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कविता: सीना सपाट है या उभरा, क्या फर्क पड़ता है!

क्या फर्क पड़ता है!

सीना सपाट है या उभरा

चेहरा सुंदर है या बिगड़ा

सर पर घने बाल हैं

या है यह टकला

जीवन इससे बढ़कर है

यौवनमय, सुंदर और गुदाज,

आओ, जियें इसे भरपूर,

मनाएं जश्न जीवन का!

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