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कट्टरवादी इस्लाम को खुद को बदलना होगा

#इस्लाम
सबसे अशिक्षित और निहायती कट्टरवादी धर्म । ठेठ में कहूँ तो गौर किया जाए तो अंधभक्त से भी दो कदम आगे । जिन्हें अपने अल्लाह, अपने पैगम्बर, अपने रिवाज और अपने रसूल पर एक शब्द बर्दाश्त नहीं । क्योंकि इन्होंने खुदा को इंसानों के बीच, इंसानों के दिलो में उतरने ही नहीं दिया, इन्होंने खुदा को खुदा बना कर रखा, जिनके साथ इन्होंने दुआओं के Give and Take के अलावा और कुछ नहीं किया है।
571 ई० यानी धर्मों में सबसे बाद का जन्मा ये धर्म अन्य धर्मों के मुकाबले अभी लड़कपन में ही जी रहा है । बाकी सारे धर्म ईसा पूर्व के हैं । सबसे बाद का पनपा ये धर्म अपनी उपज के डेढ़ दो सौ साल के बाद से ही नंगी तलवारों से खेल खेल रहा है । मतलब पैदा होते ही धर्म प्रचार का भूत चढ़ा और लगे आक्रमण कर कर के मार काट मचाने । मुझे नहीं लगता कि पैगम्बर मुहम्मद साहब ने धर्म विस्तार का ये तरीका बताया होगा लेकिन आज के मुसलमान नादिर,गौरी,गजनी और बाबर को ही अपना हीरो मानते हैं । जाहिर सी बात है, धर्म जब लड़कपन में ही तलवार चलाने लगे तो कट्टरवाद तो खून में होगा ही ।
अब कुछ मित्र आकर बेहतर उदाहरण देंगे… जैसे एक से बढ़कर एक लेखक, आविष्कारक, कवि, शायर, वैज्ञानिक और अन्य प्रमुख … तो बता दूं, उनकी संख्या बस उतनी ही है जितनी ISIS में हिन्दू की । ?
बात करते हैं कमलेश तिवारी की… । जाहिर सी बात है इस हत्या को तबरेज, अखलाख, पहलुखां और इंसेक्टर सुबोध की हत्या से जोड़ा जाना बेवकूफी के अलावा और कुछ नहीं । ये हत्या है, एक राजनैतिक या धार्मिक साजिश के तहत की गई आपराधिक हत्या ना कि कोई मॉब द्वारा गाय गोबर के नाम पर ली गयी एक आम आदमी की जान । पैगम्बर साहब पर कमेंट करने के बदले में ये हुआ ऐसा कहा जा रहा है, तो इससे मैं सहमत हूँ । इस्लामिक कट्टरवाद ये कर जाए इसमें कोई शक नहीं…। कहा न, ये खुदा को खुदा बना कर रखते हैं, तभी तो आज हर जगह से जूतें खाने के बाद दोजख के चौखट पर बैठ कर आपने ही घरों में बम फोड़ रहें हैं “अल्लाह हूँ अकबर” बोल के… ?
कई मुसलमान इस हत्या पर जश्न मनाते दिखें.. उनके लिए और कुछ कहने की जरूरत नहीं…बस योगी, साध्वी और प्रज्ञा के बयान में हरी मिर्च लगा के उनमें घुसेड़ दो…लहर जाएंगे..।? दरअसल उन जैसों के करतूतों ने ही इस देश ने योगी और साध्वी पैदा किये है ।
लेकिन जो मुख्य बात है वो ये कि अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि हत्या किसके इशारे पर हुई । राजनीति में रास्ते का कांटा साफ करते हुए खंजर किसी और के घर फेंक देने की पुरानी कवायद है । हत्या के पीछे अपनो का भी नाम सामने आया है ।
लेकिन हाँ, इस्लामियों को ये सीखना चाहिए कि इस देश में हम अपने भगवान से सवाल करते नहीं थकते । हम तो राम तक को सीता के नजरों में गुनेहगार करार देते हैं । हम कृष्ण को भी छलिया कहते हैं… हम शिव को भी बऊराहा (नशेड़ी) कहते हैं । हमारे भगवान हम जैसे ही है, जो हमें गलत में भी सही ढूंढने की हिम्मत देते हैं ।
शायद यही वजह है कि हमारे धर्म मे बह कर डाकू भी वाल्मीकि रामायण लिख देता है, और तुम्हारे धर्म मे बहकर क्या होता है ये तुमसे बेहतर कौन जानता है.. ।
देश मे असहिष्णुता बताने से पहले खुद के घर, मदरसा और मस्जिद में झांक लो कि वहाँ सब सहिष्णु है या नहीं । नहीं तो उधर Trump, और इधर Modi है ही ?.

#Prakashvaani

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