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“धार्मिक व्यक्ति पर रेप के आरोप के मामले में यह समाज क्यों बंट जाता है?”

चिन्मयानंद

चिन्मयानंद

स्वामी चिन्मयानंद की गिरफ्तारी की खबरों की लपटें लगभग सभी समाचार पत्रों तक पहुंच चुकी हैं। एक कानून की छात्रा द्वारा लगाये गए रेप के आरोपों पर बीजेपी नेता स्वामी चिन्मयानंद को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया गया है।

हालांकि चिन्मयानंद ने रेप के अलावा बाकी सारे गुनाह कबूल कर लिए हैं मगर इसमें एक बात यह भी खास है कि आरोप लगाने वाली लड़की के खिलाफ एसआईटी ने स्वामी चिन्मयानंद को ब्लैकमेल कर 5 करोड़ की फिरौती मांगने का केस दर्ज़ कर उसके तीन साथियों को भी जेल भेज दिया है।

‘जिस चीज़ का मुझे डर था, वही हुआ’

अब आरोप लगाने वाली लड़की का कहना है कि जब मैं एसआईटी के सामने 161 का बयान देने गई थी, मैंने उस दिन बता दिया था कि मेरे साथ रेप हुआ है, किस तरीके से हुआ है, सब कुछ बताया था। इसके बावजूद भी रेप का केस दर्ज़ नहीं किया गया। जिस चीज़ का मुझे डर था वही हुआ।

ध्यान दीजिएगा लड़की कह रही है कि जिस चीज़ का मुझे डर था वही हुआ। यानि लड़की को यह डर पहले से ही था कि जिसके खिलाफ वह एफआईआर का पर्चा लेकर आगे बढ़ रही है, वह राजनीतिक और धार्मिक रूप से प्रभावशाली और क्षेत्र के लोगों की नज़रों में नायक है।

अगर वह इस मामले को उजागर करने का प्रयास करेगी, तो उल्टा उसके ऊपर ही सवाल उठाए जाएंगे। मुझे लड़की की यह बात काफी हद तक सही लगी, क्योंकि जब आज सुबह मैं ऑफिस पहुंचकर अपने एक सहयोगी को यह मामला बताया तो उसका एकदम से यही जवाब था, “अरे ये लड़कियां पैसे ऐंठने के लिए ऐसे आरोप लगाती हैं।”

फोटो साभार- ANI Twitter

मैंने पूछा सभी लड़कियां? उसने कहा, “और नहीं तो क्या!! पहले खुद इनके पास जाती हैं फिर कुछ दिन बाद शोर मचा देती हैं। यह सब राजनीतिक साज़िश और धर्म को बदनाम करने के हथकंडे हैं, जो इस देश में चलाए जा रहे हैं।”

मैंने पूछा, “जो यह आये दिन विश्वभर में चर्च के पादरियों, बिशपों पर ननों और बच्चों के तथा मदरसों में मौलवियों पर लगने वाले यौन शोषण के आरोप क्या वे भी झूठे हैं?”

उनका कोई जवाब इस सवाल पर नहीं आया मगर अपने सहयोगी का यह ज्ञान सुनकर मुझे लगा क्या हम सब अंदरूनी रूप से बंटे हुए हैं? क्या अब हम धर्म और मज़हब के आधार पर ही न्याय की बात किया करेंगे और क्या कोई समाज इस तरह से बेबस हो सकता है?

जवाब सीधा सा है कि धर्म या राजनीति से जुड़े किसी नेता पर जब आरोप लगते हैं, तो बहुत सारे लोग यह समझने लगते हैं कि वे आरोप सिर्फ धर्मगुरु या नेता के खिलाफ नहीं, बल्कि हमारे धर्म, मज़हब, समाज या जाति पर लगे हैं। उन्हें लगता है कि इन आरोपों से अपने समाज, धर्म और अपने नेता को बचाना है।

राम रहीम और कुलदीप सेंगर का मामला भी ज़्यादा पुराना नहीं है

राम रहीम पर लगने वाले आरोपों के ज़रिये हम समझ सकते हैं कि भक्त लोग किस तरह सामने आकर इन्हें बचाने के लिए जमकर उत्पात मचाया। मुझे नहीं पता चिन्मयानंद पर आरोप लगाने वाली लड़की के आरोप में कितना दम है मगर वह सच है या झूठ, यह काम जांच एजेंसियों और उसके बाद न्यायालय का है।

कुलदीप सेंगर। फोटो साभार- Twitter

लेकिन आज जिन लोगों को चिन्मयानंद पर आरोप लगाने वाली लड़की झूठी और मक्कार लग रही है, उन्हें कुछ दिन पहले तक विधायक कुलदीप सेंगर पर आरोप लगाने वाली लड़की भी झूठी नज़र आ रही थी, जिसका नतीजा है कि वह वह लड़की ज़िन्दगी और मौत के बीच एम्स में जूझ रही है।

आखिर ऐसी क्या वजह होती है कि बलात्कार जैसे गंभीर आरोपों के बाद भी इनके समर्थक यह मानने को तैयार नहीं होते हैं कि इन्होने कुछ गलत किया है? कुलदीप सेंगर के मामले में भी सड़कों पर जुलूस निकल रहा था ,जहां लोगों के हाथों में बैनर थे जिन पर लिखा था हमारा विधायक निर्दोष है।

अपराध के मामले में हमारा समाज भी बंट गया है

राजनीतिक दलों की मजबूरी तो समझी जा सकती है, क्योंकि ऐसे आरोप जब उनकी पार्टी से जुड़े लोगों पर लगते हैं, तब उनकी ज़्यादातर कोशिश यही रहती है कि मामले को किसी तरह दबाया जाए, नहीं तो पार्टी की छवि धूमिल होती है। उन्हें तो वोट बैंक की राजनीति करनी है, क्योंकि आरोपी का मतदाताओं पर प्रभाव भी होता है लेकिन लोगों की क्या मजबूरी है जो इन लोगों को बचाने के लिए जी जान लगा देते है?

स्वामी चिन्मयानंद। फोटो साभार- Twitter

दरअसल, इस देश में लोग, धर्म, समाज और जाति अपराधों के मामलों में बंट गए हैं। एक किस्म से देश के अंदर सामाजिक राजधानियां बन रही हैं। कोई ऐसा नेता या धर्मगुरु नहीं है, जिसके अपने स्कूल, अस्पताल, लंगर-भंडारे, मंदिर-मस्जिद या अन्य संस्थान ना हों। लोग इनसे जुड़कर इनके प्रति आस्था रखते हैं।

इसका परिणाम यह है कि जब किसी ऐसे सत्तासीन या धार्मिक गद्दी पर बैठे किसी व्यक्ति पर आरोप लगते हैं, तो लोग महिला के सम्मान के बजाय आरोपी के लिए सड़कों पर उतर जाते हैं। लोग समझते हैं कि हम सच्चाई, धर्म और अपने समाज के लिए लड़ रहे हैं।

ऐसी सोच ही न्याय की राह में खड़ी किसी भी चिन्मयानंद पर आरोप लगाने वाली लड़की को यह कहने पर मजबूर कर रही है कि जिस चीज़ का मुझे डर था वही हुआ।

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