दिल्ली के अंबेडकर इंटरनैश्नल सेंटर में शनिवार 31 अगस्त को Youth Ki Awaaz द्वारा ‘कनवर्ज 2019’ का आयोजन किया गया। Youth Ki Awaaz के फाउंडर अंशुल तिवारी ने इस कार्यक्रम के दौरान मंच का संचालन किया।
सेव द चिल्ड्रेन इंडिया और इंटरनैश्नल जस्टिस मिशन (IJM) की साझेदारी में आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न ‘Youth Leaders’ ने दमदार स्पीच के ज़रिये युवाओं के बीच असमानता और राजनीति में युवाओं की भागीदारी पर अपनी बात रखी।
गौरतलब है कि OurDemocracy.in के को-फाउंडर बिलाल ज़ैदी, सेव द चिल्ड्रेन की चाइल्ड चैंपियन लूसी, इंटरनैश्नल जस्टिस मिशन की पब्लिक पॉलिसी ऑफिसर दिव्या और फेमिनिस्ट अप्रोच टू टेक्नॉलजी के ‘Girls In STEM’ प्रोग्राम की रूबी ने कनवर्ज 2019 में मौजूद लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
मैं कार्यक्रम में देर से पहुंचा, जिसकी वजह से बिलाल ज़ैदी को नहीं सुन पाया लेकिन सवाल-जवाब के सत्र में उन्हें सुनने का अवसर प्राप्त हुआ। तो चलिए सबसे पहले बिलाल जै़दी की ही बात करता हूं।
Our democracy.in के को-फाउंडर बिलाल ज़ैदी ने भारत में एक ऐसी संस्था स्थापित की है, जिसके माध्यम से तमाम जुझारू नेता, सक्रिय राजनीति में कदम रख सकते हैं। उन्होंने कहा, “वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में कन्हैया कुमार एवं पूर्वी दिल्ली से आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार आतिशी के लिए भी हमारी संस्था ने क्राउड फंडिंग की थी। यह एक ऐसा कदम है, जिसके माध्यम से हमारे देश के लोकतंत्र को मज़बूती मिलेगी।”
वहीं, Youth Ki Awaaz कनवर्ज में लूसी एवं रूबी ने भी अपनी-अपनी कहानियों के ज़रिये अंबेडकर सेंटर में मौजूद युवाओं को सोचने पर मजबूर कर दिया कि आपके ज़हन में यदि समाजसेवा के क्षेत्र में कुछ करने का जुनून है, तो सफलता ज़रूर मिलेगी।
हालांकि कार्यक्रम में देर से पहुंचने की वजह से मैं सेव द चिल्ड्रेन की चाइल्ड चैंपियन लूसी जी को पूरा नहीं सुन पाया लेकिन जितना सुन पाया उससे हमारे अंदर समाज में बदलाव लाने के लिए कुछ करने की इच्छा ज़रूर जागृत हुई।
रूबी जो कि फेमिनिस्ट अप्रोच टू टेक्नॉलजी के ‘Girls In STEM’ प्रोग्राम में बतौर प्रोग्राम असिसटेंट कार्यरत होने के साथ-साथ संस्था की बोर्ड मेंबर भी हैं। इतनी कम उम्र में किसी भी संस्था का बोर्ड मेंबर बन जाना वाकई काबिल-ए-तारीफ है। रूबी जिस तरीके से समाज में बदलाव लाने के लिए लड़कियों को तकनीकी प्रशिक्षण के ज़रिये रोज़गार के साथ जोड़ रही हैं, वह सराहनीय है।
इंटरनैश्नल जस्टिस मिशन की दिव्या ने भी कनवर्ज के मंच से रोज़मर्रा के जीवन में होने वाली प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष हिंसा पर बात की। उन्होंने बताया कि बस में यात्रा करने के दौरान किस तरीके से एक अंजान व्यक्ति उनकी बगल वाली सीट में बैठने की ज़िद्द कर रहा था और सबसे हैरानी की बात यह थी कि लेडी कंडक्टर ने उस व्यक्ति को कुछ ना कहकर दिव्या को ही महिला सीट में बैठने की नसीहत दे दी। यह वह घटना थी, जहां से दिव्या को हिंसा के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने की प्रेरणा मिली।
आज के इस कॉरपोरेट युग में बिना पैसा लिए कनवर्ज का आयोजन कराने के लिए Youth Ki Awaaz से मैं बहुत प्रभावित हुआ। मैं यह भी कहना चाहूंगा कि असमानता और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा के लिए बेहद ज़रूरी है Youth Ki Awaaz कनवर्ज जैसा मंच।