भारत एक कृषि प्रधान देश है। विश्व में भारत, पशुधन जनसंख्या, दुग्ध उत्पादन, मवेशी जनसंख्या, भैंस जनसंख्या, बीफ उत्पादन, बकरी का दूध उत्पादन, कुलजीव विज्ञान जनसंख्या में प्रथम स्थान पर है।
इस प्रथम स्थान का ढिंढोरा पीटने वाली भारत सरकार, मध्यप्रदेश वेटनरी कॉलेज के स्टूडेंट्स की आवाज़ सुनने को तैयार नहीं है। केंद्र और राज्य सरकार के कारण बेरोज़गारी की मार झेल रहे मध्यप्रदेश वेटनरी कॉलेज के छात्र, करीब 11 दिनों से अपनी मांगो को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं लेकिन मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ना सुनने को तैयार है और ना ही किसी सरकारी पक्ष से इन स्टूडेंट्स को किसी भी प्रकार का आश्वासन दिया गया है।
क्यों हो रही है हड़ताल?
वर्ष 2018 में भी मध्यप्रदेश के सभी वेटनरी कॉलेज के स्टूडेंट्स के द्वारा आंदोलन किया गया था, पर सरकारी पक्ष ने आश्वासन देकर इन स्टूडेंट्स का आंदोलन खत्म करा दिया था।
बीते 1 वर्ष में सरकार के द्वारा कोई भी सटीक कदम नहीं उठाये गए। राज्य सरकार कृषि आयोग की अनुशंसा को देखें तो प्रदेश में 7 हज़ार वेटनरी डॉक्टरों की आवश्यकता है लेकिन अभी यह संख्या 1671 ही है।
इसके साथ ही बीते 5 सालों से पशु चिकित्सकों की रिक्त पदों पर भर्तियां नहीं हुई है। स्टूडेंट्स की मांग है कि ऐसे में हर साल खाली पड़े पदों के अनुसार भर्ती प्रक्रिया अपनाई जाए, ताकि ज़्यादा वेटनरी चिकित्सकों को नौकरी मिल सके।
स्टूडेंट्स ने अलग-अलग तरीके अपनाए ताकि सरकार का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर सके। कभी इन स्टूडेंट्स ने चाय बेची, तो कभी भैंस के आगे बीन बजा कर सरकार का विरोध किया लेकिन अब स्थिति इस स्तर तक खराब हो चुकी है कि स्टूडेंट्स ने अपने खून से कमलनाथ सरकार को पत्र भी लिख डाले लेकिन फिर भी सरकार ने एक ना सुनी।
क्या है स्टूडेंट्स की मांगे?
स्टूडेंट्स की कुछ प्रमुख मांगे हैं जिनपर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा।
- मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा 1671 स्वीकृत पद हैं, उन्हें बढ़ाकर करीब 7000 के समक्ष किया जाए एवं प्रत्येक वर्ष मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग(MPPSC) के द्वारा भर्ती परीक्षा कराई जाए।
- सरकार ने जो निजीकरण का प्रस्ताव पारित किया है, स्टूडेंट्स उसका कड़ा विरोध करते हैं क्योंकि प्राइवेट वेटनरी कॉलेज खुलने से प्रदेश को नए पशुचिकित्सक तो मिल जाएंगे लेकिन वे भी बेरोज़गारी की ही मार झेलेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि पहले से ही हज़ारों बेरोज़गार पशुचिकित्सक बैठे हुए हैं।
- इंटर्नशिप के जो स्टूडेंट्स हैं उनको भी आगामी लोक सेवा आयोग की परीक्षा में शामिल किया जाए।
- स्टूडेंट्स की सरकार से अंतिम मांग यह है कि इंटर्नशिप के दौरान जो मानदेय मिलता है वो 4600 रुपये प्रतिमाह है, जो कि एक मज़दूर की मज़दूरी से काफी कम है, उसको बढाकर 20000रुपये प्रतिमाह किया जाए।
स्टूडेंट्स का यह भी कहना है कि पोस्ट ग्रेजुएशन में स्टूडेंट्स को मानदेय नहीं मिलता है जिसे शुरू करते हुए उसका मानदेय कम से कम 20000 प्रतिमाह किया जाए क्योंकि इंटर्नशिप के छात्र एवं पोस्टग्रेजुएशन के छात्र प्रातः 10 बजे से शाम के 5 बजे तक चिकित्सालय में अपनी सेवा देते है हैं, तो इस पर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए ।
अब छात्र अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं। स्टूडेंट्स के द्वारा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलने की लगातार कोशिश की जा रही है लेकिन बारिश में भीगते खड़े स्टूडेंट्स को नज़रअंदाज़ करते भोपाल में मुख्यमंत्री का काफिला निकल गया।
देश मे युवाओं की स्थिति बहुत ही दुखद है। सरकार चाहे कोई भी हो वह बस युवा वोटों का खेल खेलती आ रही हैं। जब-जब स्टूडेंट्स की आवाज़ उठी है उसे दबा दिया गया है।
हमें यह समझना होगा कि 65% युवा आबादी वाले भारत देश मे युवाओं को रोज़गार के अवसर जब तक प्रदान नहीं किए जाएंगे, देश की तरक्की मुमकिन नही है ।