अहसास कभी उम्र, जेंडर और ओहदा देखकर नहीं जुड़ते। प्यार, गुस्सा, रोना, हंसना, आशा और हताशा सब अहसास हैं, जो मरते दम तक एक जज़्बाती इंसानके साथ जुड़ा रहता है। अव्वल आने पर जब पिता शाबशी से पीठ थपथपाते हैं तब वे उससे ज़्यादा भावुक तब होते हैं जब हमारे फेल्यर पर सांत्वना देते हुए हाथ सहलाते हैं।
जब बचपन में खिलौना टूट जाता है तो बच्चा रोने लगता है, बच्चा बीमार होता है तो माँ रोने लगती है, नई गाड़ी में स्क्रेच पड़ जाए तो दिल टूट जाता है, फोन से फेवरेट फोल्डर उड़ जाए तो चेहरे का रंग उड़ जाता है, पुराने घर को छोड़कर नए घर जाने में आधी सांसें अटक जाती है। ये सब अपने-अपने इमोशन ही तो हैं।
आखिरकार ऐसा क्या है हमारे पास जो बस हमारा है? बस एक अहसास ही है जो हमारा है।
करोड़ों भारतवासियों का कंधा
प्यार करो हर चीज़ से, जी भरकर करो और उसे व्यक़्त भी करो। हर इमोशन को व्यक्त करना ही हम इंसान की पहचान भी है और ताकत भी। जी भर कर रोने में भी एक अलग सुकून है।
कल जब विक्रम से संपर्क टूटा था तो देश ने दिल से आंसू बहाए थे। वैज्ञानिक का हौसला थपथपाते हुए वह जो बुज़ुर्ग उसके साथ कंधा दिए खड़ा था, वह देश का सिर्फ लीडर नहीं बल्कि करोड़ों भारतवासियों का कंधा साथ लिए खड़ा था।
लिखने और बोलने में बहुत साधरण बात लगती है लेकिन सकारात्मक ऊर्जा सच में हवा का रुख पलट सकती है। इंसान तब नहीं हारता जब वह कोशिश करना छोड़ दे, इंसान तब हारता है जब वह कोशिश ही ना करे। बस चंद सेकंड का वह पीठ थपथपाना ना जाने कितने देशवासियों की आंखें नम कर गया और वैज्ञानिकों में ना जाने कितने हौसले भर गया।
आज जब पता चला कि विक्रम टूटा नहीं है तो मानो जैसे कण-कण कह रहा है कि समय बलवान है, तू हिम्मत मत हार। सही मानो तो सिर्फ विक्रम ही नहीं लेकिन देश का हौसला नहीं टूटा है।
जो बुरे वक्त में साथ दे वही अपना
अगर कल रोए थे तो आज हंसने की वजह भी तो है। सोचो अगर कल मुसीबत के समय में वह मज़बूत कंधा उसे ना मिलता और आज विक्रम से अच्छी खबर आती तो क्या मायने रह जाते देश के कर्ता-धर्ता के? लेकिन कहते हैं ना की बुरे वक्त में साथ देने वाला ही अपना है।
विक्रम से आगे क्या समाचार प्राप्त होंगे यह मुझे नहीं मालूम लेकिन मुझे इतना ज़रूर मालूम है कि आज मेरा देश एक साथ खड़ा है, जहां देश का नेता भी मेरे घर का सदस्य है और देश का वैज्ञानिक भी मेरे घर का सदस्य है। घर बनाने के लिये रिश्ते और भीड़ की ज़रूरत नहीं रहती, बस नीयत होनी चाहिए।
जितना गर्व मुझे मेरे देश पर है उससे कई ज़्यादा गर्व मुझे इस देश का हिस्सा होने पर है।