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हरियाणा के झज्जर मेडिकल कॉलेज में फीस बढ़ोतरी के नाम पर स्टूडेंट्स का आंदोलन

मेडिकल स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट

मेडिकल स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट

स्टूडेंट लाइफ का आंदोलन से बहुत पुराना नाता रहा है। अक्सर हर बदलाव की शुरुआत स्टूडेंट्स से ही होती है। किसी भी देश के स्टूडेंट्स वह शक्ति हैं जो बड़ी से बड़ी व्यवस्था को बदलने में सक्षम हैं। सोचिए क्या हो यदि इसी शक्ति का दुरुपयोग स्टूडेंट्स के भविष्य बर्बाद करने में किया जाए?

आजकल स्टूडेंट्स को आंदोलन के लिए इकट्ठा करना और संस्थाओं के विरुद्ध खड़ा करना एक आम प्रचलन बन गया है। इसमें स्टूडेंट्स का तो नुकसान होता ही है, साथ ही समय और संसाधनों की भी हानि होती है। वर्तमान में आंदोलन, बदलाव या सकारात्मकता के लिए दिखाई नहीं देते, बल्कि इनमें से अधिकतर आंदोलन प्रायोजित और सुनियोजित षड्यंत्र के तहत किए जा रहे हैं।

सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे हैं कैंपेन

हरियाणा के झज्जर से एक ऐसी ही खबर सामने आई है, जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह गया है। झज्जर स्थित वर्ल्ड मेडिकल कॉलेज इन दिनों एक ऐसे ही अजीबो-गरीब आंदोलन का गवाह बन रहा है। दरअसल, कॉलेज कैंपस में जारी इस आंदोलन की वजह बढ़ी हुई फीस बताई जा रही है लेकिन हकीकत और तथ्य कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं।

प्रोटेस्ट करते स्टूडेंट्स। फोटो साभार- Twitter

कॉलेज प्रशासन के विरुद्ध आंदोलन कर रहे 48 स्टूडेंट्स, फीस नहीं जमा करने का यह कारण दे रहे हैं कि उनके पास पैसे नहीं है, जबकि इसे लेकर चलाए जा रहे आंदोलन में स्टूडेंट्स द्वारा हज़ारों रुपए की राशि खर्च की जा रही है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार इस आंदोलन को लेकर जहां सोशल मीडिया पर ऐड कैंपेन चलाए जा रहे हैं, वहीं समर्थन इकट्ठा करने के लिए बड़ी राशि खर्च की जा रही है।

क्या यह आंदोलन सुनियोजित है?

इतना ही नहीं, हाल ही में सामने आई एक वीडियो में आंदोलन कर रहे स्टूडेंट्स को शराब पीकर जश्न मनाते देख सभी हैरत में आ गए हैं। फीस ना भरने के लिए पैसों का बहाना करने वाले स्टूडेंट्स देर रात तक महंगी शराब और अन्य पदार्थों का सेवन कर पार्टी करते हुए नज़र आ रहे हैं।

ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि यदि स्टूडेंट्स के पास फीस जमा करने लायक धन राशि नहीं है, फिर आंदोलन के सभी खर्चे और शराब का खर्च कौन वहन कर रहा है?

इस खबर से सिर्फ कॉलेज प्रशासन ही नहीं, बल्कि हर कोई हैरान है। सभी यह जानने को उत्सुक हैं कि जब स्टूडेंट्स के पास फीस भरने के लिए पैसे ही नहीं हैं, तो आंदोलन चलाने के लिए उन्हें पैसा कहां से मिल रहा है? कॉलेज प्रबंधन का मानना है कि कुछ प्रतिद्वंद्वी समूह, कॉलेज का नाम खराब करने के लिए स्टूडेंट्स को फंडिंग कर आंदोलन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

प्रबंधन के दावों पर यकीन किया जाए तो स्टूडेंट्स की ये गतिविधियां संदिग्ध हैं और यह जांच का विषय है। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि वर्तमान के स्टूडेंट्स, जो भविष्य के डॉक्टर होंगे, वे इस तरह के एजेंडे में फंस कर क्या हासिल करना चाहते हैं।

ये वही स्टूडेंट्स हैं जिन्हें उनके माता-पिता बड़ी उम्मीदों से पढ़ने के लिए बाहर भेजते हैं, ताकि वे पढ़-लिखकर अपने परिवार एवं देश का नाम रौशन करें लेकिन जब हमारे सामने ऐसी भयावह तस्वीरें आती हैं, तो यह प्रश्न उठता है कि आखिर हमारी युवा पीढ़ी किस ओर जा रही है।

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