भीम संदेश,
वक्त की नब्ज़ को पहचानो रे साथियों।
वरना गुलामी दस्तक दे रही है।।
याद करो बाबा का संदेश वो।
जिसमें कारवां चलाने की बात कही थी।।
याद करो वो बाबा का त्याग।
जब बच्चे और बीवी खोई थी।।
क्या एहसान परस्त बनते हो रे साथियों।
क्यों गॉंधी के हरिजन बने फिरते हो।।
याद करो उन महापुरुषों का त्याग।
जिन्होंने शोषणकर्ताओं से दो-दो हाथ किये थे।।
मत बनो इतने भी दोगले।
कि आने वाली पीढ़ी गुलाम बन जाये।।
छोड़कर गुलामी बाबा का मिशन चलाओ।
तख्त-ए-ताज दिल्ली पे कब्ज़ा जमाओ।।
तुम वंशज हो शासक जमात के।
अपना भुला इतिहास वापस यादों में लाओ।।
याद करो वो मनुस्मृति दहन दिवस बाबा का।
तुम फिर उसे ज़िंदा करने में लगे हो।।
सुनो रे बहुजनों।
करो प्रयोग मताधिकार का।
नेतृत्व दो योग्य हाथों में।
जो संविधान सम्बद्ध बात करे।।
जो बहुजन हित का ध्यान भरे।।
जय भीम साथियों।