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उत्तराखंड में डेंगू मरीज़ों की संख्या पहुंची 5000 से पार

प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त राज्य उत्तराखंड में एक नई आपदा ने पैर पसार लिए हैं। यह नई आपदा है डेंगू जिसका कहर थम ही नहीं रहा है। दिन-प्रतिदिन डेंगू के नए मामले सामने आ रहे हैं। फिल्हाल राज्य में डेंगू के मरीज़ों की संख्या 5000 से ज़्यादा हो गई है।

पुराने सारे रिकॉर्ड पीछे छूट गए

उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों से डेंगू के मरीज़ों की पुष्टि हुई है। लगातार नए केस सामने आ रहे हैं। आपको बता दूं कि राज्य में डेंगू मरीज़ों की अब तक की यह सबसे अधिक संख्या है। यानी डेंगू के मामले में यहां पिछले सालों के सभी रिकॉर्ड पीछे छूट गए हैं।

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मरीज़ों की संख्या सबसे ज़्यादा है। यहां पर डेंगू के मरीजों की अब तक की संख्या 3183 हो गई है। वहीं पहाड़ी क्षेत्रों से भी लगातार कोई ना कोई व्यक्ति डेंगू की चपेट में आ रहा है। पहाड़ों में हाल ही में डेंगू से दो लोगों की मौत हो गई है।

डेंगू के डर से पहाड़ में भी लोग भयभीत हो गए हैं। हाल ही में उत्तरकाशी जनपद में स्थित यमुनाघाटी के दो युवकों की डेंगू से मौत हो गई है। उनमें से एक युवक की शादी एक साल पहले हुई थी। दोनों का इलाज देहरादून में चल रहा था।

कैसे फैलता है डेंगू?

डेंगू एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर दिन में काटता है और खासकर बरसात के महीने में ज़्यादा पनपता है। इसलिए कहीं भी पानी को जमा होने से रोकना चाहिए क्योंकि जमा हुए पानी में यह ज़्यादा तेज़ी से फैलते हैं।

डेंगू की बीमारी से वे लोग जल्दी प्रभावित होते हैं जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसके लिए ज़रूरी है कि हम अपने खान-पान का पूरा ख्याल रखें और शुरुआती लक्षण जैसे सर दर्द, मांसपेशियों में दर्द और बुखार को बिल्कुल भी नज़रअंजाज़ ना करें।

जब मौसम का पारा गिरता है तब डेंगू की बीमारी फैलाने वाले इस मच्छर की सक्रियता भी कम हो जाती है लेकिन उत्तराखंड में ऐसा नहीं हुआ है। यहां मौसम का पारा काफी गिर गया है लेकिन फिर भी इस मच्छर की सक्रियता में कोई कमी नहीं हुई।

इसके उलट डेंगू का मच्छर दिन-प्रतिदिन पहाड़ व मैदान में तेजी से पैर पसार रहा है।

क्या है सरकार के कदम?

अगर डेंगू के रोकथाम व बचाव की बात करें तो सरकार इस मामले में बहुत सुस्त दिखाई पड़ रही है। सारे प्रयोग और इंतज़ाम फेल हो चुके हैं। इस बात का जीता-जागता सबूत यह आंकड़ें हैं जो मैंने थोड़ी देर पहले आपको बताए हैं।

वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत डेंगू को लेकर उल-जलूल बयान दे रहे हैं। हाल ही में जब उनसे डेंगू के रोकथाम के उपाय पूछे तो उन्होंने कहा,

प्रदेश में डेंगू को लेकर कोई महामारी जैसी स्थिति नहीं है और पैरासिटामोल की 650 मिग्रा की खुराक खाने और आराम करने से यह बीमारी ठीक हो जाती है।

डेंगू को लेकर वे वैक्सीनेशन की सुविधा देते नज़र ज़रूर आएं हैं लेकिन वहीं उनके कुछ बयान है जो उनकी संवेदनशीलता पर प्रश्न चिह्न लगाते हैं। जैसे कि जब डेंगू के रोकथाम और उपचार के मसले पर उनसे सवाल पूछे गए तो उन्होंने कहा,

मच्छर सरकार के घर में तो पैदा नहीं होते हैं।

खबरें बता रही हैं कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इस मुद्दे पर कहा है कि डेंगू के रोकथाम और लोगों को जागरूक करने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं लेकिन इसका परिणाम क्या है वह उत्तराखंड में बढ़ते मरीज़ों की संख्या से साफ दिख रहा है।

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