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मोदी सरकार पार्ट 2: “सौ दिन के रिपोर्ट कार्ड के टॉप पर आर्थिक मंदी”

भाजपा सरकार के 100 दिन पूरे हो गए हैं, यह उनका दूसरा कार्यकाल है। लोगों को इसलिए सरकार से ज़्यादा उम्मीदें थीं। कोई भी सरकार हो 100 दिन पूरे होने पर अलग-अलग मंत्रालय, डिपार्टमेंट प्रेस कॉंफ्रेस करते हुए अपनी उपलब्धियों को जनता के सामने प्रस्तुत करती है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में 100 दिन पूरे होने पर मीडिया में काफी चर्चा हुई। 2014 के मुकाबले 2019 में सरकार बैकफुट पर नज़र आ रही है।

फोटो सोर्स- Getty

तीन तलाक और आर्टिकल 370 पर सरकार का कदम

तीन तलाक और आर्टिकल 370 जैसे मुद्दों पर सरकार राजनीतिक दृष्टिकोण से सही नज़र आती है या यूं कहें एक बड़ा तबका इन मसलों पर सरकार के साथ है। राजनीतिक तौर पर यह सरकार की उपलब्धि है।

आर्टिकल 370 हटाने के क्या परिणाम भविष्य में सामने आ सकते हैं, इस वक्त कुछ नहीं कहा जा सकता है। 1 महीने से ज़्यादा वक्त हो चला है। कश्मीर घाटी में अभी भी इंटरनेट और मोबाइल सेवा बंद है।

अर्थव्यवस्था पर मंदी का प्रकोप

भारत की अर्थव्यवस्था मंदी से गुज़र रही है। सरकार के लिए यह अच्छी बात नहीं है। उद्योगों के लिए सरकार द्वारा पैकेज की घोषणा की गई है। पैकेज का असर अर्थव्यवस्था पर क्या हुआ? अभी तक कोई भी ठोस परिणाम सामने नहीं आए हैं। बैंकों के विलय से बैंकों की NPA की समस्या का हल नहीं होगा।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ऑटो सेक्टर में मंदी के लिए उबर और ओला को ज़िम्मेदार ठहरा रही हैं, जबकि देश की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने कहा है कि ऑटो सेक्टर में मंदी के लिए उबर और ओला जिम्मेदार नहीं हैं।

फोटो सोर्स- Getty

यातायात नियमों का तोड़ने पर जु़र्माने के प्रावधान का असर

नए कानून के तहत यातायात के नियमों का पालन ना करने पर भारी ज़ुर्माने का प्रावधान किया गया है। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी इसे सही बता रहे हैं मगर कुछ राज्य सरकार इसके लिए उत्सुक नहीं है।

गुजरात में ज़ुर्माने में कटौती की गई है। बहुत से राज्यों में अभी इस कानून पर रोक लगी हुई है। महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री दिवाकर रावते ने कहा है कि सरकार ज़ुर्माने की रकम पर पुनर्विचार करे। इस कानून पर सरकार को अपना रुख बदलना पड़ सकता है।

100 दिन के कार्यकाल को देखते हुए क्या यह कहा जा सकता है?

ऐसे में सरकार का मूल्यांकन किस आधार पर किया जाए? प्रधानमंत्री कभी कहते हैं गाय के नाम पर हिंसा नहीं चलेगी अब कहते हैं गाय का नाम सुनते ही किसी के बाल खड़े हो जाते हैं। इस बीच लिंचिंग में दोषी लोगों को सज़ा नहीं मिलती है, अब सरकार का मूल्यांकन हिंदुत्व को बढ़ावा देने के आधार पर किया जाए क्या?

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