे- सी.पी.आई. की ए.आई.एस.एफ, सी.पी.आई (M) की एस.एफ.आई, सी.पी.आई. माले की ए.आई.एस.ए, सी.पी.आई. मॉस्ट की यू.एस.डी.एफ. और ‘मज़दूर क्रांति परिषद’ की पी.डी.एस.एफ. आदि की मौजूदगी को इन दलों ने इंकार कर दिया।

बाकायदा प्रेस रिलीज़ जारी करते हुए सी.पी.आई (M) की एस.एफ.आई. ने अपने नेतृत्त्व की मौजूदगी से इंकार कर दिया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर नेतृत्व मौजूद नहीं था फिर इतनी संख्या में स्टूडेंट आए किस दल से? क्योंकि ए.एफ.एस.यू. और यूएसडीएफ की स्टूडेंट विंग इतनी मज़बूत है नहीं। जब हमने नाम ना बताने की शर्त पर ए.आई.एस.एफ. के अध्यक्ष से उनके कैडर की घटना में मौजूदगी पर सवाल पूछा, तब उनहोंने साफ इंकार कर दिया।

क्या कहा केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने

सेमिनार में शामिल होने वाले बाबुल सुप्रियो ने कैंपस में संवाददाताओं से कहा, “मैं यहां राजनीति करने नहीं आया हूं। विश्वविद्यालय के कुछ स्टूडेंट्स ने जिस तरीके से मेरे बाल खींचे और मुझे धक्का दिया, मैं दुखी हूं।”

घटना के बारे में पता चलने पर विश्वविद्यालय के कुलपति सुरंजन दास ने प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स से कारण जानने की कोशिश की लेकिन उन्होंने विश्वविद्यालय के द्वार से हटने से इनकार कर दिया।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि बाबुल सुप्रियो का घेराव किया जाना एक गंभीर मुद्दा है। उन्होंने घटना के संबंध में राज्य के मुख्य सचिव मलय डे को तुरंत कदम उठाने को कहा है। मुख्य सचिव ने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति राज्यपाल को आश्वस्त किया कि शहर के पुलिस आयुक्त को तुरन्त मामले पर गौर करने का निर्देश दिया गया है।

ज्ञात हो कि हालिया लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उतने ही वोट बढ़े, जितने लेफ्ट के घटे जिसका खामियाज़ा सीधे-सीधे टीएमसी को चुकाना पड़ा। इस पूरे घटनाक्रम में सरकार खामोश रही, सीएम खामोश रहीं और तो और स्टूडेंट का कहना है कि प्रशासन का रवैया भी सुस्त रहा।

इन सबके बीच वेबसाइट क्विंट के मुताबिक पवन शुक्ला नाम के एक स्टूडेंट का कहना है कि ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए भीड़ ने उन्हें क्रिकेट स्टंप से पीट दिया, जिससे वह बुरी तरह घायल हो गए। उनका कहना है कि इस दौरान उन्होंने पुलिस से भी मदद मांगी मगर उन्होंने हस्तक्षेप नहीं किया।

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