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पटना में वाहन जांच के दौरान लोगों के साथ मारपीट क्यों कर रही है पुलिस?

फोटो साभार- अनुपमा सिंह

फोटो साभार- अनुपमा सिंह

समय के साथ बदलाव ज़रूरी होता है और इसी बदलाव के साथ ‘मोटर व्हीकल एक्ट 2019’ को लागू किया गया है। कई राज्यों में इस नए कानून के तहत ज़ुर्माने की राशि को कम रखा गया है। पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्यप्रदेश और ओडिशा में नए नियम को लागू करने से मना कर दिया गया है।

बिहार में जब से ‘मोटर व्हीकल एक्ट 2019’ लागू हुआ है, तब से पटना शहर के अंदर एनएच पर जमकर चेकिंग का दौर शुरू हो गया है। पिछले एक सप्ताह में हड़ताली मोड़, इनकम टैक्स गोलंबर, कंकड़बाग और एग्ज़ीबिशन रोड पर काफी सख्ती से जांच अभियान चलाया जा रहा है।

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जांच अभियान की सख्ती को देखकर लोगों में खौफ का मंज़र है। चेकिंग का दबदबा इतना है कि मरीज़ को लेकर अस्पताल जाने वालों के साथ-साथ जल्दबाज़ी में दफ्तर जाने वालों को भी रोककर चेकिंग की जा रही है। लोगों को चेकिंग के नाम पर सड़कों पर घंटों इंतज़ार करना पड़ता है, जिस कारण उन्हें ऑफिस जाने में भी देरी होती है। यहां तक कि लोगों के साथ मारपीट की घटना भी सामने आ रही है।

वहीं दूसरी ओर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस गाड़ी में थे, उनके ड्राइवर ने सीट बेल्ट नहीं बांध रखी थी लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। चेकिंग पर निकली पुलिस की गाड़ी भी काला धुआं छोड़ रही है और ड्राइवर बिना सीट बेल्ट के खुलेआम दिख रहे हैं।

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पेट्रोलिंग पर निकले बाइक सवार पुलिसकर्मी भी बिना हेलमेट घूमते नज़र आ जाते हैं, जिस वजह से कल दिन में एग्ज़ीबिशन रोड एरिया मेंं चेकिंग के दौरान बेलगाम चालान काटने पर लोगों ने खूब हंगामा किया, जिसको कंट्रोल करने के लिए दर्ज़नों लोगों पर एआईआर के साथ 11 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।

नए यातायात नियम को लेकर परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला कहते हैं, “इससे लहरिया टाइप बाइकर्स कंट्रोल हो रहे हैं। कानून की यह सख्ती बनी रहेगी।” ट्रांसपोर्ट फेडरेशन का कहना है कि यूनियनों से विचार-विमर्श किए बिना ही राज्य सरकार ने ज़ुर्माने की राशि बढ़ा दी है, जो अव्यवहारिक है।

बिहार राज्य के बाकी सड़कों की बात भूल भी जाएं और सिर्फ राजधानी क्षेत्र की सड़कों को देखने पर अधिकांश सड़कें टूटी हुई और गड्ढों वाली हैं। कहीं चेंबर का मैनहोल खुला है, तो कहीं नाले का गंदा पानी बह रहा है। रातों में स्ट्रीट लाइट सिर्फ वीआईपी इलाकों में देखने को मिलती हैं।

फोटो साभार- अनुपमा सिंह

इसके अलावा एक ही सड़क पर गाय, बकरी, कुत्ता से लेकर स्कूटी, बाइक, कार, ट्रक और ट्रैक्टर तक एक साथ विचरण करते मिल जाएंगे। अगर आप पटना में ड्राइविंग कर रहे हैं, तो आप तैयार रहिए आकस्मिक ब्रेक लगाकर गाड़ी कंट्रोल करने के लिए, क्योंकि कब कौन पैदल चल रहे राहगीर मून वॉक करते हुए रोड क्रॉस करने के दौरान आपकी गाड़ी के सामने आ जाऐंगे, यह किसी को पता नहीं होता है।

कई बार अचानक ब्रेक लगाने पर दुर्घटना भी हो जाती है लेकिन अफसोस सिस्टम कभी अपनी कमियों को चैलेंज के रूप में स्वीकार नहीं करता है और ना ही समाधान के तौर पर बातचीत होती है।

यह अच्छा है कि सख्त कानून के खौफ से तेरह-चौदह साल के बच्चे आज कल बाइक और कार चलाते नहीं दिख रहे हैं लेकिन 18+ वालों की स्थिति देखने पर हम पाएंगे कि ड्राइविंग सीखने के बावजूद भी लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया स्लो और उबाऊ होने की वजह से अधिकांश युवाओं के पास लाइसेंस ही नहीं है।

ऊपर से शहर में ना तो ट्रैफिक कंट्रोल करने की व्यवस्था है और ना ही पार्किंग के लिए समुचित व्यवस्था। ऐसे में हज़ार-वज़ार वाले ज़ुर्माने की राशि का आम नागरिकों के बीच विरोध कहीं से भी गलत नहीं लगता है। पुलिस की मनमानी, वसूली और लाठी डंडे से लोगों पर बर्बरता की घटनाओं ने लोगों को प्रशासन के खिलाफ खड़ा कर दिया है।

नए ट्रैफिक नियम के बाद जिस तरह से प्रशासन और जनता के बीच संघर्ष चल रहा है, उसे देखकर ऐसा लगता है कि वह दिन दूर नहीं जब गृह युद्ध जैसे हालात पैदा हो जाएं।

पुलिस को सबसे पहले जागरूकता अभियान चलाने की ज़रूरत थी। लोगों के साथ मारपीट ना करके, उन्हें हेलमेट या लाइसेंस या कोई भी पेपर मिसिंग होने पर ऑन द स्पॉट पैसा लेकर बनवा दिया जाए तो बेहतर है। फाइन या सज़ा से बचना हो तो गाड़ी चलाने वाले को कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए।

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