Site icon Youth Ki Awaaz

छिछोरे: हार से निराश होने वाले स्टूडेंट्स को ज़रूर देखनी चाहिए यह फिल्म

छिछोरे फिल्म का टाइटल मूवी पर पूरी तरह से फिट नहीं बैठता है। मूवी छिछोरापन के साथ-साथ महत्वपूर्ण संदेश भी देती है। ‘दंगल’ जैसी फिल्में बना चुके निर्देशक नितेश तिवारी ने इस बार कॉलेज लाइफ की कहानी को पर्दे पर उतारा है। निर्देशक नितेश तिवारी ने ‘छिछोरे’ के लिए इस बार उतने बड़े स्टार का चयन नहीं किए हैं, फिर भी सुशांत सिंह राजपूत ने अपने किरदार को बखूबी पर्दे पर अच्छी तरह से निभाया है। माया यानी श्रद्धा कपूर भी स्टूडेंट के किरदार में कैमरे के फ्रेम पर संतुलित नज़र आती हैं।

मूवी छिछोरापन के साथ-साथ आपका भरपूर मनोरंजन करती है-

ढाई घंटे की इस मूवी देखने के दौरान आप कितनी बार हंसी से लोटपोट हो जाएंगे यह अनुमान लगाना बहुत ही मुश्किल है। घड़ी की सुई इस कदर भागेगी कि आपको समय का पता भी नहीं चलेगा। मूवी का एक किरदार तो जबरन आपको गुदगुदी लगाकर ही छोड़ेगा।

छिछोरे फिल्म का पोस्टर।

एक दुर्घटना पर केंद्रित है “छिछोरे” की पूरी कहानी

मूवी में कॉलेज लाइफ की वह मस्ती भी है, हॉस्टल लाइफ की वह शरारते भी हैं, दोस्तों की वह बातें भी हैं, तो कॉलेज की प्रेम कहानी भी है। फिल्म में 7 दोस्तों का वह दोस्ताना है, जो एक दूसरे के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।

पात्रों का भी चयन संतुलित किया गया है। इंजीनियरिंग कॉलेज में अनिरुद्ध अन्नी (सुशांत सिंह राजपूत), माया (श्रद्धा कपूर), सेक्सा (वरुण शर्मा), एसिड (नवीन पॉलिशेट्टी), मम्मी (तुषार पांडे), बेवड़ा (साराह शुक्ला) और डेरेक (ताहिर राज भसीन) की आपस में ऐसी दोस्ती हो जाती है, जो हर कदम पर एक दूसरे का साथ निभाते नज़र आते हैं।

फिल्म की कहानी तलाकशुदा इंजीनियर कपल से शुरू होती है। उनका बेटा इंजीनियरिंग में असफल होने के बाद पढ़ाई के दबाव को झेल नहीं पाता है और आत्महत्या करने की कोशिश करता है। अपने आपको लूज़र समझता है, अपनी तुलना अपने माता-पिता से कर लेता है। हॉस्पिटल में बेड पर पड़े बेटे को पिता अनिरुद्ध (सुशांत सिंह राजपूत) अपने कॉलेज लाइफ की पूरी कहानी सुनाते हैं और अपने सभी दोस्तों से एक-एक करके मिलवाते हैं। अपने बेटे को बताते हैं कि कॉलेज लाइफ में आखिर किस प्रकार उनपर भी लूज़र का टैग लगा हुआ था। हॉस्पिटल में ही एक बार फिर से अन्नी की अपने बीवी माया से मुलाकात होती है।

फिल्म की प्रेम कहानी भी आपको रोमांचित कर देगी-

कॉलेज लाइफ में मॉडल गर्ल माया (श्रद्धा कपूर) पर कॉलेज के सभी लड़के दिल छिड़कते हैं। उसके बावजूद वह उनको भाव नहीं देती है और सुशांत सिंह राजपूत को अपना दिल दे बैठती है। पूरे कॉलेज में इन दोनों की प्रेम की चर्चा ज़ोरों पर रहती है लेकिन एक बात पूरी मूवी में समझ से बाहर है कि आखिर अन्नी और माया का कॉलेज का प्रेम शादी के बाद तलाक में क्यों तब्दील हो जाता है।

मूवी में डायलॉग चयन भी शानदार किए गए है, जैसे सेक्सा का अन्नी से यह कहना कि इंजीनियरिंग कॉलेज में हॉट लड़की हेलिज के धूमकेतु की तरह होती है, 76 सालों में एक बार आती है। ड्रामा, रोमांस, सस्पेंस से भरपूर फुल पैकेज फिल्म है ‘छिछोरे’।

एक ज़रूरी संदेश देती है यह फिल्म

‘छिछोरे’ में वह ज्ञान मौजूद है, जो हर एक स्टू़डेंट के लिए वर्तमान में ज़रूरी है। हमने हमेशा से सफल होने के बाद का प्लान सोचा है लेकिन असफल होने के बाद का प्लान क्या कभी किसी व्यक्ति ने सोचा है कि असफल होने के बाद हम क्या करेंगे? पिछले दिनों ही चन्द्रयान-2 की असफलता के बाद हम निराश हो गए लेकिन असफलता के बाद ही सफलता हासिल होती है।

एक माता -पिता के लिए भी ज़रूरी है कि कभी भी अपने बच्चे पर पढ़ाई का स्ट्रेस, सफलता का बोझ नहीं डालना चाहिए। वर्तमान में बहुत सारी खबरें आती हैं आईआईटी, मेडिकल पास ना करने की वजह से स्टूडेंट ने की खुदकुशी, आखिर ऐसा क्यों है? एक परीक्षा पास करना ही हमारी सफलता है क्या? हम क्यों नहीं समझ पाते हैं कि ज़िन्दगी में लूज़र कुछ नहीं होता और असफल होने वाला इंसान ही एक दिन सफलता के कदम चुमता है।

‘छिछोरे’ का एक डायलॉग हमें बहुत प्रेरित करता है-

अक्सर हम हार जीत सक्सेस ओर फेलियर के बीच इस तरह से फंस जाते हैं और भूल जाते हैं कि ज़िन्दगी में सबसे ज़रूरी होती है ज़िन्दगी।

आप भी अपने कॉलेज, हॉस्टल की यादें ताज़ा करना चाहते हैं, तो एक बार अपने छिछोरे दोस्तों के साथ समय निकालकर सिनेमा हॉल का चक्कर लगा लीजिए।

Exit mobile version