बढ़ते हुए पर्यावरण प्रदूषण एवं जलवायु परिवर्तन को मूल रूप से जलवायु की सरंचना में हो रहे बदलाव के रूप में जाना जाता है, जो कई दशकों एवं सदियों से लगातार हो रहे हैं।
धरती के पारिस्थितिकी तंत्र के प्राकृतिक स्वरूप को परिवर्तित करने वाले प्रमुख कारणों में मानव द्वारा की जा रही विभिन्न गतिविधियां जैसे- जंगलों की अंधाधुंध कटाई, ज़मीन का अत्याधिक उपयोग, नदियों के स्वरूप के साथ छेड़छाड़, बढ़ता हुआ जल प्रदूषण शामिल है। जिनके परिणाम के रूप में पिघलते ग्लेशियर, विभिन्न जलीय जंतुओं, प्रजातियों की विलुप्ति जैसी चिंताजनक स्थितियां सामने आ रही हैं।
इसलिए आइए हम ग्रेटा थनबर्ग की इस जलवायु परिवर्तन मुहिम का हिस्सा बनें और आने वाले उज्जवल भविष्य के लिए हम अपने पर्यावरण एवं इसके महत्वपूर्ण घटकों का संरक्षण करें। आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर और स्वच्छ भविष्य का निर्माण करें।
गंगा कर रही आर्त पुकार
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मेरा नाम है गंगा
मैं हूं भारतीय संस्कृति की पहचान
व्यक्त करूं क्या मैं अपनी व्यथा
मर रही हूं मैं बारम्बार
खो रही हूं मैं अपना रंगरूप
मिठास जल की,
प्राकृतिक छटा का दिव्य स्वरूप
बहते हुए नालों, मुर्दाघाटों,
मानव निर्मित भौतिक पदार्थों
ने किया मेरा ह्रदय छिन्नतार (1)
मुझे बांधा गया बांधों के जाल में
शहरों के जाल में, मानव सभ्यता
के विकास के अकाल में
विलुप्त होती प्रजातियां
खत्म होते संसाधन
कर रहे कोलाहल
समय के गर्त में अंतर्वलित
प्रश्नों पर हो सवार
गंगा कर रही एक सवाल?
मेरे आंचल को पतित करने
का कौन है ज़िम्मेदार? (2)
मानव सभ्यता का
हुआ क्रमिक विकास
नदियों के तट पर
नदियों से सीखा मानव
ने अपने जीवन का विस्तार
नदियों की अविरल
धाराओं से सीखा
कठोर परिश्रम, सहज स्वभाव
नदियों के जल से सीखा
जीवन का ठहराव
मानव के इस विकास ने किया
गंगा का आंचल छिन्नतार (3)
सुदूर हिमखंडों से पिघलकर
पर्वतों से निकलकर
खेत खलिहानों को सींचती है गंगा
केवल नदी नहीं है ये
देश का संस्कार है गंगा
पर्व है, गीत है
जीवन का प्रकाश है गंगा
केंद्र है पुण्य का
देश का आधार है गंगा (4)
जन-जन जब साक्षर होगा
गंगा का सरंक्षण होगा
जब नदियों का होगा सरंक्षण
सुरक्षित होगा जन-जन का जीवन
गन्दी नाले, नालियां, गन्दगी
गंगा में नहीं बहायेंगे
यह परम तीर्थ है
जन-जन को समझायेंगे
जब यह सन्देश होगा
जन-जन में प्रसारित
जन-जन में यह आस जगेगी
गन्दगी कोई नहीं फैलायेगा
नदियों का जल जब निर्मल होगा
हर जल गंगा जल बन जाएगा
अब हम सबने ये मिलकर ठाना है
गंगा को स्वच्छ बनाना है।