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7 दशक से ज़्यादा वकालत करने वाले राम जेठमलानी का सफल और विवादास्पद सफर

8 सितंबर 2019 को भारत के सबसे अनुभवी वकील श्री राम जेठमलानी ने अंतिम सांस ली। वे पूरी दुनिया के इकलौते ऐसे वकील थे जिनके पास सबसे ज़्यादा वकालत का अनुभव था और वह भी 77 साल का।

उन्होंने 17 साल की आयु में वकालत शूरु की और 94 की उम्र में खत्म। इस बीच वे संसद और कानून मंत्री भी बने थे। अभी भी वे बिहार से राज्य सभा सांसद थे। इनके बेटे महेश जेठमालानी भी वकील हैं और इनकी पत्नी रत्ना जेठमालानी भी वकील थी।

सबसे पहली कानूनी लड़ाई खुद के लिए

कानून के महान जानकर राम जेठमलानी जी ने सिंध के एस सी शाहनी लॉ कॉलेज से सिर्फ 17 साल की उम्र में LLB किया था। उसी साल उन्होंने अपनी पहली कानूनी लड़ाई लड़ी। दरअसल, उस वक्त वकालत के लाइसेंस के लिए कम से कम 21 की उम्र चाहिए थी जब कि राम जेठमलानी सर्फ 17 साल के थे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कराची के चीफ जस्टिस से मिले और उनसे कहा,

मुझपर यह नियम लागू नहीं होता क्योंकि मुझे 17 साल की उम्र में डिग्री का अधिकार देते हुए यह नियम नहीं था।

इस तर्क को सुनकर चीफ जस्टिस मान गए और बार काउंसिल को लाइसेंस देने को कहा।  इसके बाद जेठमलानी LLM करने के लिए बॉम्बे युनिवर्सिटी से चले गए।

उस वक़्त सिंध के पास अपनी यूनिवर्सिटी नहीं थी। सिंध की पहली यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ सिंध भी बंटवारे के बाद ही बनी थी। सिंध में उनके पिता श्री भूलचंद गुरुमुख दस जेठमलानी भी एक वकील थे। पर राम जेठमलानी को वकील नही साइंटिस्ट बनाना चाहते थे। बड़ी मुश्किल से राम जेठमलानी ने अपने पिता को मनाया था वकालत की पढ़ाई के लिए जिसका ज़िक्र खुद राम जेठमलानी जी ने अपने एक इंटरव्यू में किया था। कहते हैं झूठ बोलने वाले के मुंह से सच कैसे निकलवाना है यह राम जेठमालानी से अच्छा कोई नही जानता था।

राम जेठमलानी, फोटो आभार – फेसबुक पेज

राम जेठमलानी के मशहूर केस

राम जेठमलानी सर्फ वकील ही नहीं थे बल्कि कानून पढ़ाते भी थे। पहले गवर्नमेंट लॉ कॉलेज मुम्बई और फिर सिम्बओएसिस लॉ कॉलेज में पार्ट टाइम प्रोफेसर के तौर पर बच्चों को लॉ पढ़ाया। यह भी कहा जाता था कि अपनी दलील देते समय वे कम से कम चार किस्म के अलग-अलग कानूनों का ज़िक्र करके सामने वाले वकील को भी हैरान कर देते थे। यह कानून के प्रति उनकी जानकारी के बारे में बताता है।

ऐसे कुछ केस जिनसे राम जेठमलानी का करियर आसमान तक पहुंचा पर साथ ही उन्हें एक विवादास्पक वकील भी बना गया।

  1.  बॉम्बे रिफ्यूज़ी एक्ट – जब वह मुम्बई आए थे तब मुख्यमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई की कैबिनेट ने बॉम्बे रिफ्यूजी एक्ट पास किया था। उसमें रिफ्यूजियों को अपराधियों के तौर पर ट्रीट किए जाने की बात कही गई थी।  इसके खिलाफ राम जेठमलानी बॉम्बे हाई कोर्ट गए जहां पर अपनी तगड़ी दलीलों से इन्होंने इस एक्ट को गैरसंवैधानिक घोषित करवाया और केस जीता।
  2.  के एम नानावटी केस – इसमें एक नेवी अफसर के एम नानावटी ने प्रेम आहूजा नाम के बॉम्बे के बड़े व्यापारी की हत्या की थी। उसका कारण था आहूजा का नानावटी की पत्नी के साथ प्रेम संबंध। इस केस में राम जेठमलानी ने प्रेम आहूजा की बहन की तरफ से केस लड़ था।  इस केस की वजह से सिंधी और पारसी कम्युनिटी आमने सामने आ गई थी। बाद में नानावटी को प्रेम आहूजा की बहन से माफी दिलवाने में भी राम जेठमलानी ने सफलता हासिल की।
  3.  स्मगलर का वकील – ये नाम राम जेठमलानी को तब दिया गया था जब मुम्बई में स्मगलिंग के धंधे का बोलबाला था। गोल्ड और इलेक्ट्रौनिक समान की तस्करी होती थी। बतौर वकील राम जेठमलानी ने कई समगलरों के तरफ से केस लड़ा था जिसमें एक तो खुद हाजी मस्तान थे। तब उन्हें ‘स्मगलर का वकील’ कहा जाने लगा था।
  1. आतंकवादियों के केस – चाहे वह इंदिरा गांधी के हत्यारे हो (जो आतंकवादी नही थे), राजीव गांधी के हत्यारे जो LTTE के थे या संसद हमले का आरोपी अफजल गुरु हो, इन सबके मुकदमे खुद जेठमलानी ने लडे़ थे। हालांंकि एक वकील के रूप में वे इन 3 में से एक भी केस नहीं जीते।
  2. करप्शन के केस : चाहे कनिमोझी हो (2G स्पेक्ट्रम घोटाला 2008), हर्षद मेहता हो (सेक्युरिटी घोटाला 1992), केतन पारेख, जगमोहन रेड्डी, एल के आडवाणी (हवाला कांड), लालू प्रसाद यादव (चार घोटाला) या सुब्रत रॉय (सहारा घोटाला) हो, जब इन सब पर अलग-अलग केस में घोटाले के आरोप लगे तब इन सब के केस भी राम जेठमलानी ने लड़े और इन सब की वजह से वे मीडिया की चर्चा में बने रहे।
  3. जेसिका लाल हत्याकांड: 1999 में हरियाणा के मंत्री विनोद शर्मा के बेटे मनु शर्मा ने एक क्लब में काम करने वाली जेसिका लाल को सिर पर इस वजह से गोली मार दी थी क्योंकि उसने मनु शर्मा को एक गिलास शराब का देने से मना कर दिया था। मनु शर्मा की तरफ से मुकदमा लड़ने राम जेठमलानी आए थे हालांकि वे मनु शर्मा को सज़ा से बचा नहीं पाए पर इस केस की वजह से वे कई पत्रकारों के निशाने पर आ गए।

मशहूर पत्रकार करण थाप्पर ने अपने इंटरव्यू में जेठमलानी से पूछा,

क्या अपने कैरियर को वापस पटरी पर लाने और मीडिया में बने रहने के लिए के लिए आपने ये केस लिया? और क्या जान-बूझकर आपने जेसिका लाल के चरित्र को गंदा साबित करने को कोशिश की?

इन सवालों पर राम जेठमालानी को गुस्सा आया और वे इंटरव्यू छोड़ कर चले गए।

इसी तरह एक केस था एक्टर संजय दत्त का। यह वह वक्त था जब मशहूर अभिनेता संजय दत्त को मुम्बई पुलिस ने हत्यार रखने के जुर्म में पकड़ा था। तब राम जेठमालानी जी ने ही उनका मुकदमा कुछ समय तक लड़ा। हालांकि बाद में वे अलग हो गए और जब खुद संजय दत्त राजनीति में उतरे तो उनका इसी केस को लेकर विरोध करने वाले भी राम जेठमलानी थे।

केजरीवाल के भी रहे वकील, थमाया था 3 करोड़ का बिल

राम जेठमलानी अरविंद केजरीवाल के भी वकील रहे। ये सबसे आखिरी और सबसे मशहूर केस था। उस दौरान देश के पूर्व वित्त मंत्री और इनकी तरह भारत के मशहूर वकील स्वर्गीय अरुण जेटली ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों पर आपराधिक मानहानि यानी सेक्शन 499 और 500 के तहत मुकदमा किया।

जेटली ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल और उनके साथी नेताओं ने उन पर DDCA का अध्यक्ष रहते हुए वित्तीय अनियमितता का झूठा आरोप लगाया है। इसी मामले में राम जेठमलानी अरविंद केजरीवाल की ओर से कोर्ट पहुंचे थे।

राम जेठमलानी ने उस वक्‍त जब केजरीवाल को केस का बिल दिया तो वह मीडिया में सुर्खियों में आ गया। उन्‍होंने 3 करोड़ से ज़्यादा का बिल थमा दिया था। इसके बाद कुछ विवाद भी हुआ मगर उन्‍होंने कहा कि अगर अरविंद केजरीवाल उनकी फीस भरने में असमर्थ हैं तो वह उन्‍हें गरीब मान कर बिना फीस उनका केस लड़ेंगे। हालांकि बाद में केजरीवाल साहब ने माफी मांग ली और जेटली साहब ने केस वापस ले लिया था।

ऊपर गए तो कभी नीचे आए, कभी इसका वकील तो कभी उसका वकील। इसी तरह राम जेठमालानी का 77 साल का वकालती दौर निकल गया। आज यह वकील पांच तत्वों के लीन हो गया है, भगवान इनकी आत्मा को शांति दे।

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